नजर रखिए, नजरिया नहीं- इंस्टाग्राम को लेकर Army की गाइडलाइन, यूट्यूब, एक्स, व्हाट्स ऐप को लेकर ये कहा

नजर रखिए, नजरिया नहीं- इंस्टाग्राम को लेकर Army की गाइडलाइन, यूट्यूब, एक्स, व्हाट्स ऐप को लेकर ये कहा

Indian Army Vs Passive Use: भारतीय सेना ने हनीट्रैप (Honeytrap Prevention)और डेटा लीक होने का तोड़ निकाल लिया (Indian Army Social Media Policy) है। सेना ने अपने जवानों और अधिकारियों के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने के लिए नई गाइडलाइंस जारी की (Indian Army Vs Passive Use) हैं। इस नीति में इंस्टाग्राम, यूट्यूब, एक्स (पूर्व में ट्विटर), क्वोरा, व्हाट्सऐप, टेलीग्राम, सिग्नल, स्काइप और लिंक्डइन जैसे लोकप्रिय प्लेटफॉर्म्स शामिल हैं। मुख्य उद्देश्य यह है कि सेना के कार्मिक सोशल मीडिया से जानकारी तो ले सकें, लेकिन कोई संवेदनशील बात लीक न हो और सुरक्षा से समझौता भी न हो। यह नीति तुरंत प्रभाव से लागू हो गई है और सभी यूनिट्स को भेज दी गई है। ध्यान रहे कि सेना ने हनीट्रैप और डेटा लीक से बचने के लिए 2020 में 89 ऐप्स बैन किए थे। अब ‘पैसिव यूज’ (Passive Use Rules) से जवान जागरूक रहेंगे, लेकिन सक्रिय नहीं रह पाएंगे।

सिर्फ पैसिव यूज की अनुमति (Army Instagram Guidelines)

इंस्टाग्राम के लिए सबसे सख्त नियम बनाए गए हैं। जवानों को सिर्फ देखने और मॉनिटर करने की इजाजत है। कोई कमेंट, लाइक या स्टोरी पोस्ट करना या अपनी राय जाहिर करना पूरी तरह प्रतिबंधित है। इसी तरह यूट्यूब, एक्स, कोरा और इंस्टाग्राम पर सिर्फ पैसिव यूज की अनुमति है, यानी केवल जानकारी हासिल करने के लिए। यहां कोई वीडियो अपलोड करना, पोस्ट शेयर करना या मैसेज भेजना मना है।

इन प्लेटफॉर्म्स पर थोड़ी छूट दी गई है

भारतीय सेना की ओर से मैसेजिंग ऐप्स जैसे व्हाट्सऐप, टेलीग्राम, सिग्नल और स्काइप पर थोड़ी छूट दी गई है। इन पर सामान्य और गैर-गोपनीय जानकारी का आदान-प्रदान किया जा सकता है, लेकिन सिर्फ ज्ञात संपर्कों के साथ। यूजर्स की सही पहचान की जिम्मेदारी खुद यूजर्स की होगी। उन्हें अज्ञात नंबरों या ग्रुप्स से बचना होगा।

अब सेना ने बनाया बैलेंस

लिंक्डइन को प्रोफेशनल यूज के लिए रखा गया है। यहां सिर्फ रेज्यूमे अपलोड करना या संभावित नियोक्ता और कर्मचारियों की जानकारी देखना अनुमत है। कोई सोशल नेटवर्किंग या अनावश्यक पोस्टिंग नहीं की जाए। यह नीति इसलिए जरूरी हुई, क्योंकि पहले हनीट्रैप और विदेशी एजेंसियों के जाल में फंसने के कुछ मामले सामने आए थे। साल 2020 में तो कई ऐप्स डिलीट करने के आदेश दिए गए थे। अब सेना ने बैलेंस बनाया है – जानकारी तो मिले, लेकिन सक्रिय भागीदारी न हो। इससे जवान अपडेट रहेंगे, लेकिन सुरक्षा मजबूत बनी रहेगी।

सोशल मीडिया पर रिएक्ट करने से बचें: जनरल उपेंद्र द्विवेदी

उल्लेखनीय है कि सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने हाल ही में कहा था कि सोशल मीडिया पर रिएक्ट करने से बचना चाहिए और रिस्पॉन्ड करने में सोच-समझकर कदम उठाना चाहिए। यह नीति उसी दिशा में एक कदम है। जवानों को अनुशासन के साथ डिजिटल दुनिया से जुड़ने का मौका मिलेगा।

नियमों का पालन न करने पर सख्त कार्रवाई

यह बदलाव युवा जवानों के लिए भी राहत की बात है, जो सोशल मीडिया के आदी हैं। लेकिन नियमों का पालन न करने पर सख्त कार्रवाई हो सकती है। कुल मिलाकर, यह नीति सेना की आधुनिकता और सुरक्षा दोनों को ध्यान में रखती है। आने वाले समय में और अपडेट संभव हैं, ताकि तकनीक का बिना जोखिम के फायदा उठाया जा सके।

अब जानकारी के लिए छूट अच्छी है (General Upendra Dwivedi)

रक्षा विशेषज्ञ और पूर्व अधिकारी: इन्होंने इसे सुरक्षा के लिहाज से सही कदम बताया। कई ने कहा कि हनीट्रैप के मामलों के बाद यह जरूरी था, लेकिन अब जानकारी के लिए छूट मिलना अच्छी बात है।

सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी: हाल की चर्चा में सोशल मीडिया पर ‘रिएक्ट न करें, रिस्पॉन्ड करें’ का संदेश दिया, जो इस नीति से मेल खाता है।

सोशल मीडिया यूजर्स: कुछ ने मजाक में कहा, “आर्मी वाले अब इंस्टा पर स्क्रॉल करेंगे लेकिन लाइक नहीं!”, जबकि कई यूजर्स ने इस अनुशासन की तारीफ की।

नई गाइडलाइंस के कुछ पहलू

नीति सभी यूनिट्स में लागू हो चुकी है और मॉनिटरिंग शुरू हो गई है।

कोई उल्लंघन पकड़े जाने पर जांच और कार्रवाई का प्रावधान है।

आगे और प्लेटफॉर्म्स को शामिल करने या नियमों में बदलाव संभव है।

जवानों को ट्रेनिंग सेशंस में इन गाइडलाइंस की जानकारी दी जाएगी।

सोशल मीडिया : युवा पीढ़ी का प्रभाव

आज के युवा जवान सोशल मीडिया से जुड़े रहना चाहते हैं, यह नीति उन्हें बिना जोखिम के जोड़े रखेगी।

नियम : अन्य बलों से तुलना

वायुसेना और नौसेना में भी इसी तरह के नियम हैं, लेकिन आर्मी का यह अपडेट सबसे चर्चित है।

डिजिटल युग की चुनौती

सेना अब ऑपरेशंस में भी सोशल मीडिया मॉनिटर करती है, इसलिए जवानों को ट्रेंड्स समझने की जरूरत है।

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