देवास जिले के सतवास कस्बे में एक दंपती के कथित तौर पर आग लगाने के मामले में एक नया वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में दंपती तहसीलदार से बहस करने के साथ माचिस जलाने की कोशिश कर रहे हैं तभी एक महिला उनपर बोतल में रखा पदार्थ फेंकती है और अचानक आग लग जाती है। साथ ही ये भी खुलासा हुआ है कि जिस मकान के अतिक्रमण को लेकर ये पूरा घटनाक्रम और विवाद हुआ, वो पिछले 5 महीने से चल रहा था। पहले भी पड़ोसियों ने अतिक्रमण की शिकायत की थी जिसके बाद कुछ दिनों तक इसके निर्माण पर रोक लग गई थी। बता दें कि सतवास बस स्टैंड पर स्टेशनरी और फोटोकॉपी की दुकान चलाने वाले संतोष व्यास वार्ड नंबर 5 में मकान बनवा रहे हैं। प्रशासन को शिकायत की गई थी कि व्यास ने नाली पर अतिक्रमण किया है। 24 दिसंबर की दोपहर तहसीलदार अरविंद दिवाकर जेसीबी मशीन के साथ अतिक्रमण हटाने के लिए मौके पर पहुंचे थे। कार्रवाई के दौरान संतोष और उनकी पत्नी जयश्री व्यास की तहसीलदार से बहस हो गई। दंपती ने तहसीलदार के सामने ही कथित तौर पर अपने ऊपर पेट्रोल डालकर आग लगा ली। दोनों को इंदौर रेफर किया गया जहां जयश्री की हालत गंभीर है। इस घटना से गुस्साए लोगों ने 6 घंटे तक चक्काजाम किया। प्रशासन ने तहसीलदार और नगर पालिका सीएमओ को तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए मामले की जांच के लिए कमेटी बनाई है। पढ़िए रिपोर्ट एक नाली से शुरू हुआ विवाद
विवाद की जड़ सतवास बस स्टैंड क्षेत्र में स्टेशनरी और फोटोकॉपी की दुकान चलाने वाले संतोष व्यास के एक निर्माणाधीन मकान से जुड़ी है। संतोष व्यास वार्ड नंबर 5 की शास्त्री कॉलोनी में एक पुराना मकान खरीदकर, उसे तोड़कर नया निर्माण करवा रहे थे। यहीं उनके पड़ोसी मोहनदास बैरागी और कुछ अन्य लोगों ने प्रशासन से शिकायत की। शिकायत में आरोप लगाया गया कि संतोष व्यास सार्वजनिक गंदे पानी की नाली के ऊपर निर्माण कर रहे हैं, जिससे नाली की निकासी का रास्ता बंद हो गया है। शिकायतकर्ताओं का कहना था कि इससे पानी उनके घरों और आम रास्ते पर भर रहा है, जिससे गंदगी और महामारी फैलने का खतरा पैदा हो गया है। इसी शिकायत के आधार पर बुधवार दोपहर को सतवास के तहसीलदार अरविंद दिवाकर, नगर परिषद के अमले और एक जेसीबी मशीन के साथ मौके पर पहुंचे। उनका उद्देश्य कथित अतिक्रमण को हटाना था। इसी दौरान संतोष व्यास और उनकी पत्नी की तहसीलदार और टीम से तीखी बहस हो गई। परिजन के अनुसार, वे कार्रवाई के लिए लिखित आदेश मांग रहे थे, जो उन्हें नहीं दिखाया गया। बहस के कुछ ही पलों में यह खौफनाक घटना घट गई। 5 महीने से चल रहा विवाद
यह विवाद अचानक पैदा नहीं हुआ, बल्कि ये पिछले चार-पांच महीने से भीतर ही भीतर सुलग रहा था। 8 अगस्त 2025: मिली थी निर्माण की अनुमति
दस्तावेजों के अनुसार, नगर परिषद की तरफ से संतोष व्यास को मकान निर्माण की विधिवत अनुमति दी गई थी। 8 अगस्त 2025 को ये अनुमति पत्र जारी हुआ था। इसमें स्पष्ट लिखा था कि यह स्वीकृति 7 अगस्त 2028 तक मान्य रहेगी। इसमें यह भी शर्त थी कि निर्माण पूरा होने के 15 दिन के भीतर परिषद को सूचित करना होगा। संतोष व्यास ने बताया था कि उन्होंने यह 40 साल पुराना जर्जर मकान खरीदा था और वे इसे फिर से बना रहे हैं। 20 अगस्त 2025: शिकायत के बाद निर्माण पर रोक
