बांका के अमरपुर प्रखंड के धमराय गांव में किसानों की सिंचाई सुविधा को मजबूत करने के उद्देश्य से बनाए जा रहे चेक डैम का निर्माण अब विवादों में घिर गया है। करीब 1335.47 लाख रुपए की भारी-भरकम लागत से बनने वाले इस चेक डैम को लेकर स्थानीय ग्रामीणों ने निर्माण की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि निर्माण एजेंसी सरकारी मानकों की खुलेआम अनदेखी कर घटिया सामग्री का उपयोग कर रही है, जिससे डैम की मजबूती और दीर्घकालिक उपयोगिता पर संकट पैदा हो सकता है। निर्माण की गुणवत्ता पर शुरू से सवाल ग्रामीणों के अनुसार, चेक डैम के निचले हिस्से की दीवार लोकल ईंटों से बनाई जा रही है, जबकि सरकारी मानकों के तहत ऐसे निर्माण में चिमनी ईंट या मजबूत कंक्रीट संरचना का प्रावधान होता है। ग्रामीणों का कहना है कि लोकल ईंट पानी के लगातार दबाव को सहन करने में सक्षम नहीं होती, जिससे भविष्य में दीवार के धंसने या टूटने का खतरा बना रहेगा। ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि इतनी बड़ी राशि की योजना में इस तरह की लापरवाही न सिर्फ सरकारी धन की बर्बादी है, बल्कि किसानों की उम्मीदों के साथ भी खिलवाड़ है। मिट्टी युक्त बालू और पुराने सीमेंट के इस्तेमाल का आरोप स्थानीय निवासी विवेक चौहान ने आरोप लगाया कि निर्माण कार्य में मिट्टी मिली बालू, पुराना और जमा हुआ सीमेंट तथा लोकल ईंटों का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि समय रहते इस पर रोक नहीं लगी, तो यह चेक डैम कुछ ही वर्षों में जर्जर हो सकता है। वहीं, अंकित कुमार सिंह ने बताया कि बालू में साफ तौर पर मिट्टी की मिलावट नजर आ रही है, जो निर्माण की मजबूती को कमजोर करती है। उन्होंने कहा कि सरकारी राशि से बनने वाली योजना में इस तरह की लापरवाही अस्वीकार्य है। पानी के अंदर दीवार खड़ी करने पर भी आपत्ति ग्रामीण राहुल कुमार ने आरोप लगाया कि चेक डैम की दीवार पानी के अंदर ही बिना उचित तकनीकी व्यवस्था के खड़ी कर दी गई है। उन्होंने कहा कि इससे निर्माण की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। राहुल कुमार के अनुसार, इस पूरी प्रक्रिया का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिससे पूरे इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसके अलावा, ग्रामीणों ने डैम में बनाए जा रहे स्टेप्स में पतली और टूटी हुई लोहे की छड़ों के इस्तेमाल का भी आरोप लगाया है। उनका कहना है कि यह न केवल मानकों के खिलाफ है, बल्कि भविष्य में दुर्घटना का कारण भी बन सकता है। ग्रामीणों का विरोध, जांच की मांग निर्माण की गुणवत्ता से नाराज करीब 100 से अधिक ग्रामीणों ने एकजुट होकर विरोध दर्ज कराया है। ग्रामीणों ने मांग की है कि निर्माण कार्य की स्वतंत्र तकनीकी जांच कराई जाए, प्रयुक्त सामग्री की लैब जांच हो और दोषी ठेकेदार व अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। ग्रामीणों का कहना है कि यह चेक डैम क्षेत्र के किसानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे सिंचाई की सुविधा सुदृढ़ होगी। यदि निर्माण में ही लापरवाही बरती गई, तो इसका लाभ किसानों को नहीं मिल पाएगा। प्रशासन की सफाई, जांच के बाद सामग्री हटाने का दावा मामला सामने आने के बाद संबंधित विभाग की ओर से प्रतिक्रिया भी आई है। इस संबंध में एसडीओ, लघु जल संसाधन शिल्पा सोनी ने बताया कि जैसे ही मामला उनके संज्ञान में आया, तत्काल जांच कराई गई। उन्होंने कहा कि जांच के दौरान आपत्तिजनक सामग्री और कार्य को हटवा दिया गया है। एसडीओ ने स्पष्ट किया कि आगे का निर्माण कार्य पूरी तरह सरकारी मानकों के अनुरूप ही कराया जाएगा और गुणवत्ता से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि विभाग निर्माण कार्य पर लगातार निगरानी रखेगा। किसानों की उम्मीदों से जुड़ी है योजना धमराय गांव में बन रहा यह चेक डैम किसानों के लिए सिंचाई का एक महत्वपूर्ण साधन माना जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि निर्माण सही तरीके से हुआ, तो इससे खेतों तक पानी पहुंचेगा और फसल उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। लेकिन यदि गुणवत्ता से समझौता किया गया, तो यह योजना कागजों तक ही सीमित रह जाएगी। फिलहाल, प्रशासन की ओर से कार्रवाई का भरोसा दिया गया है, लेकिन ग्रामीणों की नजरें अब इस बात पर टिकी हैं कि आगे निर्माण वास्तव में मानकों के अनुरूप होता है या नहीं। बांका