Pentagon: क्या ड्रैगन साल 2027 तक ताइवान को निगलने की तैयारी कर चुका है? अमेरिका के रक्षा विभाग ‘पेंटागन’ की एक नई मसौदा रिपोर्ट ने पूरी दुनिया में खलबली मचा दी है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन अपनी परमाणु शक्ति को उम्मीद से कहीं ज्यादा तेजी से बढ़ा रहा है और उसने अपने साइलो फील्ड्स (मिसाइल अड्डों) में 100 से अधिक इंटरकांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें (China 100 ICBM deployment) तैनात कर दी हैं। पेंटागन की रिपोर्ट के अनुसार, चीन (Pentagon China nuclear report 2025) का लक्ष्य केवल हथियारों की संख्या बढ़ाना नहीं, बल्कि अपनी मारक क्षमता को एकदम आधुनिक बनाना है। रक्षा विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2024 तक चीन के पास लगभग 600 परमाणु हथियार थे, लेकिन जिस रफ्तार से काम चल रहा है, साल 2030 तक यह आंकड़ा 1,000 के पार पहुंच सकता है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि बीजिंग (China Taiwan 2027 invasion) ने हथियार नियंत्रण (Arms Control) पर किसी भी तरह की बातचीत करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई है, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सहित कई वैश्विक नेता इसकी अपील कर चुके हैं।
2027 की डेडलाइन और ताइवान का संकट
रिपोर्ट का सबसे चौंकाने वाला हिस्सा ताइवान पर है। इस मसौदे में अनुमान लगाया गया है कि चीन ने मंगोलियाई सीमा के पास अपने अड्डों पर DF-31 जैसी खतरनाक ICBM मिसाइलें लोड कर दी हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन को भरोसा है कि वह साल 2027 के अंत तक ताइवान पर हमला कर उसे जीतने की सैन्य क्षमता हासिल कर लेगा। इसके लिए वह ऐसी रणनीतियां बना रहा है, जो एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी हस्तक्षेप पूरी तरह से विफल कर सके।
अमेरिका और चीन के बीच बढ़ती तल्खी
यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी युद्ध विभाग को ‘तत्काल’ परमाणु परीक्षण शुरू करने का आदेश दिया है। ट्रंप का तर्क है कि रूस और चीन पहले ही परीक्षण कर रहे हैं, इसलिए अमेरिका को पीछे नहीं रहना चाहिए। दूसरी ओर, चीन आधिकारिक तौर पर ‘पहले इस्तेमाल न करने’ (No First Use) की नीति का दावा करता है, लेकिन जमीन पर उसकी तैयारियां कुछ और ही दास्तान बयां कर रही हैं।
क्या विश्व एक नई ‘परमाणु दौड़’ की ओर है ?
दरअसल, साल 2025 में ‘न्यू स्टार्ट’ संधि की समाप्ति होने वाली है। ऐसे में चीन, रूस और अमेरिका के बीच त्रिपक्षीय परमाणु होड़ का खतरा बढ़ गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन का यह सैन्य आधुनिकीकरण वैश्विक शक्ति संतुलन को बदल सकता है।
सीधे तौर पर अमेरिका को अपनी जद में लेने की कोशिश
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की ओर से 100 ICBM की तैनाती केवल ताइवान के लिए नहीं, बल्कि सीधे तौर पर अमेरिका को अपनी जद में लेने की कोशिश है। पेंटागन की यह रिपोर्ट बताती है कि अब ‘शीत युद्ध’ से आगे बढ़ कर दुनिया ‘परमाणु युद्ध’ की आहट सुन रही है। भारत जैसे पड़ोसी देशों के लिए भी यह विस्तार एक बड़ी चुनौती है।
अमेरिका चीन पर लगा सकता है नए प्रतिबंध
आने वाले दिनों में अमेरिका इस रिपोर्ट के आधार पर चीन पर नए प्रतिबंध लगा सकता है या ताइवान को और अधिक उन्नत हथियार प्रणाली (जैसे पैट्रियट मिसाइल डिफेंस) दे सकता है। साथ ही, संयुक्त राष्ट्र में भी परमाणु विस्तार के इस मुद्दे पर चीन को घेरने की कोशिश की जाएगी।
सेना के अंदर की खामियां दूर करना चाहते हैं जिनपिंग
बहरहाल, चीन के इस सैन्य विस्तार के बीच पीएलए (PLA) के भीतर चल रहे भ्रष्टाचार विरोधी अभियान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। कई वरिष्ठ जनरलों की बर्खास्तगी यह संकेत देती है कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग युद्ध की तैयारी से पहले अपनी सेना के अंदर की खामियों को दूर करना चाहते हैं, ताकि 2027 के ‘मिशन ताइवान’ में कोई बाधा न आए।


