रीवा के बहुचर्चित राजनिवास (सर्किट हाउस) गैंगरेप कांड में अदालत ने मंगलवार को कड़ा और मिसाल कायम करने वाला फैसला सुनाया है। विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) पद्मा जाटव की अदालत ने मुख्य आरोपी महंत सीताराम उर्फ विनोद पांडे सहित 5 दोषियों को शेष प्राकृतिक जीवन यानी अंतिम सांस तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। सभी दोषियों पर एक-एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। यह सनसनीखेज वारदात 28 मार्च 2022 को हुई थी, जब रीवा स्थित राजनिवास (सर्किट हाउस) के कमरा नंबर-4 में एक नाबालिग किशोरी के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। 9 आरोपियों में से 4 बरी हुए
अदालत ने कुल 9 आरोपियों में से 5 को दोषी और 4 को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। कोर्ट में सामने आए तथ्यों के अनुसार, आरोपी विनोद पांडे ने पीड़िता को किसी काम का झांसा देकर सर्किट हाउस बुलाया। वहां उसे नशीली शराब पिलाई गई और इसके बाद महंत सीताराम समेत अन्य आरोपियों ने सामूहिक दुष्कर्म किया। पीड़िता किसी तरह चलती कार से कूदकर जान बचाने में सफल रही, जिसके बाद मामला पुलिस तक पहुंचा। इन 5 को मिली सजा दोषी करार दिए गए। आरोपियों में महंत सीताराम, विनोद पांडे, धीरेंद्र मिश्रा,अंशुल मिश्रा, मोनू पयासी शामिल हैं। इन 4 को किया गया बरी
साक्ष्य के अभाव में अदालत ने संजय त्रिपाठी, रवि शंकर शुक्ला, जानवी दुबे, तौसीद अंसारी को दोषमुक्त कर दिया। 22 गवाह, 140 दस्तावेज, 5 दिन बहस हुई
सरकारी वकील के मुताबिक, यह मामला साबित करना चुनौतीपूर्ण था। अभियोजन पक्ष ने डीएनए रिपोर्ट, सीसीटीवी फुटेज और कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) जैसे तकनीकी साक्ष्य पेश किए। 22 गवाहों के बयान दर्ज किए गए 140 दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत किए गए 5 दिन तक चली लंबी बहस के बाद फैसला आया। सरकारी परिसर में अपराध, समाज को सख्त संदेश गया। राजनिवास जैसे सरकारी परिसर में एक तथाकथित धर्मगुरु द्वारा किए गए इस अपराध ने पूरे जिले को झकझोर दिया था। फैसले के बाद सभी दोषियों को सीधे जेल भेज दिया गया। महंत सीताराम की सत्ता और विंध्य में काफी पैठ मानी जाती है। देखिए तस्वीरें…


