करनाल में यमुना नदी के किनारे हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बीच एक बार फिर सीमा विवाद सामने आ गया है। नदी पर बने पुल से सटे एक रास्ते को लेकर दोनों राज्यों ने अपना-अपना दावा पेश किया, जिससे मौके पर तनाव की स्थिति बन गई। सीमांत क्षेत्र में नए पिलर लगाए जाने के प्रयास के दौरान दोनों राज्यों के प्रशासनिक अधिकारियों के बीच तल्खी देखने को मिली। हालात बिगड़ते देख पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा और पिलर लगाने की कार्रवाई रोक दी गई। हरियाणा प्रशासन ने करवाई निशानदेही
सीमांत जमीन पर अपना दावा जताते हुए हरियाणा प्रशासन की ओर से एसडीएम प्रदीप कुमार और खनन अधिकारी विनय शर्मा अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर सीमा की निशानदेही शुरू करवाई। हरियाणा प्रशासन की इस कार्रवाई की जानकारी मिलते ही उत्तर प्रदेश प्रशासन भी सक्रिय हो गया। यूपी प्रशासन भी मौके पर पहुंचा
उत्तर प्रदेश की ओर से तहसीलदार उन ललिता चौधरी पुलिस टीम के साथ यमुना नदी पर पहुंचीं। दोनों राज्यों के अधिकारियों के बीच मौके पर ही सवाल-जवाब हुए। उत्तर प्रदेश प्रशासन ने स्पष्ट किया कि जब तक सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के आधार पर दोनों राज्यों की संयुक्त टीम द्वारा सीमा का निर्धारण नहीं किया जाता, तब तक नए पिलर नहीं लगाए जाने चाहिए। पिलर लगाने के प्रयास से बढ़ा तनाव
काफी देर तक चले वाद-विवाद के बावजूद कुछ लोग यमुना नदी में पिलर लगाने के लिए पहुंच गए, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई। मौके पर मौजूद दोनों राज्यों के पुलिस अधिकारियों ने हालात को भांपते हुए तुरंत पिलर लगाने की कार्रवाई रोकने के निर्देश दिए और पूरे घटनाक्रम की सूचना उच्च अधिकारियों को दी। रेत खनन से जुड़ा है विवाद का कारण
बताया जा रहा है कि इस बार सीमा विवाद की जड़ यमुना नदी के पुल से सटा वह रास्ता है, जिसका इस्तेमाल उत्तर प्रदेश के रेत खनन ठेकेदार ट्रकों की आवाजाही के लिए करते हैं। इस रास्ते को लेकर हरियाणा के ठेकेदार लगातार आपत्ति जता रहे हैं और शिकायतें कर रहे हैं। दोनों राज्यों के बीच यह विवाद पहले भी सामने आ चुका है। संयुक्त सर्वे से सुलझेगा मामला
अधिकारियों का कहना है कि सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के आधार पर संयुक्त रूप से सीमा निर्धारण कर ही इस विवाद का स्थायी समाधान निकाला जा सकता है। फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन सीमा को लेकर असमंजस बना हुआ है।


