बक्सर में हाईकोर्ट के आदेश पर चला बुलडोजर:अवैध घर, दीवारें और सीढ़ियां ध्वस्त; पोखरे की पूरी जमीन खाली होने तक चलेगा बुलडोजर

बक्सर में हाईकोर्ट के आदेश पर चला बुलडोजर:अवैध घर, दीवारें और सीढ़ियां ध्वस्त; पोखरे की पूरी जमीन खाली होने तक चलेगा बुलडोजर

बक्सर के राजपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत सिकरौल गांव में मंगलवार को उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब प्रशासन ने सार्वजनिक पोखरे को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए बुलडोजर कार्रवाई शुरू कर दी। यह कार्रवाई माननीय उच्च न्यायालय के स्पष्ट निर्देश के अनुपालन में की गई। प्रशासन की सख्ती से अतिक्रमणकारियों में हड़कंप मच गया, जबकि पूरे गांव में तनावपूर्ण शांति का माहौल बन गया। भारी पुलिस बल के साथ पहुंचा प्रशासन मंगलवार सुबह चौसा अंचलाधिकारी (सीओ) और राजपुर थाना की पुलिस सैकड़ों महिला-पुरुष पुलिस बल के साथ सिकरौल गांव पहुंची। प्रशासनिक अमले के पहुंचते ही पोखरे की भूमि पर सालों से किए गए अवैध निर्माण को हटाने के लिए बुलडोजर चलाया गया। सुरक्षा व्यवस्था इतनी कड़ी थी कि पूरे इलाके को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया, ताकि किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके। अवैध घर, दीवारें और सीढ़ियां ध्वस्त प्रशासन के निर्देश पर बुलडोजर ने पोखरे की जमीन पर बने अवैध घरों, बाउंड्री वॉल, दीवारों और घरों के सामने बनी सीढ़ियों को एक-एक कर तोड़ना शुरू किया। बुलडोजर की तेज आवाज सुनते ही लोगों में हड़कंप मच गया। कई परिवार अपने घरों के बाहर रखे घरेलू सामान, बर्तन, चारपाई, लकड़ी, पशुओं का चारा और अन्य उपयोगी वस्तुएं हटाने में जुट गए। कुछ लोग प्रशासन के सामने हाथ जोड़कर कार्रवाई रोकने की गुहार लगाते नजर आए, तो कुछ महिलाएं रोते-बिलखते हुए अपने घर उजड़ने की पीड़ा जाहिर करती दिखीं। हालांकि प्रशासन ने साफ कर दिया कि यह कार्रवाई न्यायालय के आदेश के तहत की जा रही है और इसमें किसी तरह की ढिलाई नहीं बरती जाएगी। ‘पोखरे की पूरी जमीन खाली होने तक चलेगा बुलडोजर’ मौके पर मौजूद चौसा अंचलाधिकारी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जब तक सिकरौल गांव के सार्वजनिक पोखरे की पूरी जमीन को अतिक्रमण मुक्त नहीं करा लिया जाता, तब तक बुलडोजर की कार्रवाई जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि यह पोखरा गांव का महत्वपूर्ण सार्वजनिक जलस्रोत है, जिसका संरक्षण बेहद जरूरी है। सीओ ने बताया कि वर्षों से हुए अतिक्रमण के कारण पोखरे का अस्तित्व लगभग समाप्त होने की कगार पर था। इससे न केवल वर्षा जल संचयन प्रभावित हो रहा था, बल्कि पर्यावरण संतुलन और ग्रामीणों की सामूहिक जरूरतों पर भी गंभीर असर पड़ रहा था। 26 परिवार चिन्हित, नोटिस के बाद भी नहीं हटाया गया अतिक्रमण प्रशासनिक रिकॉर्ड के अनुसार, सिकरौल गांव में पोखरे की भूमि पर अवैध रूप से झोपड़ी और ईंट से बने कच्चे मकानों में रह रहे कुल 26 परिवारों को पहले ही चिन्हित किया गया था। इन सभी अतिक्रमणकारियों को नियमानुसार पूर्व में नोटिस जारी कर स्वेच्छा से अतिक्रमण हटाने और स्थान खाली करने का निर्देश दिया गया था। लेकिन बार-बार नोटिस दिए जाने के बावजूद अतिक्रमण नहीं हटाया गया। इसके बाद मामला न्यायालय पहुंचा और माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के तहत प्रशासन को बलपूर्वक कार्रवाई करनी पड़ी। सरकारी अभिलेखों में दर्ज है सार्वजनिक जलस्रोत अंचलाधिकारी नीलेश कुमार ने बताया कि सिकरौल पोखरा सरकारी अभिलेखों में स्पष्ट रूप से सार्वजनिक