BMC Election: मनसे का साथ क्या उद्धव ठाकरे से छीन लेगा हिंदी भाषियों के वोट? आनंद दुबे ने दिया जवाब

BMC Election: मनसे का साथ क्या उद्धव ठाकरे से छीन लेगा हिंदी भाषियों के वोट? आनंद दुबे ने दिया जवाब

Uddhav Thackeray Raj Thackeray BMC election: साल 2025 महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े बदलाव का गवाह बना। वैचारिक मतभेदों को भुलाकर ठाकरे बंधु करीब 20 साल बाद एक मंच पर आए और अब दोनों साथ मिलकर BMC चुनाव लड़ने जा रहे हैं। उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) और राज ठाकरे की मनसे (महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना) का गठबंधन 15 जनवरी, 2026 को होने वाले मुंबई महानगर पालिका (BMC) में क्या कमाल दिखाएगा, फिलहाल कुछ कहना मुश्किल है। हालांकि, माना जा रहा है कि ठाकरे ब्रदर्स का एक साथ आना मराठी वोटों को एकजुट कर सकता है। ‘पत्रिका’ के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में शिवसेना UBT के सीनियर लीडर और प्रवक्ता आनंद दुबे ने इस गठबंधन, स्थानीय निकाय चुनावों में महाविकास आघाडी (MVA) के प्रदर्शन और कांग्रेस के रुख पर खुलकर बात की है।

स्थानीय निकाय चुनावों में MVA के खराब प्रदर्शन की वजह?

निकाय चुनाव छोटे स्तर पर होते हैं, इसमें ज्यादा पैसा खर्च नहीं होता। लेकिन भाजपा ने इन चुनावों को भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। धन-बल का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया। पूरी सरकार जीत के लिए मैदान में उतर आई। भाजपा पिछले काफी समय से महाराष्ट्र की सत्ता में है और जिसकी सरकार होती है उसके चुनाव जीतने की संभावना बढ़ जाती है। क्योंकि पूरी सरकारी मशीनरी उसकी तरफ से काम करती है। दूसरी बात, भाजपा पिछले काफी समय से इन चुनावों की तैयारी में लगी थी। चूंकि चुनाव आयोग उनका खास दोस्त है, इसलिए उन्हें पहले से ही पता था कि चुनाव कब होंगे। हमारे पास यह एडवांटेज नहीं थी। इसके अलावा, हम भाजपा जितना पैसा खर्च करने के स्थिति में भी नहीं हैं।

मुंबई महानगर पालिका उद्धव ठाकरे की पारंपरिक सियासी जमीन मानी जाती है, पार्टी को क्या उम्मीद है?

मुंबई महानगर पालिका का चुनाव निकाय चुनाव से बिल्कुल अलग है। यहां धन-बल का इस्तेमाल नहीं हो सकता, क्योंकि मुंबई की जनता जागरुक और स्वभामानी है। वह सही और गलत में भेद करना बखूबी जानती है। मुंबई के मतदाताओं का शिवसेना (UBT) के साथ एक खास जुड़ाव है और यह जुड़ाव इस चुनाव में भी नजर आएगा। हमें पूर्ण विश्वास है कि 16 जनवरी को चौंकाने वाले नतीजे आएंगे। हमारे लिए समाधान होगा और वे आश्चर्य चकित हो जाएंगे।

कांग्रेस ने BMC चुनाव अकेले लड़ने का फैसला लिया है, क्या इसे MVA में टूट के तौर पर देखा जाना चाहिए?

कांग्रेस का फैसला उसे मुबारक। कांग्रेस का मुंबई में कोई जनाधार नहीं है। वह एक पर्यटक की तरह है – आओ, घूमो, प्रचार करो और भाग जाओ। इसलिए उसे गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है। BMC का चुनाव भाजपा और शिवसेना के बीच लड़ा जाएगा। कांग्रेस दर्शक दीर्घा में बैठकर ऑडियंस की भूमिका निभाएगी। जहां तक बात MVA की है, तो उसका समय 2029 में आएगा। MVA गठबंधन असेंबली और इंडिया गठबंधन पार्लियामेंट के लिए बना था। अभी इसमें चार साल का समय है और इसलिए अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी।

मनसे का जनाधार चुनाव-दर-चुनाव गिरता रहा है, तो ऐसे गठबंधन से क्या लाभ होगा?

राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे, दोनों मराठी मानुष की बात करते हैं। ऐसे में एक साथ आकर वह ज्यादा मजबूती से अपनी बात रख पाएंगे। राज ठाकरे हमेशा देशभक्ति की बात करते हैं और उनके अंदर लोग बाला साहब की छवि भी देखते हैं। उनकी भाषण कला के सभी कायल हैं। वहीं, उद्धव ठाकरे शांत स्वभाव के हैं और कोरोना महामारी के दौरान उनके द्वारा किए गए कार्यों को आज भी सराहा जाता है। आदित्य और अमित ठाकरे युवा नेता हैं। इस तरह, पूरा ठाकरे परिवार इस बार मिलकर काम करेगा और हमें जीत का पूरा विश्वास है।

मुंबई में बड़ी संख्या में हिंदीभाषी रहते हैं। मनसे भाषाई विवाद को हवा देती रही है। क्या इससे शिवसेना UBT को नुकसान नहीं होगा?

ऐसी कोई आशंका नहीं है। मनसे ने कभी भी उत्तर भारतीयों का विरोध नहीं किया। उसका केवल यही कहना है कि महाराष्ट्र में रहने वाले गैर-मराठियों को यहां की संस्कृति और भाषा का अपमान नहीं करना चाहिए। प्यार-मोहब्बत से रहो, तिल-गुड़ खाओ, मीठा-मीठा बोलो। महाराष्ट्र के लोग श्रीराम को बहुत मानते हैं और उत्तर भारतीय भी, राम ही दोनों को जोड़कर रखते हैं। एक-दो घटनाओं को छोड़ दें, तो राज्य में शांति है। हां, अगर कोई महाराष्ट्र का अपमान करता है, तो स्थानीय लोगों का क्रोधित होना स्वाभाविक है। हमें पूर्ण विश्वास है कि इन बातों को छोड़कर सभी मुंबई को बचाने का प्रयास करेंगे। मराठी और उत्तर भारतीय मिलकर इस चुनाव में भाजपा का सूपड़ा साफ करेंगे।

तो क्या मान लिया जाए कि शिवसेना UBT भी मनसे की हिंसक राजनीति का समर्थन करेगी?

मनसे हिंसा नहीं करती। एक-दो मामलों को छोड़ दें तो ऐसा कुछ भी नहीं है। मनसे कानूनी प्रक्रिया का पालन करती है।

यदि परिणाम पक्ष में नहीं आते, तो क्या शिवसेना UBT के भाजपा के साथ जाने की गुंजाइश बन सकती है?

कल क्या होगा, क्या नहीं, कैसे बताया जा सकता है। आज की बात करें, फिलहाल ऐसी कोई गुंजाइश नहीं है।

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