MP-MLA कमीशन से हारे उम्मीदवार को जीत दिलाने तक… मांझी का हर बयान NDA के लिए बन रहा आफत

MP-MLA कमीशन से हारे उम्मीदवार को जीत दिलाने तक… मांझी का हर बयान NDA के लिए बन रहा आफत

जीतन राम मांझी अक्सर अपने विवादास्पद बयानों से चर्चा में रहते हैं। वे कुछ ऐसा बोल जाते हैं कि जिससे उनकी किरकिरी होने लगती है। उनके राजनीतिक बयान की वजह से एनडीए मुसीबत में पड़ता है। हाल ही में उन्होंने राज्यसभा में सीट की मांग को लेकर कहा कि अगर एनडीए में उनकी बात नहीं मानी गई तो वो मंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे। उन्होंने बेटे संतोष सुमन को भी सलाह दी है कि अगर एनडीए में उनकी बात नहीं मानी जाती तो मंत्री पद छोड़ दें। 2026 के राज्यसभा चुनाव से पहले मांझी के इस बयान से सियासी हलचल तेज हो गई है। मांझी के पिछले बयानों से भी राजनीतिक बवाल मच चुका है। मांझी इससे पहले भी हाल ही में तीन ऐसे बयान दिए जिससे राजनीतिक बवाल मच गया था।

गुस्से में मंत्री पद से इस्तीफे की धमकी

जीतन राम मांझी जब भी नाराज होते हैं, मंत्री पद से इस्तीफे की धमकी देते हैं। पिछले साल में ये दूसरी बार है। इससे पहले विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने 15 सीटों की मांग की थी, नहीं मिलने पर इस्तीफे की धमकी दी थी, बाद में पलट गए थे। HAM एनडीए में है, जीतन राम मांझी अपनी पार्टी के इकलौते सांसद हैं।

एमपी-एमएलए कमीशन वसूलते हैं

जीतन राम मांझी के एक बयान ने सबको चौंका दिया था। उन्होंने कहा कि एमपी-एमएलए कमीशन वसूलते हैं, एक रुपया में 10 पैसे कमीशन आता है। उन्होंने बताया कि अपने पार्टी फंड में दिए 40 लाख भी कमीशन से आए थे। उन्होंने बेटे संतोष सुमन से कहा कि विकास फंड से 5-10% कमीशन लेकर पार्टी मजबूत करें, हर विधायक-सांसद ऐसा करता है। राज्यसभा में सीट नहीं मिलता है तो बिहार में मंत्री पद छोड़ दें।

कलक्टर से कह कर हारे को जीत दिला दी थी

जीतन राम मांझी ने एक सभा में कहा था कि उन्होंने 2020 में एक उम्मीदवार को कलक्टर से कहकर 2700 वोटों से जीत दिलाई थी। उनके इस बयान ने विपक्ष के वोट चोरी के आरोप को पुष्ट कर दिया था। एनडीए नेता सकते में आ गए, विपक्ष ने इसे मुद्दा भी बनाया। चर्चा है कि मांझी के बयानों से एनडीए परेशान होकर उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर करने पर विचार कर रहा है।

थोड़ी-थोड़ी पीने की छूट देने की वकालत

शराबबंदी पर जीतन राम मांझी के बयान अलग रहे हैं। वे थोड़ी-थोड़ी पीने की छूट देने की वकालत करते हैं, कहते हैं दिनभर काम करने वाला गरीब 100-200 ग्राम पी ले तो गलत नहीं। पुलिस को ऐसे लोगों को पकड़ना नहीं चाहिए। उनका तर्क है कि शराबबंदी कानून गरीब-मजदूरों को परेशान करता है, बड़े लोग महंगी शराब पीते रहते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *