अजमेर। राज्य के सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों की डिग्री, डिप्लोमा, मार्कशीट और माइग्रेशन सर्टिफिकेट पर क्यूआर कोड अंकित करना अनिवार्य कर दिया गया है। फर्जी डिग्री और दस्तावेजों के जरिए नौकरी पाने वाले गिरोह पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने आरपीएससी के आग्रह पर यह कदम उठाया है। भर्ती प्रक्रियाओं के दौरान कई मामलों में संदिग्ध दस्तावेज सामने आते रहे हैं। इनकी जांच में काफी समय लगता है।
आरपीएससी ने विश्वविद्यालयों की डिग्री, डिप्लोमा, मार्कशीट और माइग्रेशन से जुड़े कई बदलावों के सुझाव सरकार को भेजे थे। उच्च शिक्षा विभाग 26 सितंबर को राज्य के सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों को निर्देश जारी कर चुका है।
एक क्लिक पर खुलेगा मूल रिकॉर्ड
भर्ती संस्थान अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की पुष्टि एक क्लिक पर संबंधित विश्वविद्यालय के मूल रिकॉर्ड से सीधे कर सकेंगे। इससे भर्ती प्रक्रिया में तेजी आएगी और दस्तावेजों में विसंगतियों को पकड़ा जा सकेगा। डिग्री और सर्टिफिकेट पर प्रिंट किए गए क्यूआर कोड को स्कैन करते ही अभ्यर्थी का पूरा रिकॉर्ड विश्वविद्यालय के डेटाबेस से मिलान किया जा सकेगा।
स्टैंडर्ड एनरोलमेंट सिस्टम
सभी विश्वविद्यालयों को एनरोलमेंट (नामांकन) की एक मानक व्यवस्था लागू करने को कहा गया है। प्रतिवर्ष विद्यार्थियों को वर्षवार और क्रमवार एनरोलमेंट नंबर आवंटित किए जाएंगे। इससे रिकॉर्ड में हेराफेरी संभव नहीं होगी। क्यूआर कोड केवल डिग्री तक सीमित नहीं रहेगा। यह प्रोविजनल सर्टिफिकेट, माइग्रेशन और अन्य प्रमाण पत्रों पर भी लागू होगा।
पारदर्शिता बढ़ेगी
‘भर्ती परीक्षाओं के बाद कई अभ्यर्थी बैकडेट में बनी फर्जी डिग्रियां पेश कर आपराधिक कृत्य करते हैं। नई व्यवस्था से पारदर्शिता बढ़ेगी। दस्तावेजों की प्रमाणिकता डिजिटली वेरीफाइड होने से भर्ती प्रक्रिया में भी तेजी आएगी।’ -रामनिवास मेहता, सचिव, आरपीएससी


