UP STF Busts ₹500 Crore GST Evasion Racket: उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (UP STF) को एक बड़ी और अहम सफलता हाथ लगी है। एसटीएफ ने विभिन्न राज्यों और उत्तर प्रदेश के कई जनपदों में बोगस फर्मों का पंजीकरण कर फर्जी इनवॉइस और ई-वे बिल के माध्यम से करीब 500 करोड़ रुपये से अधिक की जीएसटी चोरी करने वाले एक संगठित अंतरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस कार्रवाई में एसटीएफ ने गिरोह के आठ सक्रिय सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जिनके कब्जे से कई अहम दस्तावेज, इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य और फर्जीवाड़े से जुड़े कागजात बरामद किए गए हैं। एसटीएफ की इस कार्रवाई को हाल के वर्षों में जीएसटी चोरी के मामलों में सबसे बड़ी कामयाबियों में से एक माना जा रहा है।
गिरफ्तार किए गए आरोपी
एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान इस प्रकार हुई है-
- दिलशाद
- रमेश
- अंकुर
- स्वतंत्र
- वसीम
- सोहैल
- जावेद
- इकरामुद्दीन
इन सभी को एसटीएफ इकाई मेरठ कार्यालय में विस्तृत पूछताछ के बाद विधिवत गिरफ्तार किया गया। पूछताछ के दौरान आरोपियों ने कई अहम जानकारियां दी हैं, जिसके आधार पर जांच को और आगे बढ़ाया जा रहा है।
कैसे किया जाता था जीएसटी की बड़ी चोरी
एसटीएफ अधिकारियों के अनुसार, यह गिरोह बेहद शातिर और सुनियोजित तरीके से काम कर रहा था। गिरोह के सदस्य अलग-अलग राज्यों और उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में बोगस फर्मों का पंजीकरण कराते थे ,फर्जी नाम, पते और दस्तावेजों का इस्तेमाल करते थे ,इन फर्मों के माध्यम से फर्जी इनवॉइस (बिल) और ई-वे बिल तैयार किए जाते थे। बिना किसी वास्तविक माल की खरीद-फरोख्त के कागजों में लेन-देन दिखाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का गलत लाभ उठाया जाता था। इसी प्रक्रिया के जरिए सरकार को सैकड़ों करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान पहुंचाया गया।
कई राज्यों तक फैला था नेटवर्क
जांच में सामने आया है कि इस गिरोह का नेटवर्क केवल उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं था, बल्कि कई अन्य राज्यों में भी इसकी जड़ें फैली हुई थीं। अलग-अलग राज्यों में रजिस्टर्ड फर्जी फर्मों के जरिए यह गिरोह जीएसटी सिस्टम की खामियों का फायदा उठाकर बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी कर रहा था। एसटीएफ का मानना है कि गिरफ्तार किए गए आरोपियों के अलावा भी कई अन्य लोग इस नेटवर्क से जुड़े हो सकते हैं, जिनकी तलाश जारी है।
एसटीएफ को कैसे मिली सूचना
एसटीएफ को काफी समय से जीएसटी चोरी से जुड़े एक बड़े नेटवर्क की गतिविधियों की सूचना मिल रही थी। इसके बाद एसटीएफ ने तकनीकी निगरानी,दस्तावेजों की गहन जांच,जीएसटी विभाग से समन्वय,बैंकिंग और लेन-देन से जुड़े डेटा का विश्लेषण जैसे कई स्तरों पर जांच शुरू की। पर्याप्त साक्ष्य जुटाने के बाद एसटीएफ ने मेरठ यूनिट के माध्यम से कार्रवाई करते हुए गिरोह के आठ सदस्यों को दबोच लिया।
क्या-क्या हुआ बरामद
एसटीएफ ने गिरफ्तार आरोपियों के पास से कई अहम दस्तावेज बरामद किए हैं, जिनमें बोगस फर्मों से जुड़े रजिस्ट्रेशन दस्तावेज,फर्जी इनवॉइस और ई-वे बिल,बैंक खातों से संबंधित कागजात,डिजिटल डिवाइस, मोबाइल फोन और लैपटॉप
,लेन-देन से जुड़े रिकॉर्ड शामिल हैं। इन सभी साक्ष्यों की फॉरेंसिक और तकनीकी जांच की जा रही है, ताकि पूरे नेटवर्क की परतें खोली जा सकें।
पूछताछ में हो सकते हैं बड़े खुलासे
एसटीएफ अधिकारियों का कहना है कि शुरुआती पूछताछ में ही कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। संभावना जताई जा रही है कि इस गिरोह ने 500 करोड़ से भी अधिक की जीएसटी चोरी की हो,कुछ पेशेवर लोग और अकाउंट विशेषज्ञ भी इसमें शामिल हो सकते हैं,बोगस फर्मों की संख्या दर्जनों या उससे अधिक हो सकती है, पूछताछ के आधार पर आगे और गिरफ्तारियां भी संभव हैं।
जीएसटी विभाग के साथ मिलकर होगी आगे की कार्रवाई
एसटीएफ अब इस पूरे मामले में जीएसटी विभाग और अन्य केंद्रीय एजेंसियों के साथ समन्वय कर रही है। टैक्स चोरी की सटीक राशि का आकलन किया जा रहा है और संबंधित धाराओं में मुकदमे दर्ज करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।सूत्रों के अनुसार, गिरफ्तार आरोपियों की संपत्तियों और बैंक खातों की भी जांच की जा रही है, ताकि अवैध रूप से अर्जित धन को जब्त किया जा सके।
सरकार को बड़ी राहत
इस कार्रवाई को राज्य सरकार के लिए बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है। जीएसटी चोरी से न केवल सरकारी खजाने को नुकसान होता है, बल्कि ईमानदार कारोबारियों के साथ भी अन्याय होता है। एसटीएफ की इस कार्रवाई से ऐसे गिरोहों को कड़ा संदेश गया है कि आर्थिक अपराध करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
एसटीएफ की कार्रवाई की सराहना
एसटीएफ की इस बड़ी सफलता की प्रशासनिक और व्यापारिक हलकों में सराहना हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कार्रवाई जीएसटी सिस्टम को पारदर्शी और मजबूत बनाने की दिशा में एक अहम कदम है।


