साल 1976 में भारतीय क्रिकेट टीम, महान स्पिनर बिशन सिंह बेदी की कप्तानी में वेस्टइंडीज के दौरे पर गई थी। चार टेस्ट मैचों की इस सीरीज में पहले तीन मैचों के बाद स्कोर 1-1 से बराबर था। पहला मैच वेस्टइंडीज ने जीता, दूसरा ड्रॉ रहा और तीसरे में भारत ने पोर्ट ऑफ स्पेन में रिकॉर्ड 403 रनों का लक्ष्य चौथी पारी में हासिल कर शानदार जीत दर्ज की। अब चौथा और निर्णायक मैच किंग्सटन के साबिना पार्क में खेला जाना था, जहां दोनों टीमों के लिए सीरीज जीतना जरूरी था।
कैरेबीयाई तेज गेंदबाजों ने भारतीय बल्लेबाजों को तोड़ दिया
इस मैच में वेस्टइंडीज के कप्तान क्लाइव लॉयड ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी चुनी। कैरेबीयाई तेज गेंदबाज माइकल होल्डिंग, वेन डैनियल, बर्नार्ड जूलियन और वैनबर्न होल्डर की आक्रामक गेंदबाजी के सामने भारतीय सलामी बल्लेबाज सुनील गावस्कर और अंशुमन गायकवाड़ ने शानदार शुरुआत दी। दोनों ने मिलकर पहले विकेट के लिए 136 रनों की साझेदारी की, जिससे लंच तक भारत मजबूत स्थिति में था। लेकिन लंच के बाद वेस्टइंडीज की रणनीति बदल गई, उन्होंने एक ओवर में कई बाउंसर और बीमर डालने शुरू कर दिए, जिसका मकसद बल्लेबाजों को आउट करने से ज्यादा डराना और चोट पहुंचाना लग रहा था।
आधे से ज्यादा टीम चोटिल हो गई
इस आक्रामक गेंदबाजी के बावजूद भारतीय बल्लेबाज डटकर मुकाबला करते रहे। गावस्कर 66 रन बनाकर होल्डिंग का शिकार बने। इसके बाद मोहिंदर अमरनाथ (39 रन), गुंडप्पा विश्वनाथ उंगली टूटने से चोटिल होने की वजह से 8 रन बनाकर पवेलाइन लौट गए और बृजेश पटेल मुंह पर चोट लगने से रिटायरहर्ट हो गए।
अंशुमन गायकवाड़ को अस्पताल जाना पड़ा
सबसे दर्दनाक पल तब आया जब 81 रन पर बल्लेबाजी कर रहे अंशुमन गायकवाड़ को होल्डिंग ने तेज बाउंसर से कान के पीछे चोटिल कर दिया। उनकी उंगली पहले ही टूट चुकी थी, चश्मा टूट गया और खून बहने लगा। वे रिटायर्ड हर्ट होकर मैदान से बाहर गए और अस्पताल में भर्ती होना पड़ा, जहां इंटरनल ब्लीडिंग की आशंका जताई गई।
गायकवाड़ के कान की दो सर्जरी हुईं
गायकवाड़ ने बाद में एक इंटरव्यू में बताया था कि वेस्टइंडीज के गेंदबाजों का रवैया था कि अगर आउट नहीं कर सकते, तो तोड़ देते हैं। उन्होंने एक ओवर में पांच बाउंसर तक फेंके। साबिना पार्क की छोटी साइट स्क्रीन और डार्क कॉमेंट्री बॉक्स के कारण होल्डिंग की राउंड द विकेट गेंदें देखना मुश्किल था। चोट के बाद गायकवाड़ ने होल्डिंग की ओर गलत इशारा कर दिया, जिससे होल्डिंग और गुस्से में आ गए और अगली गेंद ने उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया। गायकवाड़ ने कहा, ‘मेरे कान की दो सर्जरी हुईं, आज भी सुनने में दिक्कत होती है, लेकिन कम से कम मैं जिंदा हूं।’
बिशन सिंह बेदी भड़क उठे
ड्रेसिंग रूम में वेस्टइंडीज के मेडिकल स्टाफ ने चोट को हल्का बताकर गायकवाड़ को वापस बल्लेबाजी के लिए फिट घोषित करने की कोशिश की, जबकि भारतीय पक्ष को इंटरनल ब्लीडिंग का डर था। अपने खिलाड़ियों के साथ ऐसा व्यवहार देखकर कप्तान बिशन सिंह बेदी भड़क उठे। विरोध करते हुए उन्होंने पहली पारी 306/6 पर डिक्लेयर कर दी, ताकि उन्हें खुद और भगवत चंद्रशेखर जैसे कमजोर बल्लेबाजों को कैरेबीयाई खतरनाक गेंदबाजों का सामना न करना पड़े।
वेस्टइंडीज ने पहली पारी में 391 रन बनाए। दूसरी पारी में भारत ने शुरुआत अच्छी की, लेकिन जल्दी विकेट गिरे। जब स्कोर 97/5 था, तो कई खिलाड़ी (गायकवाड़, विश्वनाथ, पटेल, बेदी और चंद्रशेखर) चोटिल होने के कारण एब्सेंट हर्ट थे। बेदी ने फिर पारी डिक्लेयर कर दी, क्योंकि कोई फिट बल्लेबाज बचा नहीं था। वेस्टइंडीज ने मात्र 13 रनों का लक्ष्य बिना विकेट खोए हासिल कर 10 विकेट से मैच और 2-1 से सीरीज जीत ली। यह मैच क्रिकेट इतिहास में ‘जमैका का ब्लडबाथ’ के नाम से कुख्यात हो गया, जिसने वेस्टइंडीज की तेज गेंदबाजी की दबदबे की शुरुआत की।


