Prabhasakshi NewsRoom: India में US और Chinese Embassy ने VISA को लेकर जो कहा है उससे भारतीयों पर बड़ा असर पड़ने वाला है

Prabhasakshi NewsRoom: India में US और Chinese Embassy ने VISA को लेकर जो कहा है उससे भारतीयों पर बड़ा असर पड़ने वाला है
दुनिया की दो बड़ी शक्तियों अमेरिका और चीन की ताजा वीजा नीतियों ने भारत सहित वैश्विक प्रतिभा बाजार में हलचल तेज कर दी है। एक ओर भारत में अमेरिकी दूतावास ने H-1B और H-4 वीजा आवेदकों के लिए कड़ी वैश्विक चेतावनी जारी की है तो दूसरी ओर भारत में चीनी दूतावास ने भारतीय पासपोर्ट धारकों के लिए ऑनलाइन वीजा आवेदन प्रणाली शुरू कर दी है। दोनों फैसले अलग दिशा में जाते दिखते हैं लेकिन इनके केंद्र में सुरक्षा भरोसा और वैश्विक प्रतिभा की आवाजाही ही है।
हम आपको बता दें कि अमेरिकी दूतावास की ओर से जारी वर्ल्डवाइड अलर्ट के तहत अब सभी H-1B और H-4 वीजा आवेदकों की सोशल मीडिया और ऑनलाइन मौजूदगी की व्यापक जांच की जाएगी। यह नियम तुरंत प्रभाव से लागू कर दिया गया है और यह सभी देशों के आवेदकों पर समान रूप से लागू होगा। अमेरिकी विदेश विभाग ने साफ किया है कि यह कदम H-1B कार्यक्रम के कथित दुरुपयोग को रोकने और उसकी विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए उठाया गया है ताकि अमेरिकी कंपनियां श्रेष्ठ विदेशी प्रतिभा को आकर्षित करती रहें।

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हम आपको बता दें कि अब कांसुलर अधिकारी आवेदकों के सोशल मीडिया प्रोफाइल, सार्वजनिक डिजिटल गतिविधियों और अन्य ऑनलाइन पहचान की समीक्षा करेंगे। इसका मकसद आवेदक की पृष्ठभूमि, मंशा और पेशेवर दावों की पुष्टि करना है। दूतावास ने यह भी कहा है कि वीजा आवेदन स्वीकार किए जा रहे हैं लेकिन अतिरिक्त जांच के कारण प्रक्रिया में समय लग सकता है इसलिए आवेदकों को पहले से आवेदन करने की सलाह दी गई है।
इस कड़े रुख का असर अमेरिकी तकनीकी क्षेत्र में भी दिखने लगा है। खबर है कि Apple, Google और Microsoft जैसी दिग्गज कंपनियों ने अपने वीजा पर काम कर रहे कर्मचारियों को फिलहाल अमेरिका से बाहर यात्रा नहीं करने की चेतावनी दी है। आशंका है कि बाहर जाने पर दोबारा प्रवेश में देरी या अड़चन आ सकती है। इससे हजारों भारतीय पेशेवरों में बेचैनी स्वाभाविक है जिनका कॅरियर और पारिवारिक जीवन इन वीजाओं से जुड़ा है।
इसी बीच, एशिया के दूसरे छोर पर चीन ने उलटी दिशा में कदम बढ़ाया है। नई दिल्ली स्थित चीनी दूतावास ने भारत के लिए ऑनलाइन वीजा आवेदन प्रणाली शुरू की है। अब भारतीय नागरिक पर्यटन, व्यापार, छात्र और कार्य वीजा के लिए डिजिटल माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। पहले जहां बार-बार दूतावास के चक्कर और भारी कागजी कार्रवाई करनी पड़ती थी वहीं अब फार्म भरना, दस्तावेज अपलोड करना और बायोमीट्रिक के लिए समय तय करना सब कुछ ऑनलाइन हो सकेगा।
रिपोर्ट के अनुसार इस व्यवस्था से दूतावास जाने की संख्या दो से घटकर एक रह जाएगी और वह भी केवल बायोमीट्रिक के लिए। आवेदक अपने आवेदन की स्थिति को वास्तविक समय में देख सकेंगे और शुल्क का भुगतान भारतीय मुद्रा में कर सकेंगे जिससे विदेशी मुद्रा के अतिरिक्त शुल्क से राहत मिलेगी। यह सेवा 22 दिसंबर से लागू हो गई है।
यह कदम ऐसे समय आया है जब भारत और चीन के बीच रिश्तों को धीरे-धीरे सामान्य बनाने की कोशिशें चल रही हैं। हम आपको बता दें कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव कम होने के बाद दोनों देशों ने कई व्यावहारिक फैसले लिए हैं। हाल के महीनों में कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली, सीधी उड़ानों की बहाली, कूटनीतिक संबंधों के 75 वर्ष पूरे होने का आयोजन और वीजा सुविधा पर सहमति जैसे कदम उठाये गये हैं। भारत ने भी हाल में चीनी पेशेवरों के लिए व्यापार वीजा प्रक्रिया तेज की है हालांकि सुरक्षा जांच में कोई ढील नहीं दी गई है।
देखा जाये तो इन दोनों खबरों को साथ रखकर देखें तो वैश्विक राजनीति का एक दिलचस्प चित्र उभरता है। अमेरिका जहां सुरक्षा और निगरानी को प्राथमिकता देते हुए डिजिटल जीवन की गहरी पड़ताल कर रहा है वहीं चीन प्रशासनिक सरलता और सुविधा के जरिये भरोसा बहाल करने की कोशिश में है। सवाल यह नहीं कि कौन सही है बल्कि यह है कि बदलती दुनिया में प्रतिभा और विश्वास के बीच संतुलन कैसे बने। देखा जाये तो अमेरिका की चिंता बेबुनियाद नहीं है। सोशल मीडिया आज व्यक्ति के विचार, रिश्तों और गतिविधियों का आईना बन चुका है। लेकिन अत्यधिक निगरानी से डर और अनिश्चितता भी पैदा होती है। भारतीय आईटी पेशेवरों के लिए H-1B केवल नौकरी नहीं बल्कि जीवन की योजना है। इसमें भी कोई दो राय नहीं कि हर पोस्ट, हर लाइक को संदेह की नजर से देखे जाने का भाव रचनात्मकता और खुली अभिव्यक्ति को चोट पहुंचा सकता है।
दूसरी ओर चीन का डिजिटल वीजा कदम बताता है कि प्रतिस्पर्धा केवल सीमाओं पर नहीं बल्कि प्रतिभा को आकर्षित करने में भी है। आसान प्रक्रियाएं निवेश, व्यापार और लोगों के संपर्क को बढ़ाती हैं। भारत और चीन के रिश्तों में अभी भी कई पेच हैं लेकिन छोटे व्यावहारिक कदम बड़े अविश्वास को धीरे-धीरे कम कर सकते हैं। बहरहाल, यह दौर केवल वीजा का नहीं विश्वास का है। जो देश सुविधा सुरक्षा और सम्मान के बीच संतुलन साध पाएगा वही आने वाले समय में वैश्विक प्रतिभा का असली केंद्र बनेगा।

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