नागौर. इस साल हुई तेज बरसात ने पार्कों की हालत खराब कर दी। शहर का बख्तासागर तालाब भी इसी फेरहिस्त में शामिल है। इस साल आई बरसात के चलते बख्तासागर तालाब स्थित पार्क को भी भारी नुकसान झेलना पड़ा। बरसात के दौरान पार्क में आठ से दस फीट तक पानी जमा रहा और कई दिनों तक निकासी की कोई व्यवस्था नहीं हो सकी। लंबे समय तक पानी भरे रहने से पार्क के पौधे, झाडिय़ां और छोटे पेड़ पूरी तरह नष्ट हो गए। पानी उतरने के बाद हरियाली तो सूख गई, लेकिन उसके साथ आई गंदगी, कचरा और दुर्गन्ध आज तक वहीं जमी हुई है।
पानी उतरा, जिम्मेदारी भी उतरी, नगरपरिषद की चुप्पी
बरसात खत्म हुए काफी समय बीत चुका है, लेकिन नगरपरिषद की ओर से न तो व्यापक सफाई कराई गई और न ही पार्क को दोबारा संवारने की कोई ठोस पहल नजर आई। हालात यह हैं कि पार्क में प्रवेश करते ही जली हुई बेतरतीब घास और सूखे पौधे सामने आ जाते हैं। अंदर की ओर बढऩे पर जगह-जगह कचरे के ढेर, सूखी झाडिय़ां और बदहाल पगडंडियां पार्क की दुर्दशा को उजागर करती हैं। पार्क के भीतर प्रवेश करने पर सामने नजर आते हैं कई छोटे पेड़ पूरी तरह झुलस चुके हैं। पत्तियां सूखकर गिर चुकी हैं और क्यारियां अपनी पहचान खो चुकी हैं। कुछ हिस्सों में गंदगी और सड़ी घास से तेज दुर्गन्ध उठ रही है, जिससे सुबह-शाम टहलने आने वाले लोग खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। कभी परिवारों और बच्चों से गुलजार रहने वाला पार्क अब वीरानी और अव्यवस्था की तस्वीर बन चुका है।
तो हालात इतने खराब नहीं होते
बख्तासागर तालाब पार्क के विकास और सौंदर्यीकरण पर लाखों रुपये खर्च किए गए थे, लेकिन मौजूदा हालात में वह राशि बेकार जाती नजर आ रही है। नियमित देखरेख और समय पर सफाई नहीं होने से पार्क धीरे-धीरे अपनी उपयोगिता खो रहा है। जलभराव के बाद भी यदि समय रहते घास कटाई, पौध संरक्षण और कचरा हटाने का काम किया जाता तो हालात इतने खराब नहीं होते।
पूरे परिसर में अव्यवस्था, सुधार की मांग तेज
पार्क के एक सिरे से दूसरे सिरे तक घूमने पर हर ओर अव्यवस्था ही दिखाई देती है। पार्क में घूमने आए रामेश्वर, रामप्रताप, पुरुषोत्तम, हरिराम, , रामसिंह, रामनिवास, नितेश, मानक , शिवकुमार एवं बजरंगलाल से बातचीत हुई तो इनका था कि सूखी झाडिय़ां, उखड़े पौधे और फैली गंदगी यह सवाल खड़ा करती है कि क्या नगरपरिषद की जिम्मेदारी सिर्फ पार्क बनवाने तक ही सीमित थी। बख्तासागर पार्क में तुरंत विशेष सफाई अभियान चलाया जाए, मृत पौधों को हटाकर नए पौधे लगाए जाएं और नियमित रखरखाव की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए, ताकि यह पार्क फिर से शहर की पहचान बन सके, न कि लापरवाही की तस्वीर।
जनता बोली: सूख गए पौधे
बरसात का पानी आता है तो फिर बख्तासागर में निकासी का कोई रास्ता नहीं है। इस बार बरसात में पानी आया तो निकासी नहीं होने के कारण 600-700 पौधे सूख गए। यहां की घास आदि भी पूरी तरह से सूख चुकी है।
देवकिशन मांझू, बख्तासागर क्षेत्र
आते ही दुर्गन्ध से होता है सामना
इस पार्क में जब भी आता हूं तो पूरे वातावरण में दुर्गन्ध बनी रहती है। यहां पर न केवल गंदगी है, बल्कि लंबे समय से साफ-सफाई भी नहीं की गई है। यहां पर हरियाली तो अब खत्म हो गई है। केवल गंदगी ही नजर आती है।
मोहम्मद रफीक. बख्तासागर क्षेत्र


