मुंबई में हवा की गुणवत्ता (Air Quality) में लगातार हो रही गिरावट और निर्माण स्थलों पर काम करने वाले मजदूरों की दयनीय स्थिति पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने बेहद सख्त रुख अपनाया है। मंगलवार को एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPCB) और बीएमसी (BMC) को जमकर फटकार लगाई।
सुनवाई के दौरान अदालत ने महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से सीधा सवाल किया कि निर्माण स्थलों पर काम करने वाले मजदूरों को जहरीली हवा से बचाने के लिए आखिर क्या ठोस कदम उठाए गए हैं। कोर्ट ने कहा कि ये मजदूर लगातार गंभीर प्रदूषण और स्वास्थ्य जोखिमों के बीच काम कर रहे हैं, लेकिन उनके लिए कोई प्रभावी सुरक्षा व्यवस्था नजर नहीं आती।
चीफ जस्टिस श्री चंद्रशेखर और जस्टिस गौतम अंखड की पीठ ने अधिकारियों से दो टूक कहा, “आप मजदूरों के स्वास्थ्य की रक्षा कैसे करेंगे? क्या इसके लिए कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश हैं? ये लोग गंभीर प्रदूषण के बीच काम कर रहे हैं। सच्चाई यह है कि गरीबों की कोई परवाह नहीं की जा रही। कम से कम उन्हें मास्क तो दे सकते थे।”
पीठ ने स्पष्ट कहा कि प्रदूषण की तथाकथित निगरानी कागजों तक सीमित है और पहले दिए गए निर्देशों का पालन करने के बजाय उनका उल्लंघन ज्यादा नजर आ रहा है।
‘राइट टू हेल्थ’ मौलिक अधिकार है- हाईकोर्ट
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस चंद्रशेखर ने इस बात पर जोर दिया कि स्वास्थ्य का अधिकार (Right to Health) हर नागरिक का मौलिक अधिकार है, चाहे वह अमीर हो या गरीब। कोर्ट ने एमपीसीबी से सवाल किया, “मजदूर गंभीर प्रदूषण और स्वास्थ्य खतरों के बीच काम कर रहे हैं। उन्हें सुरक्षा देने के लिए आपके पास क्या गाइडलाइन्स हैं? क्या उनके पास मास्क भी नहीं होना चाहिए? हमें तुरंत बताएं कि कल से ही उनकी सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं।”
‘दिल्ली जैसा हाल न हो जाए’
बॉम्बे हाईकोर्ट ने अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर प्रदूषण नियंत्रण से बाहर हो गया, तो स्थिति दिल्ली जैसी भयावह हो जाएगी। पिछले कई सालों से दिल्ली में यही हो रहा है। तब कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि बीएमसी और एमपीसीबी द्वारा दी गई पुरानी दलीलों और आश्वासनों का पालन होने के बजाय केवल उल्लंघन ही देखा जा रहा है।
कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण की दिखावे वाली निगरानी की जा रही है, जिससे हम संतुष्ट नहीं हैं। पीठ ने यह भी टिप्पणी की कि शहर में चल रहे बड़े निर्माण कार्यों में नियमों का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। शहर में चल रहे बड़े निर्माण कार्यों में तिरपाल या 35 मीटर की मेटल शीट जैसे नियमों का पालन नहीं हो रहा है। यह बिल्डरों की सरासर लापरवाही है। पर्यावरण की रक्षा करना सभी नागरिकों का संवैधानिक कर्तव्य है।
प्रदूषण नियंत्रण प्लान बुधवार को दें- कोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान मौजूद बीएमसी कमिश्नर भूषण गगरानी (BMC Commissioner Bhushan Gagrani) और एमपीसीबी के मेंबर-सेक्रेटरी को निर्देश दिया है कि वे इस मामले में गंभीरता से विचार करें। कोर्ट ने उन्हें बुधवार को ठोस समाधान और प्रस्ताव के साथ आने को कहा है ताकि प्रदूषण नियंत्रण योजना को जमीनी स्तर पर लागू किया जा सके। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह विकास कार्यों या कंस्ट्रक्शन को रोकना नहीं चाहता, लेकिन नियमों का पालन अनिवार्य है।


