औरंगाबाद के पूर्व सांसद स्वर्गीय रामनरेश सिंह उर्फ लूटन बाबू की 27वीं पुण्यतिथि रामनरेश सिंह फाउंडेशन के तत्वावधान में शहर स्थित गेट स्कूल के मैदान में श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाई गई। इस अवसर पर फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन किया गया। दो दिवसीय फुटबॉल टूर्नामेंट में कुल चार टीमों ने भाग लिया। पहला मुकाबला औरंगाबाद और बेल की टीम बीच खेला गया, जिसमें औरंगाबाद की टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए बेल को 7-0 से करारी शिकस्त दिया।
दूसरा मुकाबला बारुण और देव आनंद पूरा टीम के बीच खेला गया। रोमांचक मुकाबले में बरुण की टीम ने देव को एक गोल से हरा दिया। शुक्रवार को औरंगाबाद और बारुण के बीच खेला गया फाइनल दूसरे दिन शुक्रवार को औरंगाबाद और बारुण की टीम के बीच फाइनल मुकाबला खेला गया। जिसमें औरंगाबाद की टीम में एक गोल से विजयी रही। विजेता एवं उपविजेता टीम को पूर्व सांसद सुशील कुमार सिंह, सदर विधायक त्रिविक्रम नारायण सिंह, कुटुम्बा विधायक ललन राम और फाउंडेशन चेयरमैन सुनील सिंह ने संयुक्त रूप से पुरस्कार प्रदान किए। गोविंद शर्मा बने बेस्ट प्लेयर ऑफ टूर्नामेंट टूर्नामेंट में मुख्य रेफरी मो. फकरुद्दीन, लाइनमैन वकील मनोज कुमार उर्फ गुरुजी एवं पूर्व सरपंच सत्येंद्र सिंह रहे। मैन ऑफ द मैच और मैन ऑफ द सीरीज का पुरस्कार औरंगाबाद टीम के सुशांत कुमार को, बेस्ट प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट गोविंद शर्मा को तथा उत्कृष्ट खिलाड़ी का पुरस्कार सोनेलाल मरांडी को दिया गया। आयोजन को सफल बनाने में जियाउल हक, जमालुद्दीन, अजय कुमार और धीरज कुमार की भूमिका सराहनीय रही। औरंगाबाद के विकास में रामनरेश सिंह का योगदान अहम कार्यक्रम का संचालन प्रदेश कार्य समिति सदस्य अशोक सिंह ने किया। मुख्य वक्ता के रूप में पूर्व सांसद सुशील कुमार सिंह ने कहा कि उनके पिता हमेशा व्यक्ति या दल नहीं, बल्कि जनता को केंद्र में रखकर राजनीति करते थे। सांसद और विधायक रहने के दौरान उनके ऊपर कभी किसी तरह का दाग नहीं लगा। उन्होंने कहा कि वे अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए ईमानदारी से जनहित के कार्य कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे। उन्होंने स्व. रामनरेश सिंह के राजनीतिक संघर्ष का जिक्र करते हुए बताया कि वर्ष 1980 में वे औरंगाबाद विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीतकर विधायक बने, जो आज तक एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड है। इसके अलावा वे दो बार सांसद और दो बार विधायक निर्वाचित हुए। ‘रामनरेश सिंह के पास से कोई खाली हाथ नहीं लौटता था’ रामनरेश सिंह फाउंडेशन के चेयरमैन सुनील सिंह ने कहा कि उनके पिता जनप्रतिनिधि बनने के बाद क्षेत्र में विकास की मजबूत नींव रखी। उनका संपूर्ण जीवन संघर्ष, ईमानदारी और जनसेवा की मिसाल रहा। उन्होंने कहा कि स्व. रामनरेश सिंह की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि जो भी व्यक्ति उनसे मदद मांगने आता, वह कभी खाली हाथ नहीं लौटता था। वे आम आदमी के नेता थे, यही कारण है कि औरंगाबाद के लोग आज भी पूरे सम्मान के साथ उनका नाम लेते हैं। कार्यक्रम में कर्नल सुधीर सिंह ने भावुक होकर कहा कि उन्होंने 34 वर्षों तक सेना में सेवा दी है और सेना के लोग कभी वास्तव में सेवानिवृत्त नहीं होते। देश सेवा का जज्बा हमेशा उनके भीतर रहता है। उन्होंने कहा कि वे अपने पिता को अपना आदर्श मानते हैं और ईमानदारी से उनके पदचिन्हों पर चल रहे