फिल्म 95 के डायरेक्टर का छलका दर्द:लिखा-3 साल पहले मंजूरी के लिए भेजी, उम्मीद है एक दिन दीया जरूर जलेगा

फिल्म 95 के डायरेक्टर का छलका दर्द:लिखा-3 साल पहले मंजूरी के लिए भेजी, उम्मीद है एक दिन दीया जरूर जलेगा

पंजाब के मानवाधिकार कार्यकर्ता जसवंत सिंह खालड़ा के जीवन पर बनी फिल्म ‘पंजाब ’95’ के डायरेक्टर हनी त्रेहन का दर्द छलका है। उनका कहना है कि फिल्म को सेंसर बोर्ड को सौंपे हुए तीन साल हो गए हैं, लेकिन अभी तक मंजूरी नहीं मिली है। उन्होंने लिखा है कि किसी कोने में जलता हुआ एक छोटा सा दीया, जो अपने आसपास रोशनी फैलाने की कोशिश करता है। बस यही उम्मीद है… आज भी उम्मीद है… कि CBFC के किसी कोने में एक दिन वह दीया जरूर जलेगा। शायद मैं कुछ ज्यादा ही उम्मीद कर रहा हूं। आखिर में उन्होंने जसवंत सिंह खालड़ा के शब्द “मैं अंधेरे को चुनौती देता हूं” लिखे हैं। इस पोस्ट को दिलजीत ने भी आगे शेयर किया है। अब पोस्ट को तीन प्वाइंटों में क्रमवार जानें – तीन साल पहले मंजूरी को भेजी वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह!आज 22 दिसंबर है। आज ही के दिन 3 साल पहले हमारी फिल्म ‘Punjab ’95’ को CBFC (सेंसर बोर्ड) के पास सर्टिफिकेशन के लिए जमा किया गया था। आज 22 दिसंबर श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का प्रकाश पर्व भी है। यह संयोग अगर हालात इतने कड़वे न होते, तो शायद अच्छा लगता। सत्ता में बैठे लोग सच से डरते हैं लेकिन सच्चाई यह है कि सत्ता में बैठे लोग सच से, अपने इतिहास से डरते हैं। और जैसा कि हम जानते हैं, जो इतिहास भुला दिया जाता है, वह दोहराया जाता है। वॉशिंगटन पोस्ट की टैगलाइन है – “Democracy dies in darkness” (अंधेरे में लोकतंत्र मर जाता है)। मैं इसमें एक छोटा सा बदलाव करना चाहूंगा, जो हमारे हालात के ज्यादा करीब है – “लोकतंत्र अज्ञानता में मर जाता है।” CBFC के कोने में दीया जगेगा जैसे अंधेरे को हराने के लिए बस एक दीया काफी होता है, वैसे ही अज्ञानता को हराने के लिए भी किसी कोने में जलता हुआ एक छोटा सा दीया, जो अपने आसपास रोशनी फैलाने की कोशिश करता है।बस यही उम्मीद है… आज भी उम्मीद है… कि CBFC के किसी कोने में एक दिन वह दीया जरूर जलेगा।शायद मैं कुछ ज्यादा ही उम्मीद कर रहा हूं। “मैं अंधेरे को चुनौती देता हूँ।”- जसवंत सिंह खालड़ा। फिल्म में होंगे ये बड़े बदलाव

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