जलस्रोत के रूप में दर्ज है। उन्होंने कहा कि इस भूमि पर किसी भी प्रकार का निजी कब्जा पूरी तरह अवैध है और कानूनन अस्वीकार्य है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जलस्रोतों का संरक्षण सरकार की प्राथमिकता में है और इस दिशा में किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा। भूमिहीनों के लिए पुनर्वास की बात प्रशासन ने मानवीय पहलू को ध्यान में रखते हुए यह भी स्पष्ट किया कि चिह्नित 26 अतिक्रमणकारियों में से 13 परिवार भूमिहीन हैं। अंचलाधिकारी नीलेश कुमार ने बताया कि ऐसे परिवारों को नियमानुसार दूसरे स्थान पर भूमि उपलब्ध कराकर पोखरे की जमीन से हटाया जाएगा। वहीं, शेष अतिक्रमणकारियों के खिलाफ विधिसम्मत कार्रवाई की जा रही है। प्रशासन का कहना है कि कोर्ट के आदेश के तहत सार्वजनिक संपत्ति को मुक्त कराना प्राथमिक जिम्मेदारी है। गांव में तनावपूर्ण शांति, प्रशासन अलर्ट बुलडोजर कार्रवाई के बाद सिकरौल गांव में तनावपूर्ण शांति बनी हुई है। पुलिस बल की तैनाती जारी है और प्रशासन स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है। अधिकारियों का कहना है कि किसी भी तरह की अफवाह या कानून-व्यवस्था बिगाड़ने की कोशिश पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। जलस्रोत संरक्षण पर सख्त संदेश सिकरौल गांव में हुई यह कार्रवाई सिर्फ अतिक्रमण हटाने तक सीमित नहीं मानी जा रही, बल्कि इसे सार्वजनिक जलस्रोतों के संरक्षण को लेकर प्रशासन की सख्त नीति के रूप में देखा जा रहा है। प्रशासन का साफ संदेश है कि तालाब, पोखरा और अन्य सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा अब किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। फिलहाल पोखरे को पूरी तरह अतिक्रमण मुक्त कराने की प्रक्रिया जारी है और आने वाले दिनों में प्रशासन द्वारा इसके सौंदर्यीकरण और संरक्षण की योजना भी बनाई जा सकती है। बक्सर के राजपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत सिकरौल गांव में मंगलवार को उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब प्रशासन ने सार्वजनिक पोखरे को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए बुलडोजर कार्रवाई शुरू कर दी। यह कार्रवाई माननीय उच्च न्यायालय के स्पष्ट निर्देश के अनुपालन में की गई। प्रशासन की सख्ती से अतिक्रमणकारियों में हड़कंप मच गया, जबकि पूरे गांव में तनावपूर्ण शांति का माहौल बन गया। भारी पुलिस बल के साथ पहुंचा प्रशासन मंगलवार सुबह चौसा अंचलाधिकारी (सीओ) और राजपुर थाना की पुलिस सैकड़ों महिला-पुरुष पुलिस बल के साथ सिकरौल गांव पहुंची। प्रशासनिक अमले के पहुंचते ही पोखरे की भूमि पर सालों से किए गए अवैध निर्माण को हटाने के लिए बुलडोजर चलाया गया। सुरक्षा व्यवस्था इतनी कड़ी थी कि पूरे इलाके को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया, ताकि किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके। अवैध घर, दीवारें और सीढ़ियां ध्वस्त प्रशासन के निर्देश पर बुलडोजर ने पोखरे की जमीन पर बने अवैध घरों, बाउंड्री वॉल, दीवारों और घरों के सामने बनी सीढ़ियों को एक-एक कर तोड़ना शुरू किया। बुलडोजर की तेज आवाज सुनते ही लोगों में हड़कंप मच गया। कई परिवार अपने घरों के बाहर रखे घरेलू सामान, बर्तन, चारपाई, लकड़ी, पशुओं का चारा और अन्य उपयोगी वस्तुएं हटाने में जुट गए। कुछ लोग प्रशासन के सामने हाथ जोड़कर कार्रवाई रोकने की गुहार लगाते नजर आए, तो कुछ महिलाएं रोते-बिलखते हुए अपने घर उजड़ने की पीड़ा जाहिर करती दिखीं। हालांकि प्रशासन ने साफ कर दिया कि यह कार्रवाई न्यायालय