Human Senses: इंसान के पास सिर्फ 5 नहीं, 30 से ज्यादा इंद्रियां? वैज्ञानिकों का चौंकाने वाला दावा

Human Senses: इंसान के पास सिर्फ 5 नहीं, 30 से ज्यादा इंद्रियां? वैज्ञानिकों का चौंकाने वाला दावा

Human Senses: अब तक हम यही मानते आए हैं कि इंसान के पास सिर्फ पांच इंद्रियां होती हैं देखना, सुनना, सूंघना, चखना और छूना। लेकिन हालिया वैज्ञानिक शोध इस सोच को चुनौती देता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि मानव शरीर और दिमाग मिलकर 30 से ज्यादा तरह की संवेदनाओं को महसूस करने में सक्षम हैं, जिनमें संतुलन, दर्द, तापमान, भूख और शरीर की स्थिति जैसे कई सेंस शामिल हैं। यह दावा न सिर्फ चौंकाने वाला है, बल्कि इंसानी क्षमताओं को समझने का नजरिया भी बदल देता है।

रोजमर्रा की जिंदगी में इंद्रियों का कमाल

सुबह उठते ही टूथपेस्ट की हल्की झनझनाहट, शॉवर में गिरते पानी की आवाज और स्पर्श, शैम्पू की खुशबू और फिर कॉफी की महक ये सब मिलकर हमारे दिन की शुरुआत करते हैं।ग्रीक दार्शनिक अरस्तू ने कहा था कि इंसान के पास सिर्फ पांच इंद्रियां होती हैं। लेकिन उन्होंने यह भी कहा था कि दुनिया पांच तत्वों से बनी है, जिसे हम आज नहीं मानते। अब आधुनिक विज्ञान भी यह बता रहा है कि हमारी इंद्रियां पांच नहीं, बल्कि दर्जनों हो सकती हैं।

 हमारी अनुभूति हमेशा बहु-इंद्रिय होती है

हम दुनिया को अलग-अलग इंद्रियों में बांटकर नहीं महसूस करते। हम एक साथ देखते हैं, सुनते हैं, सूंघते हैं और छूते हैं। यही वजह है कि हमारी अनुभूति हमेशा मिली-जुली होती है।जो हम महसूस करते हैं, वह हमारे देखने को बदल सकता है, और जो हम देखते हैं, वह हमारे सुनने को। जैसे शैम्पू की खुशबू बालों को ज्यादा मुलायम महसूस करा सकती है। गुलाब की खुशबू बालों को और भी रेशमी बना देती है।इसी तरह, कम फैट वाले दही में अगर खुशबू सही हो, तो वह ज्यादा गाढ़ा और स्वादिष्ट लग सकता है बिना किसी अतिरिक्त सामग्री के।

 स्वाद सिर्फ जीभ का खेल नहीं है

जब हम कुछ खाते हैं, तो हम असल में तीन इंद्रियों का अनुभव करते हैं स्वाद, गंध और स्पर्श। जीभ हमें मीठा, नमकीन, खट्टा, कड़वा और उमामी (चटपटा स्वाद) पहचानने में मदद करती है।लेकिन आम, स्ट्रॉबेरी या रसभरी का स्वाद? इसके लिए कोई अलग रिसेप्टर नहीं होता। ये स्वाद हमें नाक और जीभ के मिलकर काम करने से महसूस होते हैं। असल में, स्वाद का बड़ा हिस्सा गंध से आता है।चबाते समय भोजन से निकलने वाली खुशबू गले के पीछे से नाक तक पहुँचती है और वहीं से हमें “फ्लेवर” का एहसास होता है।

 शरीर के अंदर की इंद्रियां

वैज्ञानिकों के अनुसार हमारे पास ऐसी इंद्रियां भी हैं जिनका हमें अक्सर एहसास नहीं होता।

  •  प्रोप्रियोसेप्शन: बिना देखे यह जान लेना कि हमारे हाथ-पैर कहां हैं
  •  इंटरओसेप्शन: दिल की धड़कन तेज होना, भूख लगना या बेचैनी महसूस करना
  •  संतुलन की इंद्रिय: जो आंखों, कानों और शरीर के तालमेल से काम करती है

इंद्रियों पर हो रहा है गहरा शोध

लंदन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने यह दिखाया कि पैरों की आवाज बदलने से इंसान खुद को हल्का या भारी महसूस कर सकता है। संग्रहालयों में अगर चित्रों के ऑडियो गाइड ऐसे हों जैसे तस्वीर में बना व्यक्ति आपसे बात कर रहा हो, तो लोग ज्यादा चीजें याद रखते हैं।हवाई जहाज के शोर की वजह से मीठा और नमकीन स्वाद कम महसूस होता है, लेकिन उमामी नहीं। यही कारण है कि उड़ान में टमाटर का ज्यादा स्वादिष्ट लगता है।

 देखने में भी इंद्रियों की भूमिका

जब आप हवाई जहाज में बैठे होते हैं और उड़ान भरते समय आगे की ओर देखते हैं, तो केबिन ऊपर उठा हुआ लगता है। जबकि असल में कुछ भी बदला नहीं होता। यह भ्रम आपकी आंखों और कानों के संतुलन तंत्र के कारण होता है।

 इंद्रियों का भ्रम भी है दिलचस्प

एक प्रयोग में अलग-अलग आकार के पत्थर उठाने को दिए गए छोटा, मध्यम और बड़ा।ज्यादातर लोगों को छोटा पत्थर सबसे भारी लगता है, जबकि असल में तीनों का वजन बराबर होता है।

जरा ठहरकर महसूस करें

हमारे आसपास हर पल ऐसे छोटे-छोटे अनुभव होते हैं, जो बताते हैं कि हमारी इंद्रियां कितनी खास हैं। जब आप बाहर टहलते हैं और ठंडी हवा महसूस करते हैं, कहीं से आती खुशबू पहचान लेते हैं या खाना खाते समय उसका स्वाद और गर्माहट समझ पाते हैं ये सब इंद्रियों की वजह से ही होता है। अगली बार जब आप कुछ भी करें, थोड़ा रुककर महसूस करें कि आपकी इंद्रियां मिलकर हर अनुभव को कितना खास बना देती हैं।

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