बीते 13 दिनों में JDU के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार 2 अलग-अलग इंटरव्यू में दावा कर चुके हैं कि RJD के 17-18 विधायक हमारे संपर्क में हैं। उनके इस बयान से बिहार में बढ़ती ठंडी के बीच राजनीतिक गर्मी बढ़ी हुई है। क्या खिचड़ी (मकर संक्रांति) के बाद बिहार में कुछ बड़ा होने वाला है। RJD विधायक क्या पार्टी छोड़ सकते हैं। JDU क्यों तोड़ना चाहती है। जानेंगे, आज के एक्सप्लेनर बूझे की नाही में…। सवाल-1ः RJD विधायकों के टूटने की चर्चा कहां से शुरू हुई? जवाबः RJD विधायकों के टूटने की चर्चा की शुरुआत JDU के मुख्य प्रवक्ता और MLC नीरज कुमार के दावों के बाद से शुरू हुई है। नीरज कुमार ऐसे समय में यह दावा कर रहे हैं, जब चुनाव में हार के बाद एक महीने के लिए परिवार के साथ विदेश घूमने RJD नेता तेजस्वी यादव गए हैं। उनके विदेश जाने पर पार्टी के ही सीनियर नेता शिवानंद तिवारी मैदान छोड़कर भागने जैसी बातें कर रहे हैं। सवाल-2: RJD विधायक क्या टूट सकते हैं? जवाब: राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है। 50-50 चांसेज हैं। टूटने के पीछे मजबूत तर्क… 1. लालू जैसी तेजस्वी के पास रणनीति नहीं: पॉलिटिकल एक्सपर्ट संजय स्वदेश बताते हैं, ‘तेजस्वी यादव के पास लालू यादव वाला रणनीतिक कौशल नहीं है। उनके पास अनुभव की कमी के साथ-साथ व्यवहार तक की कमी है। नेता उनसे मिल नहीं पाते हैं। कुछ लोगों का एक समूह है, जिसके इशारे पर पार्टी में सबकुछ होता है।’ संजय स्वदेश कहते हैं, ‘पहले जब-जब RJD को तोड़ने का प्रयास किया गया, तब तब लालू यादव ने बात करके सबको समझा-बुझा लिया। अभी तो खुद तेजस्वी यादव बाहर हैं। लालू यादव उतने एक्टिव नहीं है। ऐसे में तोड़ा जा सकता है।’ 2. सत्ता में आने का अच्छा मौका, भाजपा को एतराज नहीं: नीतीश कुमार की पार्टी सत्ता में है। अगर उनकी पार्टी में RJD विधायक आते हैं तो उन्हें सत्ता का लाभ मिल सकता है। भाजपा को भी एतराज नहीं होगा। क्योंकि 25 में से सिर्फ 5 सीटें ही ऐसी हैं, जहां भाजपा चुनाव लड़ी थी। बाकी 20 सीटों पर JDU-LJP(R), RLM और HAM कैंडिडेट थे। ऐसे में अगर JDU इन विधायकों को अगले चुनाव में एडजस्ट करने का प्रलोभन देगी तो वो उस पर भरोसा कर सकते हैं। क्योंकि पार्टी उनके लिए सीट ले सकती है। हालांकि, RJD के पक्ष में एक फैक्ट यह भी… फिलहाल RJD के 25 विधायक हैं। अगर पार्टी को तोड़ना होगा तो दो-तिहाई मतलब 25 में से 17 विधायक चाहिए। JDU 11 साल पहले भी RJD विधायकों को तोड़ने की कोशिश कर चुकी है। हालांकि, तब लालू यादव की रणनीति के कारण JDU को सफलता नहीं मिली थी। 2014 में जब टूटने से बच गई थी RJD… पॉलिटिकल एक्सपर्ट मानते हैं कि, अब परिस्थिति अलग है। लालू यादव ज्यादा पॉलिटिकल रूप से एक्टिव नहीं हैं। तेजस्वी यादव पार्टी संभाल रहे हैं। उनको पार्टी के साथ-साथ घर से भी चुनौती मिल रही है। सवाल-3ः JDU क्यों RJD विधायकों को तोड़ना चाहती है? जवाबः एक्सपर्ट इसके पीछे 3 बड़े कारण बताते हैं… 1. राज्यसभा की तीसरी सीट पर JDU की नजर मार्च-अप्रैल में राज्यसभा की 5 सीटों पर चुनाव होने वाला है। विधानसभा के मौजूदा गणित को देखें तो पांचों सीटें NDA के खाते में जाने की ज्यादा संभावना है। क्योंकि NDA के पास 242 में से 202 विधायक हैं। JDU की नजर राज्यसभा की तीसरी सीट पर भी है। अगर RJD के 18 विधायक पार्टी में आते हैं तो उसके (85+18=103) 103 विधायक हो जाएंगे। इस तरह उसके पास 2 राज्यसभा सीट के बाद भी (103-82=21) 21 विधायक बचेंगे। जीतनराम मांझी के 5 और उपेंद्र कुशवाहा के 4 विधायक को मिला दें तो 30 विधायक हो जाएंगे। मांझी और कुशवाहा JDU को सपोर्ट कर सकते हैं। इससे चिराग पासवान की राज्यसभा सीट पर दांव कमजोर पड़ सकता है। अंदरखाने चर्चा है कि जीतनराम मांझी ने राज्यसभा सीट पर दावेदारी कर चिराग के गणित को बिगाड़ने का प्रयास किया है। अगर JDU आंकड़ा जुटा लेती है तो उसको तीसरी सीट मिल सकती है। एक चर्चा यह भी है कि नीतीश कुमार ने आगे की रणनीति के लिए ही अपने कोटे से कम मंत्री बनाया है। कुछ मंत्री पद की सीटें जानबूझकर खाली छोड़ी गई है। 2. भाजपा से बड़ी पार्टी बनने का चाहत पार्टी की चाहत है कि JDU विधानसभा में नंबर-1 पार्टी बने। इसके लिए उसे कम से कम 5 विधायकों की जरूरत है। क्योंकि भाजपा अभी 89 सीटों के साथ नंबर-1 पार्टी है। JDU को नंबर-1 पार्टी बनने से क्या फायदा होगा… नंबर-1 पार्टी बनने से नीतीश कुमार के पास कम से कम संवैधानिक रूप से मजबूती रहेगी। तोड़फोड़ की स्थिति में राज्यपाल विधानसभा में नंबर-1 पार्टी को ही सरकार बनाने का न्योता देते हैं। नीतीश कुमार अगर 90 तक पहुंच गए तो स्वाभाविक रूप से मजबूत हो जाएंगे। उनके लिए संवैधानिक लड़ाई कम से कम मजबूत रहेगी। 3. निशांत को मजबूत पार्टी की कमान सौंपने का प्लान नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार के राजनीति में आने की चर्चा है। करीब-करीब पूरी तरह तय हो गया है कि वह 2026 में राजनीति में एंट्री कर जाएंगे। सूचना है कि जब निशांत राजनीति में आएंगे तो नीतीश कुमार रिटायर हो जाएंगे। बीते 13 दिनों में JDU के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार 2 अलग-अलग इंटरव्यू में दावा कर चुके हैं कि RJD के 17-18 विधायक हमारे संपर्क में हैं। उनके इस बयान से बिहार में बढ़ती ठंडी के बीच राजनीतिक गर्मी बढ़ी हुई है। क्या खिचड़ी (मकर संक्रांति) के बाद बिहार में कुछ बड़ा होने वाला है। RJD विधायक क्या पार्टी छोड़ सकते हैं। JDU क्यों तोड़ना चाहती है। जानेंगे, आज के एक्सप्लेनर बूझे की नाही में…। सवाल-1ः RJD विधायकों के टूटने की चर्चा कहां से शुरू हुई? जवाबः RJD विधायकों के टूटने की चर्चा की शुरुआत JDU के मुख्य प्रवक्ता और MLC नीरज कुमार के दावों के बाद से शुरू हुई है। नीरज कुमार ऐसे समय में यह दावा कर रहे हैं, जब चुनाव में हार के बाद एक महीने के लिए परिवार के साथ विदेश घूमने RJD नेता तेजस्वी यादव गए हैं। उनके विदेश जाने पर पार्टी के ही सीनियर नेता शिवानंद तिवारी मैदान छोड़कर भागने जैसी बातें कर रहे हैं। सवाल-2: RJD विधायक क्या टूट सकते हैं? जवाब: राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है। 50-50 चांसेज हैं। टूटने के पीछे मजबूत तर्क… 1. लालू जैसी तेजस्वी के पास रणनीति नहीं: पॉलिटिकल एक्सपर्ट संजय स्वदेश बताते हैं, ‘तेजस्वी यादव के पास लालू यादव वाला रणनीतिक कौशल नहीं है। उनके पास अनुभव की कमी के साथ-साथ व्यवहार तक की कमी है। नेता उनसे मिल नहीं पाते हैं। कुछ लोगों का एक समूह है, जिसके इशारे पर पार्टी में सबकुछ होता है।’ संजय स्वदेश कहते हैं, ‘पहले जब-जब RJD को तोड़ने का प्रयास किया गया, तब तब लालू यादव ने बात करके सबको समझा-बुझा लिया। अभी तो खुद तेजस्वी यादव बाहर हैं। लालू यादव उतने एक्टिव नहीं है। ऐसे में तोड़ा जा सकता है।’ 