चित्तौड़गढ़ के चर्चित रमेश ईनाणी हत्याकांड में अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। ADJ-1 कोर्ट ने रामस्नेही संत रमताराम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने प्रथम दृष्टया संत रमताराम को इस हत्याकांड का मुख्य आरोपी मानते हुए राहत देने से इनकार कर दिया। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने संत रमताराम और शूटर के बीच निरंतर संपर्क, तकनीकी सबूत, गवाहों के बयान और कॉन्ट्रैक्ट किलिंग का हवाला दिया, वहीं बचाव पक्ष ने संत को पूरी तरह निर्दोष बताते हुए किसी भी तरह के सीधे लिंक से इनकार किया। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने अभियोजन की दलीलों को ज्यादा मजबूत मानते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी। पुलिस का पक्ष: शूटर और संत के बीच निरंतर संपर्क के पुख्ता सबूत कोर्ट में पुलिस की ओर से कोतवाली थाना प्रभारी तुलसीराम प्रजापत और अभियोजन पक्ष के वकील लक्ष्मीलाल ने विस्तार से पक्ष रखा। थानाधिकारी तुलसीराम प्रजापत ने बताया कि जांच में यह साफ सामने आया है कि शूटर और संत रमताराम के बीच लगातार संपर्क रहा। मोबाइल कॉल डिटेल, तकनीकी सबूत, परिस्थिति जन्य साक्ष्य, मौखिक बयान और आई विटनेस के बयानों से यह साबित होता है कि दोनों के बीच संबंध थे। पुलिस का कहना है कि संत रमताराम ने शुरुआत में पूछताछ के दौरान शूटर को पहचानने से साफ इनकार किया, लेकिन बाद में सामने आए सबूतों ने उनके इस बयान को झूठा साबित कर दिया। जमीनी विवाद बना हत्या का कारण, कॉन्ट्रैक्ट किलिंग का आरोप पुलिस ने कोर्ट को बताया कि रमेश इनाणी और संत रमताराम के बीच लंबे समय से जमीन को लेकर विवाद चल रहा था। इसी विवाद को हत्या का मुख्य मोटिव माना गया है। अभियोजन पक्ष ने इसे कॉन्ट्रैक्ट किलिंग का मामला बताते हुए कहा कि संत रमताराम ने शूटर को इस वारदात के लिए हायर किया। पुलिस के अनुसार, शुरुआती जान-पहचान के दौरान कुछ रकम भी शूटर तक पहुंचाई गई थी, जो अलग-अलग खातों के माध्यम से ट्रांसफर हुई। भले ही रकम बहुत बड़ी न हो, लेकिन यह लेनदेन दोनों के बीच संबंध को साबित करता है। तकनीकी और गवाहों के सबूतों से अभियोजन पक्ष संतुष्ट पुलिस ने कहा कि इस मामले में सिर्फ बैंक ट्रांजैक्शन ही नहीं, बल्कि तकनीकी सबूत और गवाहों के बयान भी मजबूत हैं। कॉल रिकॉर्ड, मोबाइल लोकेशन और अन्य डिजिटल सबूत यह दिखाते हैं कि वारदात से पहले और बाद में संत रमताराम और शूटर के बीच संपर्क बना हुआ था। दोनों के बीच कई बार व्हाट्सएप कॉलिंग हुई है। अभियोजन पक्ष ने कोर्ट को यह भी बताया कि इन सभी सबूतों को केस डायरी में शामिल किया गया है और यही कारण है कि अदालत अभियोजन की दलीलों से संतुष्ट हुई। यह भी बात सामने आई है कि रामस्नेही संप्रदाय से ही कोई अन्य संत भी इनका सहयोगी रहा है। फिलहाल जांच जारी हैं। फरारी और फोन बंद करना संदेह को और गहरा करता है पुलिस ने कोर्ट को यह भी बताया कि संत रमताराम 24 नवंबर से फरार है। जब उनसे सबूतों के बारे में सवाल किए जाने थे, उससे पहले ही उन्होंने अपना