फ्लड लाइट्स, नाइट विजन और आधुनिक हथियार सरहद की सुरक्षा को मजबूत बनाते हैं, लेकिन पश्चिमी राजस्थान की विशाल और चुनौतीपूर्ण सरहद पर अंतिम सुरक्षा कवच आज भी जवान की आंख, अनुभव और सतर्कता ही है। कोहरा हो या कड़ाके की सर्दी—जैसलमेर की सरहद पर तैनात सीसुब के जवान हर मौसम में यह संदेश साफ कर देते हैं कि हालात चाहे जैसे हों, देश की पहली सुरक्षा पंक्ति कभी कमजोर नहीं पड़ती। पश्चिमी राजस्थान की सरहद सर्द मौसम में सुरक्षा व्यवस्था के लिहाज से कठिन परीक्षा बन जाती है।
कोहरा, ठिठरते धोरों और तेज सर्द हवाओं के बीच पाकिस्तान से लगी लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सुरक्षा प्रहरियों की चौकसी पूरे सिस्टम की असली कसौटी मानी जाती है। गौरतलब है कि राजस्थान के पाकिस्तान से सटे जिले हैं जैसलमेर- 464 किमी, बाड़मेर- 228 किमी, श्रीगंगानगर- 210 किमी और बीकानेर- 168 किमी। इनकी कुल लंबाई 1070 किलोमीटर है, जो भारत-पाक सीमा का सबसे बड़ा हिस्सा है। यही वजह है कि सर्दियों में घुसपैठ और तस्करी की आशंका को देखते हुए सीसुब ने अपनी पूरी ताकत बॉर्डर पर झोंक दी है। हेडक्वार्टर से अतिरिक्त जवानों की तैनाती, फोर व्हील ड्राइव वाहनों की सीमा क्षेत्र में शिफ्टिंग और सातों दिन दिन-रात पेट्रोलिंग इसी रणनीति का हिस्सा है। सरहद की निगरानी के लिए तकनीक मौजूद है—नाइट विजन दूरबीन, फ्लडलाइट्स, सोलर लाइट्स और आधुनिक हथियार। सरहदी जिले का शाहगढ़ क्षेत्र, जहां करीब 32 किलोमीटर का इलाका लगातार बदलते रेतीले धोरों वाला है, वहां दिन में भी निगरानी आसान नहीं होती। यही कारण है कि पश्चिमी सरहद पर आज भी पैदल गश्त को सुरक्षा की रीढ़ माना जाता है।
सर्द रातें, गरम चाय और मानवीय प्रबंध
रेगिस्तान की सर्द रातें किसी भी मशीन से ज्यादा इंसान की सहनशक्ति को परखती हैं। इसे देखते हुए सीसुब ने जवानों के लिए मानवीय व्यवस्थाएं मजबूत की हैं। रात में पेट्रोलिंग कर रहे जवानों को दो बार गरमा-गरम चाय दी जाती है। जिप्सी पेट्रोलिंग दल केतली में चाय भरकर बीओपी और ओपी तक पहुंचाते हैं। इसके साथ ही गरम कंबल, पर्याप्त ऊनी कपड़े और विश्राम की व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई हैं, ताकि जवान पूरी रात सतर्क रह सकें। सूत्रों के अनुसार जैसलमेर सेक्टर में करीब 300 महिला सुरक्षा प्रहरी भी सीमा निगरानी में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। मशीनगन और निगरानी उपकरणों के साथ वे कठिन परिस्थितियों में मोर्चा संभाल रही हैं। सर्द हवाओं के बीच प्रतिकूल मौसम में गर्म लिबास वाली यूनिफार्म उपयोग में ली जा रही है।
ऑपरेशन सर्द हवा: मौसम के हिसाब से सुरक्षा
सर्दियों में सीसुब का वार्षिक अभियान ऑपरेशन सर्द हवा जनवरी माह में संचालित होता है। इसका उद्देश्य घने कोहरे और कम दृश्यता के बावजूद घुसपैठ की किसी भी कोशिश को नाकाम करना है। इस दौरान पैदल गश्त बढ़ाई जाती है, अतिरिक्त जवान तैनात किए जाते हैं और रात की निगरानी को और सघन बनाया जाता है।
यूनिफार्म में बदलाव, ताकत व तकनीक के साथ चौकसी
सर्द मौसम में यूनिफार्म बदल जाती है। ताकत व तकनीक, दोनों का सहारा ले रहे हैं। नफरी बढ़ाई जा रही है। पैदल गश्त के साथ ऊंट व जीप सफारी के साथ सरहद की कड़ी निगरानी की जा रही है। मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच दायित्वों का निर्वहन करने के लिए सुरक्षा प्रहरी तैयार है।
- महेश कुमार नेगी, उपमहानिरीक्षक, सीमा सुरक्षा बल, दक्षिण, डाबल, जैसलमेर