हैं। औरंगाबाद के पूर्व सांसद स्वर्गीय रामनरेश सिंह उर्फ लूटन बाबू की 27वीं पुण्यतिथि रामनरेश सिंह फाउंडेशन के तत्वावधान में शहर स्थित गेट स्कूल के मैदान में श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाई गई। इस अवसर पर फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन किया गया। दो दिवसीय फुटबॉल टूर्नामेंट में कुल चार टीमों ने भाग लिया। पहला मुकाबला औरंगाबाद और बेल की टीम बीच खेला गया, जिसमें औरंगाबाद की टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए बेल को 7-0 से करारी शिकस्त दिया।
दूसरा मुकाबला बारुण और देव आनंद पूरा टीम के बीच खेला गया। रोमांचक मुकाबले में बरुण की टीम ने देव को एक गोल से हरा दिया। शुक्रवार को औरंगाबाद और बारुण के बीच खेला गया फाइनल दूसरे दिन शुक्रवार को औरंगाबाद और बारुण की टीम के बीच फाइनल मुकाबला खेला गया। जिसमें औरंगाबाद की टीम में एक गोल से विजयी रही। विजेता एवं उपविजेता टीम को पूर्व सांसद सुशील कुमार सिंह, सदर विधायक त्रिविक्रम नारायण सिंह, कुटुम्बा विधायक ललन राम और फाउंडेशन चेयरमैन सुनील सिंह ने संयुक्त रूप से पुरस्कार प्रदान किए। गोविंद शर्मा बने बेस्ट प्लेयर ऑफ टूर्नामेंट टूर्नामेंट में मुख्य रेफरी मो. फकरुद्दीन, लाइनमैन वकील मनोज कुमार उर्फ गुरुजी एवं पूर्व सरपंच सत्येंद्र सिंह रहे। मैन ऑफ द मैच और मैन ऑफ द सीरीज का पुरस्कार औरंगाबाद टीम के सुशांत कुमार को, बेस्ट प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट गोविंद शर्मा को तथा उत्कृष्ट खिलाड़ी का पुरस्कार सोनेलाल मरांडी को दिया गया। आयोजन को सफल बनाने में जियाउल हक, जमालुद्दीन, अजय कुमार और धीरज कुमार की भूमिका सराहनीय रही। औरंगाबाद के विकास में रामनरेश सिंह का योगदान अहम कार्यक्रम का संचालन प्रदेश कार्य समिति सदस्य अशोक सिंह ने किया। मुख्य वक्ता के रूप में पूर्व सांसद सुशील कुमार सिंह ने कहा कि उनके पिता हमेशा व्यक्ति या दल नहीं, बल्कि जनता को केंद्र में रखकर राजनीति करते थे। सांसद और विधायक रहने के दौरान उनके ऊपर कभी किसी तरह का दाग नहीं लगा। उन्होंने कहा कि वे अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए ईमानदारी से जनहित के कार्य कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे। उन्होंने स्व. रामनरेश सिंह के राजनीतिक संघर्ष का जिक्र करते हुए बताया कि वर्ष 1980 में वे औरंगाबाद विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीतकर विधायक बने, जो आज तक एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड है। इसके अलावा वे दो बार सांसद और दो बार विधायक निर्वाचित हुए। ‘रामनरेश सिंह के पास से कोई खाली हाथ नहीं लौटता था’ रामनरेश सिंह फाउंडेशन के चेयरमैन सुनील सिंह ने कहा कि उनके पिता जनप्रतिनिधि बनने के बाद क्षेत्र में विकास की मजबूत नींव रखी। उनका संपूर्ण जीवन संघर्ष, ईमानदारी और जनसेवा की मिसाल रहा। उन्होंने कहा कि स्व. रामनरेश सिंह की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि जो भी व्यक्ति उनसे मदद मांगने आता, वह कभी खाली हाथ नहीं लौटता था। वे आम आदमी के नेता थे, यही कारण है कि औरंगाबाद के लोग आज भी पूरे सम्मान के साथ उनका नाम लेते हैं। कार्यक्रम में कर्नल सुधीर सिंह ने भावुक होकर कहा कि उन्होंने 34 वर्षों तक सेना में सेवा दी है और सेना के लोग कभी वास्तव में सेवानिवृत्त नहीं होते। देश सेवा का जज्बा हमेशा उनके भीतर रहता है। उन्होंने कहा कि वे अपने पिता को अपना आदर्श मानते हैं और ईमानदारी से उनके पदचिन्हों पर चल रहे हैं।