2. सत्ता में आने का अच्छा मौका, भाजपा को एतराज नहीं: नीतीश कुमार की पार्टी सत्ता में है। अगर उनकी पार्टी में RJD विधायक आते हैं तो उन्हें सत्ता का लाभ मिल सकता है। भाजपा को भी एतराज नहीं होगा। क्योंकि 25 में से सिर्फ 5 सीटें ही ऐसी हैं, जहां भाजपा चुनाव लड़ी थी। बाकी 20 सीटों पर JDU-LJP(R), RLM और HAM कैंडिडेट थे। ऐसे में अगर JDU इन विधायकों को अगले चुनाव में एडजस्ट करने का प्रलोभन देगी तो वो उस पर भरोसा कर सकते हैं। क्योंकि पार्टी उनके लिए सीट ले सकती है। हालांकि, RJD के पक्ष में एक फैक्ट यह भी… फिलहाल RJD के 25 विधायक हैं। अगर पार्टी को तोड़ना होगा तो दो-तिहाई मतलब 25 में से 17 विधायक चाहिए। JDU 11 साल पहले भी RJD विधायकों को तोड़ने की कोशिश कर चुकी है। हालांकि, तब लालू यादव की रणनीति के कारण JDU को सफलता नहीं मिली थी। 2014 में जब टूटने से बच गई थी RJD… पॉलिटिकल एक्सपर्ट मानते हैं कि, अब परिस्थिति अलग है। लालू यादव ज्यादा पॉलिटिकल रूप से एक्टिव नहीं हैं। तेजस्वी यादव पार्टी संभाल रहे हैं। उनको पार्टी के साथ-साथ घर से भी चुनौती मिल रही है। सवाल-3ः JDU क्यों RJD विधायकों को तोड़ना चाहती है? जवाबः एक्सपर्ट इसके पीछे 3 बड़े कारण बताते हैं… 1. राज्यसभा की तीसरी सीट पर JDU की नजर मार्च-अप्रैल में राज्यसभा की 5 सीटों पर चुनाव होने वाला है। विधानसभा के मौजूदा गणित को देखें तो पांचों सीटें NDA के खाते में जाने की ज्यादा संभावना है। क्योंकि NDA के पास 242 में से 202 विधायक हैं। JDU की नजर राज्यसभा की तीसरी सीट पर भी है। अगर RJD के 18 विधायक पार्टी में आते हैं तो उसके (85+18=103) 103 विधायक हो जाएंगे। इस तरह उसके पास 2 राज्यसभा सीट के बाद भी (103-82=21) 21 विधायक बचेंगे। जीतनराम मांझी के 5 और उपेंद्र कुशवाहा के 4 विधायक को मिला दें तो 30 विधायक हो जाएंगे। मांझी और कुशवाहा JDU को सपोर्ट कर सकते हैं। इससे चिराग पासवान की राज्यसभा सीट पर दांव कमजोर पड़ सकता है। अंदरखाने चर्चा है कि जीतनराम मांझी ने राज्यसभा सीट पर दावेदारी कर चिराग के गणित को बिगाड़ने का प्रयास किया है। अगर JDU आंकड़ा जुटा लेती है तो उसको तीसरी सीट मिल सकती है। एक चर्चा यह भी है कि नीतीश कुमार ने आगे की रणनीति के लिए ही अपने कोटे से कम मंत्री बनाया है। कुछ मंत्री पद की सीटें जानबूझकर खाली छोड़ी गई है। 2. भाजपा से बड़ी पार्टी बनने का चाहत पार्टी की चाहत है कि JDU विधानसभा में नंबर-1 पार्टी बने। इसके लिए उसे कम से कम 5 विधायकों की जरूरत है। क्योंकि भाजपा अभी 89 सीटों के साथ नंबर-1 पार्टी है। JDU को नंबर-1 पार्टी बनने से क्या फायदा होगा… नंबर-1 पार्टी बनने से नीतीश कुमार के पास कम से कम संवैधानिक रूप से मजबूती रहेगी। तोड़फोड़ की स्थिति में राज्यपाल विधानसभा में नंबर-1 पार्टी को ही सरकार बनाने का न्योता देते हैं। नीतीश कुमार अगर 90 तक पहुंच गए तो स्वाभाविक रूप से मजबूत हो जाएंगे। उनके लिए संवैधानिक लड़ाई कम से कम मजबूत रहेगी। 3. निशांत को मजबूत पार्टी की कमान सौंपने का प्लान नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार के राजनीति में आने की चर्चा है। करीब-करीब पूरी तरह तय हो गया है कि वह 2026 में राजनीति में एंट्री कर जाएंगे। सूचना है कि जब निशांत राजनीति में आएंगे तो नीतीश कुमार रिटायर हो जाएंगे।