के अमरपुर प्रखंड के धमराय गांव में किसानों की सिंचाई सुविधा को मजबूत करने के उद्देश्य से बनाए जा रहे चेक डैम का निर्माण अब विवादों में घिर गया है। करीब 1335.47 लाख रुपए की भारी-भरकम लागत से बनने वाले इस चेक डैम को लेकर स्थानीय ग्रामीणों ने निर्माण की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि निर्माण एजेंसी सरकारी मानकों की खुलेआम अनदेखी कर घटिया सामग्री का उपयोग कर रही है, जिससे डैम की मजबूती और दीर्घकालिक उपयोगिता पर संकट पैदा हो सकता है। निर्माण की गुणवत्ता पर शुरू से सवाल ग्रामीणों के अनुसार, चेक डैम के निचले हिस्से की दीवार लोकल ईंटों से बनाई जा रही है, जबकि सरकारी मानकों के तहत ऐसे निर्माण में चिमनी ईंट या मजबूत कंक्रीट संरचना का प्रावधान होता है। ग्रामीणों का कहना है कि लोकल ईंट पानी के लगातार दबाव को सहन करने में सक्षम नहीं होती, जिससे भविष्य में दीवार के धंसने या टूटने का खतरा बना रहेगा। ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि इतनी बड़ी राशि की योजना में इस तरह की लापरवाही न सिर्फ सरकारी धन की बर्बादी है, बल्कि किसानों की उम्मीदों के साथ भी खिलवाड़ है। मिट्टी युक्त बालू और पुराने सीमेंट के इस्तेमाल का आरोप स्थानीय निवासी विवेक चौहान ने आरोप लगाया कि निर्माण कार्य में मिट्टी मिली बालू, पुराना और जमा हुआ सीमेंट तथा लोकल ईंटों का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि समय रहते इस पर रोक नहीं लगी, तो यह चेक डैम कुछ ही वर्षों में जर्जर हो सकता है। वहीं, अंकित कुमार सिंह ने बताया कि बालू में साफ तौर पर मिट्टी की मिलावट नजर आ रही है, जो निर्माण की मजबूती को कमजोर करती है। उन्होंने कहा कि सरकारी राशि से बनने वाली योजना में इस तरह की लापरवाही अस्वीकार्य है। पानी के अंदर दीवार खड़ी करने पर भी आपत्ति ग्रामीण राहुल कुमार ने आरोप लगाया कि चेक डैम की दीवार पानी के अंदर ही बिना उचित तकनीकी व्यवस्था के खड़ी कर दी गई है। उन्होंने कहा कि इससे निर्माण की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। राहुल कुमार के अनुसार, इस पूरी प्रक्रिया का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिससे पूरे इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसके अलावा, ग्रामीणों ने डैम में बनाए जा रहे स्टेप्स में पतली और टूटी हुई लोहे की छड़ों के इस्तेमाल का भी आरोप लगाया है। उनका कहना है कि यह न केवल मानकों के खिलाफ है, बल्कि भविष्य में दुर्घटना का कारण भी बन सकता है। ग्रामीणों का विरोध, जांच की मांग निर्माण की गुणवत्ता से नाराज करीब 100 से अधिक ग्रामीणों ने एकजुट होकर विरोध दर्ज कराया है। ग्रामीणों ने मांग की है कि निर्माण कार्य की स्वतंत्र तकनीकी जांच कराई जाए, प्रयुक्त सामग्री की लैब जांच हो और दोषी ठेकेदार व अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। ग्रामीणों का कहना है कि यह चेक डैम क्षेत्र के किसानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे सिंचाई की सुविधा सुदृढ़ होगी। यदि निर्माण में ही लापरवाही बरती गई, तो इसका लाभ किसानों को नहीं मिल पाएगा। प्रशासन की सफाई, जांच के बाद सामग्री हटाने का दावा मामला सामने आने के बाद संबंधित विभाग की ओर से प्रतिक्रिया भी आई है। इस संबंध में एसडीओ, लघु जल संसाधन शिल्पा सोनी ने बताया कि जैसे ही मामला उनके संज्ञान में आया, तत्काल जांच कराई गई। उन्होंने कहा कि जांच के दौरान आपत्तिजनक सामग्री और कार्य को हटवा दिया गया है। एसडीओ ने स्पष्ट किया कि आगे का निर्माण कार्य पूरी तरह सरकारी मानकों के अनुरूप ही कराया जाएगा और गुणवत्ता से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि विभाग निर्माण कार्य पर लगातार निगरानी रखेगा। किसानों की उम्मीदों से जुड़ी है योजना धमराय गांव में बन रहा यह चेक डैम किसानों के लिए सिंचाई का एक महत्वपूर्ण साधन माना जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि निर्माण सही तरीके से हुआ, तो इससे खेतों तक पानी पहुंचेगा और फसल उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। लेकिन यदि गुणवत्ता से समझौता किया गया, तो यह योजना कागजों तक ही सीमित रह जाएगी। फिलहाल, प्रशासन की ओर से कार्रवाई का भरोसा दिया गया है, लेकिन ग्रामीणों की नजरें अब इस बात पर टिकी हैं कि आगे निर्माण वास्तव में मानकों के अनुरूप होता है या नहीं।


