खालसा इंटर कॉलेज में चार साहिबजादों और माता गुजरी जी की शहादत को समर्पित एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि राज्य मंत्री सरदार बलदेव सिंह औलख ने कहा कि सिख गुरुओं और चार साहिबजादों की शहादत का इतिहास गौरवशाली है, जिससे नई पीढ़ी को परिचित होना चाहिए। उन्होंने गुरु गोबिंद सिंह जी के देश, धर्म और मानव मूल्यों की रक्षा के लिए दिए गए अद्वितीय पारिवारिक बलिदान का भी उल्लेख किया। राज्य मंत्री औलख ने आगे कहा कि सनातन धर्म आज गुरु तेग बहादुर जी और चार साहिबजादों की शहादत के कारण ही जीवंत है। उन्होंने ऐसी शहीद गाथाओं पर निरंतर संगोष्ठियां आयोजित करने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि युवा पीढ़ी सहित पूरा समाज सिख गुरुओं के बलिदान से प्रेरणा ले सके। मुगल सेना से युद्ध करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए उन्होंने शहादत का विवरण देते हुए बताया कि बड़े साहिबजादे बाबा अजीत सिंह और बाबा जुझार सिंह ने चमकौर के मैदान में मुगल सेना से वीरतापूर्वक युद्ध करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। वहीं, छोटे साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह को सरहिंद के नवाब वजीर खान ने धर्म परिवर्तन से इनकार करने पर दीवार में जिंदा चिनवा दिया था। इस घटना के बाद माता गुजरी जी ने भी अपने प्राण त्याग दिए। औलख ने पोष माह की भीषण सर्दी में ठंडे बुर्ज में साहिबजादों और माता गुजरी जी को दी गई यातनाओं का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि बाबा मोतीराम मेहरा ने मानवता का परिचय देते हुए तीन दिनों तक उन्हें दूध पिलाया, जिसके लिए उन्हें और उनके परिवार को कोल्हू में पिलवाकर शहीद कर दिया गया। चार साहिबजादों की शहादत त्याग, शौर्य और राष्ट्रप्रेम का प्रतीक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी राजीव मेहरोत्रा ने अपने संबोधन में कहा कि चार साहिबजादों की शहादत त्याग, शौर्य और राष्ट्रप्रेम की प्रेरणा देती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि साहिबजादों ने यह सिद्ध कर दिया कि संकल्प के आगे कोई विकल्प नहीं होता। लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष सरदार राजेन्द्र सिंह बग्गा ने गुरु गोबिंद सिंह के आदेशों का पालन करने का आह्वान किया। कार्यक्रम का संचालन शिक्षक जसविंदर सिंह ने किया।