के आदेश के तहत की जा रही है और इसमें किसी तरह की ढिलाई नहीं बरती जाएगी। ‘पोखरे की पूरी जमीन खाली होने तक चलेगा बुलडोजर’ मौके पर मौजूद चौसा अंचलाधिकारी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जब तक सिकरौल गांव के सार्वजनिक पोखरे की पूरी जमीन को अतिक्रमण मुक्त नहीं करा लिया जाता, तब तक बुलडोजर की कार्रवाई जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि यह पोखरा गांव का महत्वपूर्ण सार्वजनिक जलस्रोत है, जिसका संरक्षण बेहद जरूरी है। सीओ ने बताया कि वर्षों से हुए अतिक्रमण के कारण पोखरे का अस्तित्व लगभग समाप्त होने की कगार पर था। इससे न केवल वर्षा जल संचयन प्रभावित हो रहा था, बल्कि पर्यावरण संतुलन और ग्रामीणों की सामूहिक जरूरतों पर भी गंभीर असर पड़ रहा था। 26 परिवार चिन्हित, नोटिस के बाद भी नहीं हटाया गया अतिक्रमण प्रशासनिक रिकॉर्ड के अनुसार, सिकरौल गांव में पोखरे की भूमि पर अवैध रूप से झोपड़ी और ईंट से बने कच्चे मकानों में रह रहे कुल 26 परिवारों को पहले ही चिन्हित किया गया था। इन सभी अतिक्रमणकारियों को नियमानुसार पूर्व में नोटिस जारी कर स्वेच्छा से अतिक्रमण हटाने और स्थान खाली करने का निर्देश दिया गया था। लेकिन बार-बार नोटिस दिए जाने के बावजूद अतिक्रमण नहीं हटाया गया। इसके बाद मामला न्यायालय पहुंचा और माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के तहत प्रशासन को बलपूर्वक कार्रवाई करनी पड़ी। सरकारी अभिलेखों में दर्ज है सार्वजनिक जलस्रोत अंचलाधिकारी नीलेश कुमार ने बताया कि सिकरौल पोखरा सरकारी अभिलेखों में स्पष्ट रूप से सार्वजनिक जलस्रोत के रूप में दर्ज है। उन्होंने कहा कि इस भूमि पर किसी भी प्रकार का निजी कब्जा पूरी तरह अवैध है और कानूनन अस्वीकार्य है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जलस्रोतों का संरक्षण सरकार की प्राथमिकता में है और इस दिशा में किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा। भूमिहीनों के लिए पुनर्वास की बात प्रशासन ने मानवीय पहलू को ध्यान में रखते हुए यह भी स्पष्ट किया कि चिह्नित 26 अतिक्रमणकारियों में से 13 परिवार भूमिहीन हैं। अंचलाधिकारी नीलेश कुमार ने बताया कि ऐसे परिवारों को नियमानुसार दूसरे स्थान पर भूमि उपलब्ध कराकर पोखरे की जमीन से हटाया जाएगा। वहीं, शेष अतिक्रमणकारियों के खिलाफ विधिसम्मत कार्रवाई की जा रही है। प्रशासन का कहना है कि कोर्ट के आदेश के तहत सार्वजनिक संपत्ति को मुक्त कराना प्राथमिक जिम्मेदारी है। गांव में तनावपूर्ण शांति, प्रशासन अलर्ट बुलडोजर कार्रवाई के बाद सिकरौल गांव में तनावपूर्ण शांति बनी हुई है। पुलिस बल की तैनाती जारी है और प्रशासन स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है। अधिकारियों का कहना है कि किसी भी तरह की अफवाह या कानून-व्यवस्था बिगाड़ने की कोशिश पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। जलस्रोत संरक्षण पर सख्त संदेश सिकरौल गांव में हुई यह कार्रवाई सिर्फ अतिक्रमण हटाने तक सीमित नहीं मानी जा रही, बल्कि इसे सार्वजनिक जलस्रोतों के संरक्षण को लेकर प्रशासन की सख्त नीति के रूप में देखा जा रहा है। प्रशासन का साफ संदेश है कि तालाब, पोखरा और अन्य सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा अब किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। फिलहाल पोखरे को पूरी तरह अतिक्रमण मुक्त कराने की प्रक्रिया जारी है और आने वाले दिनों में प्रशासन द्वारा इसके सौंदर्यीकरण और संरक्षण की योजना भी बनाई जा सकती है।  

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