महाराष्ट्र की स्थानीय निकाय चुनाव परिणामों ने विपक्षी खेमे में खलबली मचा दी है। रविवार को आए नतीजों में भाजपा (BJP) नीत महायुति गठबंधन ने शानदार प्रदर्शन किया, इससे आगामी महानगरपालिका चुनावों को लेकर विपक्षी दलों की चिंताएं बढ़ गई हैं। इन्ही नतीजों का असर है कि अब उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) ने अपनी रणनीति बदलते हुए कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने की कवायद तेज कर दी है।
संजय राउत ने मिलाया राहुल गांधी को फोन
महाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनावों के नतीजों ने विपक्ष को अपनी एकजुटता और रणनीति पर फिर से सोचने को मजबूर कर दिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, उद्धव ठाकरे गुट के वरिष्ठ नेता और सांसद संजय राउत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से फोन पर बातचीत की। इस बातचीत का मुख्य केंद्र आगामी 15 जनवरी को होने वाले बीएमसी (BMC) चुनाव में एकजुट चुनाव लड़ना बताया जा रहा है।
हालिया स्थानीय चुनावों में कांग्रेस विपक्षी गठबंधन (MVA) में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। जबकि जबकि उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना (UBT) को महज नौ सीटें मिली हैं। चर्चा के दौरान राउत ने भाजपा के खिलाफ सामूहिक लड़ाई की जरूरत पर जोर दिया। कांग्रेस को साथ लेकर उद्धव सेना बीजेपी-शिंदे शिवसेना गठबंधन के विजय रथ को रोकना चाहती है। दरअसल कांग्रेस ने मुंबई में पहले ही बीएमसी चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान किया है।
शिवसेना (UBT) और कांग्रेस दोनों ने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने की बात कही थी। संजय राउत ने खुद ‘एकला चलो’ का नारा देते हुए कहा था, “कांग्रेस अपने दम पर चुनाव लड़कर अकट दिखाना चाहती है, जिसे साथ आना है आए, वरना हम अकेले लड़ेंगे।“ लेकिन अब निकाय चुनाव के नतीजों ने सियासी समीकरण बदल दिए हैं। अब उद्धव गुट को अहसास हो गया है कि बिना कांग्रेस के वोट बैंक के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और बीजेपी की ‘महायुति’ को हराना नामुमकिन है।
ठाकरे भाइयों का गठबंधन टला!
मुंबई की सत्ता पर 25 सालों तक काबिज रही शिवसेना के लिए यह चुनाव अस्तित्व की लड़ाई है। खबर है कि उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) और राज ठाकरे की मनसे (MNS) के बीच गठबंधन का आधिकारिक ऐलान आज नहीं होगा, बल्कि मंगलवार को हो सकता है। सूत्रों के मुताबिक, सीट शेयरिंग का फॉर्मूला लगभग तय हो चुका है। बीएमसी की कुल 227 सीटों में से शिवसेना (UBT) 145 से 150, मनसे 65 से 70 और एनसीपी (शरद पवार) 10 से 12 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है।
शिवसेना (UBT) अपनी करीब 12 से 15 ऐसी सीटें मनसे के लिए छोड़ सकती है, जहां के पूर्व पार्षद अब शिंदे गुट में शामिल हो चुके हैं।
उद्धव सेना के सामने सबसे बड़ी चुनौती मनसे और कांग्रेस के बीच तालमेल बिठाना है, क्योंकि कांग्रेस वैचारिक मतभेदों के कारण राज ठाकरे के साथ मंच साझा करने को तैयार नहीं है।


