टोंक। स्वतंत्रता के दशकों बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की कमी रही है। इन सुविधाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 25 दिसंबर 2000 को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) की शुरुआत की। टोंक जिले में लगभग 352 करोड़ रुपए की लागत से 1461 किलोमीटर लंबाई की सड़कों का निर्माण कराया गया, जिससे 238 बसावटें ऑलवेदर पक्की सड़कों से जुड़ सकी। सड़क निर्माण ने ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसरों तक पहुंच को भी मजबूत किया।
प्रथम चरण में टोंक जिले में लगभग 211 करोड़ रुपए की लागत से 1136 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया और 238 बसावटों को जोड़ा गया। साथ ही 347 किलोमीटर सड़कों का चौड़ाईकरण एवं सुदृढ़ीकरण भी किया गया। इस योजना का उद्देश्य सामान्य क्षेत्रों की 500 से अधिक तथा मरुस्थलीय और आदिवासी क्षेत्रों की 250 से अधिक आबादी वाली बसावटों को सर्वकालिक पक्की सड़कों से जोड़ना था। योजना के दूसरे चरण में 32 करोड़ रुपए की लागत से 84 किलोमीटर सड़कों का चौड़ाईकरण और सुदृढ़ीकरण कराया गया।
32 सड़कों का चौड़ाईकरण
तीसरे चरण में ग्रामीण संपर्क मार्गों और मौजूदा सड़कों का उन्नयन किया गया, जिससे कृषि बाजारों, कॉलेजों, अस्पतालों और किसान आधारित उद्यमों तक त्वरित एवं सुगम संपर्क सुनिश्चित हो सके। इस चरण में 109 करोड़ रुपए की लागत से 241 किलोमीटर की 32 सड़कों का चौड़ाईकरण एवं सुदृढ़ीकरण पूरा किया गया।
2089 करोड़ की लागत से बनेगी 3219 किलोमीटर तक सड़क
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के चौथे चरण में प्रदेश की 1638 बसावटों को ऑलवेदर सड़कों से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। प्रथम फेज में 1216 बसावटों के लिए सड़कों और एक पुल का निर्माण प्रस्तावित है। इस चरण में लगभग 2089 करोड़ रुपए की लागत से 3219 किलोमीटर नई सड़कों का निर्माण कराया जाएगा।


