जालंधर| दिल की बीमारियों के इलाज में आधुनिक तकनीक ने नई ऊंचाइयां छू ली हैं। पहले जहां डॉक्टर एक्स-रे या एंजियोग्राफी के जरिए केवल दिल की धमनियों का बाहरी स्वरूप देख पाते थे, वहीं अब इंट्रावास्कुलर अल्ट्रासाउंड (आईवीयूएस) तकनीक की मदद से धमनियों के अंदर की वास्तविक स्थिति को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। यह तकनीक धमनी की बनावट, अंदर जमी चर्बी (प्लाक), कैल्शियम और रुकावट की सटीक जानकारी देती है, जिससे इलाज अधिक सुरक्षित और प्रभावी हो जाता है। आईवीयूएस एक अत्यंत पतली ट्यूब के सिरे पर लगे अल्ट्रासाउंड प्रोब के माध्यम से काम करता है, जिसे कलाई या जांघ की धमनी से होते हुए दिल की नाड़ियों तक पहुंचाया जाता है। यह प्रोब ध्वनि तरंगों के जरिए 360 डिग्री की रियल-टाइम तस्वीर तैयार करता है, जिससे डॉक्टर स्टेंट या बलून के सही आकार और स्थान का सटीक निर्धारण कर पाते हैं। अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों से यह साबित हो चुका है कि आईवीयूएस की सहायता से किए गए उपचार में जटिलताएं कम होती हैं और दोबारा ब्लॉकेज की संभावना भी घट जाती है। इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. रमन चावला, केयरबेस्ट हॉस्पिटल, जो करीब तीन दशकों से एंजियोप्लास्टी और स्टेंटिंग कर रहे हैं, बताते हैं कि इन्ट्रावास्कुलर अल्ट्रासाउंड केवल धमनी को देखने की तकनीक नहीं, बल्कि उसे गहराई से समझकर सुरक्षित इलाज करने की प्रक्रिया है। हेल्थ प्लस डॉ. रमन चावला


