MP Highcourt- मध्यप्रदेश में किसानों के लिए बड़ी खबर सामने आई है। प्रदेश की कृषि उपज मंडियों में फसलों के कम दाम पर हाईकोर्ट ने सख्त तेवर दिखाए हैं। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से फसल की कम कीमत मिलने के संबंध में दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया। हाईकोर्ट ने इसपर मप्र राज्य कृषि विपणन बोर्ड और राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने साफ किया है कि इस संबंध में पहले से जारी आदेशों के बावजूद मंडियों में किसानों से फसल एमएसपी से नीचे कैसे ली जा रही है। इस संबंध में एक अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की एकलपीठ ने तीखी टिप्पणी की।
मध्यप्रदेश की कृषि उपज मंडियों में किसानों को फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नहीं मिल रहा है। न्यायालयीन आदेशों को धत्ता बताकर किसानों को एमएसपी से कम दाम दिए जा रहे हैं। इस संबंध में दायर एक अवमानना याचिका पर हाईकोर्ट ने सख्त तेवर अपनाए।
एमएसपी से कम कीमत पर फसल नीलाम नहीं की जा सकती
अन्नदाता किसान संगठन समिति के अध्यक्ष मनोहर श्रीवास्तव ने जबलपुर हाईकोर्ट में एक अवमानना याचिका दायर की है। इसमें हाईकोर्ट को बताया गया कि प्रदेशभर में मंडियों में किसानों को एमएसपी से कम कीमत मिल रही है। यह हाल तब है जबकि 2018 में खुद हाईकोर्ट यह स्पष्ट आदेश दे चुका कि एमएसपी से कम कीमत पर किसानों की फसल नीलाम नहीं की जा सकती।
पीठ ने सरकारी रुख पर कड़ी टिप्पणी की
हाईकोर्ट में याचिका पर सुनवाई के दौरान मनोहर श्रीवास्तव के अधिवक्ता ने अपना पक्ष रखा। इस अवमानना याचिका पर जस्टिस द्वारिकाधीश बंसल की एकलपीठ ने सरकारी रुख पर कड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने मंडियों में एमएसपी से कम कीमत पर सवाल उठाए। जस्टिस द्वारिकाधीश बंसल ने कहा कि जब इस संबंध में पहले ही स्पष्ट आदेश जारी किए जा चुके हैं तो एमएसपी से नीचे खरीदी कैसे की जा रही है! कोर्ट ने मामले में मप्र राज्य कृषि विपणन बोर्ड और राज्य सरकार से जवाब तलब किया है।