निर्माण शुरू होते ही पड़ोसियों ने नाली पर अतिक्रमण की शिकायत कर दी। इस पर प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 20 अगस्त को निर्माण कार्य पर रोक लगा दी। यह रोक कई हफ्तों तक जारी रही। रोक हटी और फिर शुरू हुआ निर्माण
हाल ही में प्रशासन की तरफ से लगाई गई यह रोक हटा दी गई, जिसके बाद संतोष व्यास ने निर्माण कार्य फिर से शुरू किया। 19 दिसंबर को संतोष व्यास ने वन विभाग को एक पत्र भी लिखा, जिसमें उन्होंने अपने 40 साल पुराने जर्जर मकान को तोड़कर पुनर्निर्माण करने की जानकारी दी और पुराने मकान से निकली सागौन की लकड़ियों के सत्यापन का अनुरोध किया। 23 दिसंबर: जनसुनवाई में शिकायत और प्रशासन की सक्रियता
जैसे ही निर्माण दोबारा शुरू हुआ, शिकायतकर्ता मोहनदास बैरागी ने 23 दिसंबर को जनसुनवाई में फिर से शिकायत दर्ज करा दी। जनसुनवाई में हुई शिकायत पर प्रशासन ने इस बार और भी तेजी दिखाई। दो पक्ष, दो अलग-अलग दावे परिजनों का पक्ष: घर के बीच में कौन नाली रखता है?
पीड़ित के परिजन धर्मेंद्र व्यास ने प्रशासन के दावों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, ‘हमने पुराना घर खरीदा था, उसे तोड़कर नया बना रहे हैं। नाली पर अतिक्रमण का सवाल ही नहीं उठता। नाली घर के सामने है, घर के बीच में नहीं। शिकायतकर्ता कह रहे हैं कि घर के अंदर नाली थी, उसे बनाया जाए। आप ही बताइए, घर के बीच में कौन नाली रखता है?’ उन्होंने यह भी बताया कि यह मामला पहले से ही एसडीएम कोर्ट में विचाराधीन था और अगली सुनवाई 29 दिसंबर को होनी थी। उनका आरोप है, ‘जब मामला कोर्ट में था, तो सुनवाई से पहले जेसीबी लेकर कार्रवाई करने क्यों आ गए? हमने कार्रवाई का आदेश मांगा, तो देने से मना कर दिया। नियमानुसार पहले नोटिस दिया जाना चाहिए था, जो नहीं दिया गया।’ प्रशासन का पक्ष: नाले के ऊपर से मकान हटाने की समझाइश दी जा रही थी
देवास कलेक्टर ऋतुराज सिंह ने घटना को दो निजी व्यक्तियों के बीच का विवाद बताया। उन्होंने कहा, “जिनके द्वारा आग लगाई गई है, उनके द्वारा कथित रूप से नाले के ऊपर मकान बना लिया गया था, जिससे 8-10 घरों का पानी रुक रहा था। इसी शिकायत पर नगर पालिका और तहसीलदार मौके पर समझाइश देने गए थे कि नाले के ऊपर से निर्माण हटा लिया जाए। सोशल मीडिया से दंपती द्वारा आग लगाने की जानकारी मिली। यह एक निजी मामला था। फिलहाल, स्थिति को देखते हुए तहसीलदार को वहां से हटाकर देवास कलेक्टर कार्यालय में अटैच कर दिया गया है।” प्रशासनिक कार्रवाई और जनता का आक्रोश
इस घटना के बाद सतवास में माहौल तनावपूर्ण हो गया। नाराज स्थानीय लोगों ने सतवास थाने के सामने चक्काजाम कर दिया और प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। लोगों का आरोप है कि प्रशासन ने संवेदनशीलता नहीं दिखाई और उनकी ज्यादती के कारण यह दुखद घटना हुई। प्रदर्शनकारियों ने तहसीलदार अरविंद दिवाकर पर केस दर्ज करने और नगर पालिका सीएमओ चुन्नीलाल जूनवाल को भी पद से हटाने की मांग की । मामला बढ़ता देख कलेक्टर ने तत्काल प्रभाव से तहसीलदार को देवास अटैच करते हुए निलंबित कर दिया। इन सवालों का प्रशासन के पास जवाब नहीं
सतवास दंपती अग्निकांड का नया VIDEO:महिला ने कुछ फेंका और आग लगी, व्यास दंपती का 5 महीने से चल रहा था पड़ोसियों से विवाद


