Copper Price Record: कॉपर की कीमतें पहली बार 12,000 डॉलर प्रति टन के पार पहुंच गई हैं। लंदन मेटल एक्सचेंज पर कॉपर का भाव 12,076 डॉलर के आसपास बना हुआ है, जबकि एक सत्र में यह 12,159 डॉलर के ऑल-टाइम हाई तक गया था। साल 2025 की शुरुआत से अब तक कॉपर की कीमतों में 35% से ज्यादा की तेजी आ चुकी है, जो 2009 के बाद सबसे ज्यादा सालाना बढ़त मानी जा रही है।
सप्लाई पर संकट, हादसे बने कारण
हाल के महीनों में कॉपर की सप्लाई से जुड़ी चिंताओं ने तांबे का भाव तेज करने में अपनी भूमिका निभाई है। इंडोनेशिया की दूसरी सबसे बड़ी कॉपर खदान में दुर्घटना, कांगो में अंडरग्राउंड बाढ़ और चिली की खदान में चट्टान गिरने की घटना से उत्पादन प्रभावित हुआ है। इसके अलावा, चीन के बड़े कॉपर स्मेल्टर्स ने 2026 में 10% से ज्यादा उत्पादन घटाने का फैसला किया है। इन वजहों से वैश्विक सप्लाई और ज्यादा तंग हो रही है, जिसके कारण तांबे के भाव बढ़ते दिख रहे हैं।
डिमांड मजबूत, इलेक्ट्रिफिकेशन और AI का असर
कॉपर की मांग का आउटलुक मजबूत बना हुआ है। बिजली ग्रिड, क्लीन एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर और मैन्युफैक्चरिंग में बड़े पैमाने पर कॉपर की जरूरत है। इसके साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सेक्टर के विस्तार से बिजली की मांग तेजी से बढ़ रही है, जिससे कॉपर की खपत और बढ़ने की उम्मीद है। इलेक्ट्रिफिकेशन ट्रेंड के कारण कॉपर की डिमांड और तेजी से बढ़ रही है। इस ट्रेंड का मतलब है जब ऊर्जा, परिवहन और उद्योग जैसे क्षेत्रों में ईंधन की जगह बिजली का इस्तेमाल तेजी से बढ़ता है, जैसे इलेक्ट्रिक वाहन, रिन्यूएबल एनर्जी और स्मार्ट ग्रिड।
टैरिफ की आशंका, आगे और तेजी की संभावना
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में कॉपर पर इंपोर्ट टैरिफ लगने की आशंका इस साल कीमतों में तेजी की बड़ी वजह रही है। ऊंचे दामों से बचने के लिए अमेरिकी खरीदार पहले ही कॉपर खरीदकर गोदामों में जमा कर रहे हैं, जिससे इन्वेंट्री बढ़ रही है। सिटीग्रुप का मानना है कि कमजोर डॉलर और संभावित ब्याज दर कटौती की स्थिति में कॉपर 15,000 डॉलर प्रति टन तक जा सकता है। वहीं, मॉर्गन स्टैनली के एनालिस्ट का अनुमान है कि अगले साल कॉपर की मांग सप्लाई से करीब 6 लाख टन ज्यादा हो सकती है, जिससे आगे और दबाव बन सकता है।