फोन बंद कर लिया और रामद्वारा से गायब हो गए। पुलिस का मानना है कि यह फरारी अपने आप में संदेह को मजबूत करती है। अभियोजन पक्ष ने कहा कि यदि संत निर्दोष होते तो जांच में सहयोग करते, न कि इस तरह से छिपते। आरोपी की तलाश में पुलिस की लगातार कार्रवाई कोतवाली थाना प्रभारी तुलसीराम प्रजापत ने बताया कि संत रमताराम की गिरफ्तारी के लिए लगातार दबिश दी जा रही है। पुलिस की टीम मध्यप्रदेश के इंदौर तक गई, जहां संत के पुश्तैनी मकान और उनके भाइयों व भतीजों संजय गुप्ता और हेमेंद्र गुप्ता के घरों की तलाशी ली गई। छत्री बाग सहित अन्य रामद्वारा पर भी पुलिस ने खोजबीन की, लेकिन संत वहां नहीं मिले। स्थानीय इंदौर पुलिस के सहयोग से कई जगह तलाशी अभियान चलाया गया, फिर भी संत का कोई सुराग नहीं लगा। संत के मिलते ही उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा। बचाव पक्ष का तर्क: कोई सीधा सबूत नहीं, संत को झूठा फंसाया गया संत रमताराम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद कुमार व्यास ने कोर्ट में बचाव पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि संत का शूटर से कोई सीधा संपर्क नहीं है और न ही गिरफ्तार आरोपी मनीष दूबे ने यह कहा है कि उसकी मुलाकात संत से हुई हो। उन्होंने दलील दी कि संत के बैंक खाते से किसी के खाते में कोई पैसा ट्रांसफर नहीं हुआ है और न ही कोई सीधा लेन-देन साबित होता है। उन्होंने यह भी कहा कि जिस 30 हजार रुपए की बात पुलिस कर रही है, वह किसी तीसरे व्यक्ति द्वारा इधर-उधर किए गए लेनदेन हैं, जिनका संत से कोई लेना-देना नहीं है। जमीन विवाद के मामलों में संत के पक्ष में आए फैसले बचाव पक्ष ने यह भी बताया कि रमेश ईनाणी से जुड़े जमीन विवाद के मामलों में साल 2024 में संत रमताराम के पक्ष में दो दावे डिक्री हुए हैं। एक फैसला जिला जज न्यायालय और दूसरा सीजेएम कोर्ट से आया था। इन मामलों में रमेश ईनाणी को कोई राहत नहीं मिली। वकील ने कहा कि संत ने रमेश ईनाणी की जमीन नहीं खरीदी थी, बल्कि उनके भाइयों की जमीन रजिस्टर्ड विक्रय पत्र से ली गई थी। इसलिए केवल जमीन विवाद के आधार पर हत्या का आरोप लगाना गलत है। अदालत का निष्कर्ष: प्रथम दृष्टया आरोप गंभीर दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पीठासीन अधिकारी अटल सिंह चम्पावत ने कहा कि मामले में प्रथम दृष्टया गंभीर आरोप बनते हैं। पुलिस द्वारा पेश किए गए सबूत संत रमताराम की भूमिका की ओर इशारा करते हैं। इसी आधार पर अदालत ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। अब संत रमताराम को किसी भी तरह की अग्रिम राहत नहीं मिलेगी और पुलिस उनकी गिरफ्तारी के कोशिशें तेज करेगी। रामस्नेही समाज में हलचल, आगे की कार्रवाई पर नजर इस फैसले के बाद रामस्नेही समाज और हजारों भक्तों के बीच हलचल है। पुलिस का कहना है कि संत रमताराम की गिरफ्तारी रामस्नेही परिवार और प्रशासन दोनों के लिए अहम जिम्मेदारी बन गई है। वहीं आमजन की नजर अब इस बात पर टिकी है कि फरार संत को पुलिस कब तक गिरफ्तार करती है और जांच आगे किस दिशा में जाती है।


