ओडिशा की चिल्का झील में दिखा आसमान छूता बवंडर, VIDEO:टूरिस्ट घबराकर भागे; इससे पहले 2018-19 में भी टॉरनेडो दिखाई दिए

ओडिशा की चिल्का झील में दिखा आसमान छूता बवंडर, VIDEO:टूरिस्ट घबराकर भागे; इससे पहले 2018-19 में भी टॉरनेडो दिखाई दिए

ओडिशा की प्रसिद्ध चिल्का झील में शुक्रवार को अचानक एक विशाल बवंडर (वॉटरस्पाउट या टॉरनेडो) दिखाई दिया, जिससे झील किनारे घूम रहे टूरिस्ट नजारे को देखकर घबरा गए और सुरक्षित जगह की ओर भागने लगे। यह बवंडर देवी कालिजाई मंदिर के दक्षिण-पश्चिम दिशा में उस समय बना, जब सैकड़ों टूरिस्ट झील की सैर कर रहे थे। अचानक हवा का दबाव बदलने से झील के बीच में यह घुमावदार चक्र बना, जो कुछ मिनटों तक आसमान तक उठता दिखा। कई लोगों ने इस दृश्य को अपने मोबाइल फोन में रिकॉर्ड कर लिया। स्थानीय लोग इस तरह के बवंडर को ‘हाथीसुंधा’ कहते हैं, क्योंकि इसका आकार हाथी की सूंड जैसा दिखाई देता है। थोड़ी देर बाद यह बवंडर धीरे-धीरे गायब हो गया। बाद में इस घटना के वीडियो वायरल हो गए। इससे पहले चिल्का झील में 2018 और 2019 में ऐसे ही बवंडर देखे गए थे, लेकिन इस बार का नजारा और भी बड़ा और स्पष्ट था। भारत में ऐसी घटनाएं कम देखी जाती हैं मौसम वैज्ञानिक विश्वजीत साहू ने कहा- ‘ऐसी घटनाएं आमतौर पर अमेरिका और कनाडा के समुद्री क्षेत्रों में देखी जाती हैं। भारत में इनका होना बहुत ही दुर्लभ है, हालांकि बंगाल की खाड़ी के पास कभी-कभी ऐसे बवंडर बनते हैं। ओडिशा में तो ये घटनाएं बेहद कम होती हैं।’ वॉटरस्पाउट तब बनता है जब गर्म और नम हवा ऊपर उठकर ठंडी व सूखी हवा से मिलती है। इस प्रक्रिया में हवा घूमने लगती है और ऊपर की ओर घूमता हुआ चक्र बन जाता है, जो देखने में टॉरनेडो जैसा लगता है। चिल्का झील को भारत का जलस्वर्ग भी कहा जाता है चिल्का झील, भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है। ओडिशा की यह झील अपनी सुंदरता और जैव विविधता के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। चिल्का झील ओडिशा के पूर्वी तट पर स्थित है। ये बंगाल की खाड़ी से जुड़ी है। ओडिशा में ये भुवनेश्वर से लगभग 60 किलोमीटर दूर पुरी, गंजाम और खोरधा जिलों के बीच फैली हुई है। झील में 225 से अधिक मछलियों की प्रजातियां हैं। सर्दियों में 10 लाख से अधिक प्रवासी पक्षी भी आते हैं। फ्लेमिंगो, साइबेरियन डक और व्हाइट-बेलीड सी ईगल यहां आम हैं। चिल्का के बीच बसे करीब 100 से अधिक गांवों के डेढ़ लाख लोगों की आजीविका मछली पर ही टिकी है। जाति कोई भी हो, यहां सब मछुआरे ही हैं। इसकी लंबाई 70 किलोमीटर और चौड़ाई 30 किमी है, जिसमें 40 से ज्यादा छोटी नदियां और बारिश का पानी आकर मिलता है। यहां 6 विशाल द्वीप हैं- परीकुड़, फूलबाड़ी, बेराहपुरा, नुआपारा, नलबाड़ा और तम्पारा। ये सभी पुरी जिले के कृष्णा प्रसाद राजस्व क्षेत्र का हिस्सा हैं। झील के बीच देवी कालिजाई मंदिर स्थित है। यहां कई टूरिस्ट आते हैं। झील में नौकायन और पर्यटन मुख्य आकर्षण हैं।

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