Sambhar Lake : विश्व प्रसिद्ध सांभर झील इन दिनों सतरंगी नजर आ रही है। इसकी प्रमुख वजह नमक निर्माण की प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया कई चरणों से होकर गुजरती है और हर चरण में पानी का रंग अलग-अलग दिखाई देता है। प्रकृति के इन मनमोहक रंगों को फोटो जर्नलिस्ट ने अपने कैमरे में कैद किया है।
27 दिसंबर से शुरू होगा सांभर महोत्सव
सांभर झील में 27 से 31 दिसंबर तक पांच दिवसीय सांभर महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। पर्यटन विभाग की ओर से आयोजित इस महोत्सव का उद्देश्य देशी-विदेशी पर्यटकों को राजस्थान की समृद्ध लोक कला, संस्कृति और अनूठी प्राकृतिक विरासत से परिचित कराना है।
गत वर्ष आयोजित महोत्सव में दिल्ली, चंडीगढ़, गुरुग्राम, गुजरात, मध्य प्रदेश और मुंबई सहित कई राज्यों से बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचे थे। विदेशी सैलानियों की उपस्थिति ने आयोजन को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई। इस वर्ष महोत्सव को और बड़े स्तर पर आयोजित करने का निर्णय लिया गया है।
इसलिए बदलते हैं क्यारियों के रंग
नमक की क्यारियों में पानी का रंग बदलने का मुख्य कारण पानी में मौजूद नमक और अन्य खनिज तत्वों की मात्रा तथा उनसे होने वाली रासायनिक प्रक्रियाएं हैं। पानी में घुले आयरन, सल्फेट्स, कैल्शियम और मैग्नीशियम के कारण पानी लाल, हरा, नीला या भूरा दिखाई दे सकता है।
गर्मी बढ़ने पर पानी का वाष्पीकरण तेज हो जाता है, जिससे लवण और खनिजों की सांद्रता बढ़ जाती है और रंग में बदलाव आता है। कई बार फाइटोप्लैंकटीन जैसे सूक्ष्मजीवों की वृद्धि से भी पानी का रंग बदलता है। इनमें खासकर डायटम शैवाल और आर्किबैक्टीरिया पानी को हरा, लाल, गुलाबी या इंद्रधनुषी रंग प्रदान करते हैं।
फैक्ट फाइल
प्रतिवर्ष नमक उत्पादन : 2000 करोड़ रुपए।
कैचमेंट एरिया : 7500 वर्ग किमी।
लंबाई : 35.5 गुणा 9.5 किमी।
औसत गहराई : 0.61 मीटर।
परिधि : 96 किलोमीटर।
फैलाव : डीडवाना-कुचामन, अजमेर, जयपुर, सीकर जिले।


