जयपुर। राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायतीराज संस्थाओं और शहारी निकायों को लेकर दो अलग-अलग अधिसूचनाएं जारी कर चुनावी तैयारी शुरू कर दी। सरपंच से जिला परिषद सदस्य तक चुनाव खर्च की सीमा दोगुनी कर दी, वहीं नगरपालिका सदस्य-नगर परिषद व नगर निगम पार्षद के लिए खर्च सीमा 50 हजार से एक लाख रुपए तक बढ़ा दी। इन चुनावों में उम्मीदवार प्रचार में बड़े वाहन बस, ट्रक, मिनी बस, मेटाडोर और पशुओं से चलने वाले तांगा, बैलगाड़ी, ऊंटगाड़ी का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे।
चुनाव खर्च की सीमा दोगुना तक बढ़ाई
राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार अब सरपंच के दावेदार 50 हजार के बजाय एक लाख रुपए, पंचायत समिति सदस्य प्रत्याशी 75 हजार के बजाय 1.50 लाख और जिला परिषद सदस्य प्रत्याशी 1.50 लाख के बजाय 3 लाख रुपए तक खर्च कर सकेंगे। इसी तरह दूसरी अधिसूचना में चुनाव खर्च सीमा नगर निगम पार्षद के लिए 2.50 लाख के स्थान पर 3.50 लाख रुपए, नगर परिषद पार्षद के लिए 1.50 लाख की जगह 2 लाख और नगरपालिका पार्षद के लिए 1 लाख की जगह 2 लाख रुपए कर दी।
वाहनों की भी सीमा तय
सरपंच प्रत्याशी चुनाव प्रचार में एक वाहन का ही उपयोग कर सकेगा। पंचायत समिति सदस्य प्रत्याशी दो और जिला परिषद सदस्य प्रत्याशी तीन से ज्यादा वाहनों का उपयोग नहीं कर सकेंगे। नगर निगम पार्षद उम्मीदवार 3, नगर परिषद पार्षद 2 और नगरपालिका सदस्य एक से ज्यादा वाहन का चुनाव के दौरान उपयोग नहीं कर सकेंगे।
बस-ट्रक, तांगा, ऊंट गाड़ी व बैलगाड़ी से प्रचार पर पाबंदी
राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से जारी आदेश के अनुसार पंचायतीराज संस्थाओं और शहरी निकाय चुनावों में उम्मीदवार प्रचार में बड़े वाहन बस, ट्रक, मिनी बस, मेटाडोर और पशुओं से चलने वाले तांगा, बैलगाड़ी, ऊंट गाड़ी का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। हालांकि अब ग्रामीण इलाकों में भी पंचायतीराज चुनावों में भी धनबल का जमकर उपयोग होता है और चुनाव प्रचार में लग्जरी वाहनों पर सवार होकर प्रत्याशी रैली निकालकर शक्ति प्रदर्शन करते हैं।


