बरेली। सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ पुलिस ने डिजिटल सिपाही मैदान में उतार दिए हैं। बुधवार को बरेली पुलिस लाइन स्थित रविन्द्रालय में बरेली जोन के एडीजी रमित शर्मा ने डिजिटल वॉलंटियर्स के साथ बैठक कर साफ कर दिया कि अब फेक न्यूज़, अफवाह और साइबर ठगी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
बैठक में बरेली जोन के सभी जनपदों से पहुंचे डिजिटल वॉलंटियर्स, सोशल मीडिया सेल और पुलिस के मीडिया कर्मी मौजूद रहे। एडीजी रमित शर्मा ने कहा कि सोशल मीडिया आज सबसे बड़ा हथियार बन चुका है। इसका सही इस्तेमाल समाज बचाएगा और गलत तरीका समाज बिगाड़ेगा।

फेक न्यूज़ के तीन चेहरे, तीनों खतरनाक
एडीजी ने फेक न्यूज़ को सीधे-सीधे समाज के लिए डिजिटल जहर बताया। उन्होंने बताया कि भ्रामक खबरें तीन तरह से फैलती हैं। जानबूझकर नुकसान पहुंचाने वाली खबरें, गढ़ी गई झूठी सूचनाएं, और बिना सोचे-समझे आगे बढ़ाई गई गलत जानकारियां। उन्होंने चेताया कि अब डीपफेक और एआई से बनी झूठी वीडियो फोटो सबसे बड़ा खतरा हैं, जिनसे दंगे, अफरातफरी और कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है।
व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी पर लगाम कसने की तैयारी
डिजिटल वॉलिंटियर्स की वर्कशाप को संबोधित करते हुए डीआईजी अजय कुमार साहनी ने कहा कि व्हाट्सएप, फेसबुक, एक्स (ट्विटर) और यूट्यूब के जरिए अफवाह फैलाने वालों की पहचान कर कार्रवाई होगी। साइबर थानों के सीयूजी नंबर और थानों की लोकेशन डिजिटल वॉलंटियर्स को दी गई ताकि खबर फैलने से पहले पुलिस तक पहुंचे।

1930 पर कॉल करो, ठगी से बचो
डीआईजी बरेली रेंज अजय कुमार साहनी ने कहा कि साइबर ठगी का शिकार होने पर घबराएं नहीं, सीधे 1930 पर कॉल करें। उन्होंने डिजिटल वॉलंटियर्स से कहा कि वे गांव-गांव, मोहल्ला-मोहल्ला साइबर जागरूकता फैलाएं, ताकि ठगों की दुकान बंद हो सके।
सोशल मीडिया से बने पुलिस के साथी
एसएसपी बरेली अनुराग आर्य ने कहा कि सोशल मीडिया सिर्फ शिकायत का नहीं, पुलिस के अच्छे कामों को सामने लाने का भी मंच है। उन्होंने डिजिटल वॉलंटियर्स को एनसीआरपी पोर्टल से अपराध रिपोर्टिंग की जिम्मेदारी याद दिलाई। वहीं एसपी रामपुर विद्यासागर मिश्र ने दो टूक कहा रियल टाइम मॉनिटरिंग से ही अफवाहों की रीढ़ तोड़ी जा सकती है। जितनी जल्दी सूचना, उतनी जल्दी कार्रवाई।
अब एआई से जवाब देगी पुलिस
बैठक में बरेली जोन के नए एआई पीआरओ जार्विस का भी जिक्र हुआ, जिसे 2025 में लॉन्च किया गया है। पुलिस का दावा है कि अब तकनीक से ही तकनीक का जवाब दिया जाएगा। बैठक के अंत में डिजिटल वॉलंटियर्स ने एक सुर में कहा कि वे अफवाहों, साइबर अपराध और असामाजिक तत्वों के खिलाफ पुलिस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहेंगे।
2015 में मेरठ में बनी थी यूपी की पहली मीडिया लैब, बदली पुलिस की रणनीति
उत्तर प्रदेश में सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव को सबसे पहले भांपते हुए 2015 में मेरठ में प्रदेश की पहली सोशल मीडिया मीडिया लैब की नींव रखी गई थी। तत्कालीन डीआईजी मेरठ रमित शर्मा के नेतृत्व में स्थापित यह लैब उस दौर में पुलिसिंग के लिए मील का पत्थर साबित हुई। इस अत्याधुनिक सोशल मीडिया लैब का उद्देश्य फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप समेत विभिन्न डिजिटल प्लेटफॉर्म और एप्लीकेशनों पर चल रहे संदेशों की सटीक और रियल-टाइम मॉनीटरिंग करना था। लैब के जरिए यह विश्लेषण किया जाता था कि किसी संदेश को कितने लोग देख रहे हैं, उसकी पहुंच कितनी है और उस पर किस प्रकार की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं, सकारात्मक, नकारात्मक या भड़काऊ। मॉनिटरिंग के बाद मिले इनपुट के आधार पर पुलिस प्रशासन आवश्यक कार्रवाई करता था, ताकि अफवाहों, भ्रामक सूचनाओं और कानून-व्यवस्था को प्रभावित करने वाले कंटेंट पर समय रहते लगाम लगाई जा सके। मेरठ में शुरू की गई यह पहल बाद में पूरे उत्तर प्रदेश के लिए मॉडल बनी और डिजिटल युग में पुलिस की रणनीति को नई दिशा देने वाली साबित। इसी कड़ी में अब डिजिटल वॉलिंटियर्स को पुलिस का ब्रह्मास्त्र बनाने की तैयारी की जा रही है।


