सेंट्रल जीएसटी में पदस्थ रहे असिस्टेंट कमिश्नर और इंस्पेक्टर को चार लाख रुपए की रिश्वत लेने के मामले में जेल भेज दिया गया है। सीबीआई ने पूछताछ के लिए चार दिन की रिमांड ली थी। इधर शिकायतकर्ता होटल कारोबारी ने रिश्वतकांड को लेकर कई बड़े खुलासे किए है। होटल व्यापारी विवेक त्रिपाठी की शिकायत पर 17 दिसंबर की शाम सीबीआई ने असिस्टेंट कमिश्रर विवेक वर्मा और इंस्पेक्टर सचिन कांत खरे को गिरफ्तार किया था, जबकि ऑफिस अधीक्षक मुकेश बर्मन अभी भी फरार है। 2018 में मिले थे रिकार्ड होटल कारोबारी विवेक त्रिपाठी ने दैनिक भास्कर को बताया कि 2018 में सेंट्रल जीएसटी की टीम ने दिल्ली में स्थित ओयो कार्यालय में छापा मारते हुए वहां से पूरे भारत के कई होटलों के दस्तावेजों को जब्त किया था। जिसमें हर होटल के व्यवसाय का रिकार्ड था। दिल्ली जीएसटी की टीम ने जांच में यह भी पाया कि ओयो ने अपने बिजनेस को 100 गुना तक बढ़ाकर दिखाया था, क्योंकि कंपनी को आईपीओ (Initial Public Offering) लाना था। इस कार्रवाई के बाद देश भर के जीएसटी ऑफिस में उन होटलों की लिस्ट भेजी गई थी, जो कि ओयो से टाईअप है। 50 से अधिक ओयो से टाईअप होटल को नोटिस होटल कारोबारी विवेक त्रिपाठी ने बताया कि दिल्ली ऑफिस से जबलपुर भेजी गई सूची में शहर के 50 से अधिक ओयो से जुड़े होटलों के नाम शामिल थे। इसके बाद जबलपुर सेंट्रल जीएसटी की टीम ने संबंधित सभी होटलों को नोटिस भेजना शुरू किया और टैक्स रिकवरी की प्रक्रिया शुरू कर दी। विवेक त्रिपाठी को भी नोटिस जारी कर कार्यालय बुलाया गया, जहां अधिकारियों ने बताया कि अधिकांश होटल संचालक मामले का निपटारा कर चुके हैं। विवेक त्रिपाठी के अनुसार, उन्होंने वर्ष 2018 से अब तक के सभी दस्तावेज असिस्टेंट कमिश्नर के समक्ष प्रस्तुत किए। इसके बावजूद उनसे कहा गया कि दस्तावेजों का कोई महत्व नहीं है और यदि ऑर्डर पास कर दिया गया तो उन्हें करीब एक करोड़ रुपए जीएसटी और दो करोड़ रुपए पेनल्टी के रूप में भरने होंगे। इस तरह कुल तीन करोड़ रुपए की देनदारी बताई गई। अपील के नाम पर 30 लाख की शर्त विवेक त्रिपाठी का आरोप है कि सेंट्रल जीएसटी अधिकारियों ने पहले तीन करोड़ रुपए की रिकवरी तय कर दी। जब उन्होंने भुगतान से इनकार किया तो कहा गया कि यदि इस आदेश के खिलाफ अपील करनी है, तो पहले 10 प्रतिशत राशि यानी करीब 30 लाख रुपए जमा करने होंगे। उनका कहना है कि कार्यालय में बुलाकर उन्हें लगातार धमकाया गया और कहा गया कि यदि मामला नहीं निपटाया गया तो उन्हें लगातार परेशान किया जाएगा। विवेक त्रिपाठी के मुताबिक, काफी मिन्नतों के बावजूद असिस्टेंट कमिश्नर और अन्य अधिकारी मानने को तैयार नहीं थे। अंततः सेंट्रल जीएसटी अधिकारियों ने 10 लाख रुपए की रिश्वत