Pawar Family Reunion: महाराष्ट्र की राजनीति किस करवट बैठ रही है, इसका अनुमान लगाना कठिन होता जा रहा है। हाल ही में पूर्व महापौर ने NCP पार्टी को बड़ा झटका दिया है। उन्होंने कई हफ्तों से चल रही महाराष्ट्र की राजनीति में भविष्य को लेकर अनिश्चितता के बाद, कांग्रेस पार्टी में जाने का फैसला लिया है। पुणे के पूर्व महापौर प्रशांत जगताप ने शुक्रवार को कांग्रेस में शामिल होकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के साथ अपने 25 साल के जुड़ाव को समाप्त कर दिया है।
जगताप ने इससे पहले NCP की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। प्रशांत जगताप के इस्तीफे का कारण पुणे में पवार परिवार के फिर से जुड़ने के हाल ही में हुए राजनीतिक घटनाक्रम हैं।
दादर मुख्यालय में हुआ समारोह
पूर्व महापौर प्रशांत जगताप ने कांग्रेस पार्टी का दामन थामते हुए महाराष्ट्र निकाय चुनाव को लेकर बड़ा संदेश दिया है। जगताप का पार्टी में प्रवेश समारोह कांग्रेस के मुंबई स्थित दादर मुख्यालय में हुआ। इस समारोह में पुणे से आए कई समर्थक और कार्यकर्ता उनके साथ शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि मेरी लड़ाई भाजपा और आरएसएस के सांप्रदायिकता और भ्रष्टाचार के खिलाफ है। आज केवल कांग्रेस ही भाजपा का मुकाबला कर सकती है।
सूत्रों के अनुसार, जगताप के इस्तीफे की सूचना सामने आने के तुरंत बाद उन्हें शिवसेना (शिंदे गुट) और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (UBT) दोनों पार्टियों की तरफ से साथ जुड़ना का प्रस्ताव मिला था।
“गांधीवादी विचारधारा को आगे बढाउंगा,” जगताप
कांग्रेस पार्टी को जॉइन करने पर जगताप ने कहा, “मैंने गांधीवादी विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए कांग्रेस में शामिल होने का फैसला किया है।” उन्होंने आगे कहा कि उनका यह निर्णय व्यक्तिगत मतभेदों से प्रेरित नहीं है। मेरे पूर्व अध्यक्ष से मेरा कोई मतभेद नहीं है।” अपना इस्तीफा सौंपने के बाद मीडिया से बात करते हुए जगताप ने स्वीकारा कि पिछले कुछ हफ्तों में हुए घटनाक्रमों के कारण NCP पार्टी के भीतर तीव्र आंतरिक कलह बढ़ी है।
पुनर्मिलन से पार्टी में असंतोष बढ़ा
पूर्व महापौर के अनुसार, पार्टी को छोड़ने का कारण व्यक्तिगत स्वार्थ नहीं बल्कि पार्टी में फैला असंतोष है। जगताप के इस्तीफे की वजह पुणे में पवार परिवार के पुनर्मिलन से जुड़े मामले से है। इस वजह से ही पार्टी में अनिश्चितता आई और सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कई स्थानीय NCP नेताओं में बेचैनी पैदा हुई। शरद पवार और अजित पवार के साथ आने से अनिश्चितताओं के बीच पार्टी के सदस्यों को भविष्य की राजनीति की चिंताओं ने भी प्रभावित किया।
बताया जा रहा है कि नगर प्रमुख और पूर्व महापौर जगताप इस असंतोष में सबसे आगे थे। उन्होंने कहा, “मैं 26 साल तक पार्टी के साथ रहा। मैंने कभी बगावत नहीं की, कभी किसी को धोखा नहीं दिया। अब मैं कांग्रेस में भी वही प्रतिबद्धता दिखाऊंगा।”


