कोटा में जबरण धर्म परिवर्तन कराने के आरोपियों को पुलिस एक महीने में भी ढूंढ नहीं पाई। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आरोपी अरुण जॉन (39) निवासी बेरशेबा चर्च, कैनाल रोड बोरखेड़ा को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था। लेकिन आरोपी ने नोटिस का जबाब नहीं दिया। पुलिस की टीम आरोपी के पते पर पहुंची तो आरोपी वहां नहीं मिला। दूसरा आरोपी चंडी वर्गिस (61) निवासी न्यू रंजीत नगर पटेल नगर मध्य दिल्ली भी पुलिस पकड़ से दूर है। इस बारे में बोरखेड़ा थाना सीआई अनिल टेलर का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है। इधर फरियादी योगेश रेनवाल (बजरंग दल प्रांत संयोजक) का कहना है कि मुकदमा दर्ज होने के बाद एक महीने में भी पुलिस दोनों पादरियों को गिरफ्तार नहीं कर सकी है। इस कारण ईसाई मिशनरियों का मनोबल बढ़ा हुआ। ओर हर जगह जाकर दलित, गरीब परिवारों को बरगलाकर धर्मांतरण की मुहिम में लगे है। दोनों आरोपियों को जल्द गिरफ्तारी नहीं होने पर हिंदू संगठन आंदोलन करेंगे। ये था मामला कोटा के बोरखेड़ा इलाके में कैनाल रोड स्थित बीरशेबा चर्च में 4 से 6 नवंबर के बीच आत्मिक सत्संग’ के नाम से लोगों को जमा किया था। सत्संग में ईसाई मिशनरियों ने उपदेश दिए। कार्यक्रम के दौरान न सिर्फ हिंदू समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक बातें कहीं। बल्कि राजस्थान सरकार को भी ‘शैतान का राज’ बताकर टिप्पणी की थी। सत्संग के वीडियो फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुए। बजरंग दल प्रांत संयोजक योगेश रेनवाल ने 16 नवंबर को बोरखेड़ा थाने में शिकायत दी। जिसपर 20 नवंबर को पुलिस ने राजस्थान प्रोहिबिशन ऑफ अनलॉफुल कन्वर्जन ऑफ रिलिजन एक्ट-2025 (धर्मांतरण विरोधी कानून) में दोनों पादरियों अरुण जॉन व चंडी वर्गिस के खिलाफ केस दर्ज किया। गिरफ्तारी से बचने के लिए दोनों ईसाई मिशनरियों धारा 482 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के तहत डीजे कोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी लगाई थी। मामला डीजे कोर्ट से सुनवाई के लिए ADJ 2 कोर्ट में ट्रांसफर हुआ। दोनों पक्षों के प्रार्थना पत्र पर बहस सुनने के बाद ADJ 2 कोर्ट ने अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी थी।