लेकर मामले को निपटाने की सहमति जताई। हताश होकर सीबीआई का दरवाजा खटखटाया होटल कारोबारी विवेक त्रिपाठी ने बताया कि उन्होंने असिस्टेंट कमिश्नर के सामने हाथ जोड़कर कई बार आग्रह किया कि जब सभी दस्तावेज सही हैं, तो फिर रिश्वत क्यों मांगी जा रही है। उन्होंने सवाल किया कि आखिर 5 लाख रुपए किस बात के लिए देने होंगे, लेकिन अधिकारी सुनने को तैयार नहीं थे। लगातार दबाव और धमकियों से परेशान होकर उन्होंने जबलपुर सीबीआई एसपी को लिखित शिकायत सौंपी। शिकायत के बाद सीबीआई ने करीब दो महीने तक पूरे मामले की गोपनीय जांच की। इस दौरान यह पड़ताल की गई कि कौन-कौन अधिकारी रिश्वत की मांग कर रहे हैं। जांच पूरी होने के बाद 17 दिसंबर को रिश्वत की पहली किस्त के रूप में 4 लाख रुपए लेते हुए इंस्पेक्टर सचिनकांत खरे और असिस्टेंट कमिश्नर को रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया। दो तरह का होता है भ्रष्टाचार विवेक त्रिपाठी ने कहा कि भ्रष्टाचार दो तरह का होता है। पहला वह, जो व्यवस्था का हिस्सा बन चुका है, जहां बिना रिश्वत दिए कोई काम नहीं होता। दूसरा वह, जिसमें अधिकारियों द्वारा लोगों को डराया-धमकाया जाता है और जानबूझकर परेशान किया जाता है। ऐसे अधिकारी यह तय करते हैं कि सामने वाले व्यक्ति पर किस तरह दबाव बनाया जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली से जबलपुर आई दस्तावेजों की सूची वरिष्ठ अधिकारियों के स्तर पर तैयार की गई और फिर चुन-चुनकर लोगों को नोटिस भेजकर धमकाया गया। विवेक त्रिपाठी का मानना है कि इस रिश्वतकांड में फिलहाल असिस्टेंट कमिश्नर, इंस्पेक्टर और अधीक्षक ही सामने आए हैं, लेकिन इसमें और भी बड़े अधिकारियों की भूमिका हो सकती है, जिसकी जांच अभी बाकी है। रिश्वत लेने पहुंचा था इंस्पेक्टर सचिनकांत 17 दिसंबर को इंस्पेक्टर सचिनकांत खरे टू-व्हीलर से राइट टाउन पहुंचे। विवेक त्रिपाठी ने अपने कर्मचारी के जरिए चार लाख रुपए भेजे। सचिनकांत ने रकम लेकर एक्टिवा की डिक्की में रखी और जैसे ही वाहन स्टार्ट किया, सीबीआई की टीम सामने आ गई। वह मौके से भागने लगा, लेकिन करीब छह किलोमीटर पीछा करने के बाद सीबीआई ने ग्वारीघाट के पास उसे चार लाख रुपए की रिश्वत के साथ गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में सचिनकांत ने असिस्टेंट कमिश्नर विवेक वर्मा और कार्यालय अधीक्षक मुकेश बर्मन की संलिप्तता की जानकारी दी। खाते सीज, दस्तावेज जब्त सीबीआई ने रिमांड के दौरान दोनों अधिकारियों के पास से कई अहम दस्तावेज बरामद किए और उनके घरों पर भी दबिश दी। इसके साथ ही दोनों के बैंक खाते सीज कर दिए गए हैं। पूछताछ में कई नई जानकारियां सामने आई हैं, जबकि फरार कार्यालय अधीक्षक की तलाश जारी है।


