मंगल ग्रह पर जीवन बसाने की दिशा में वैज्ञानिकों ने एक नई संभावना तलाशी है। वैज्ञानिकों का मानना है कि मंगल ग्रह पर बर्फ भविष्य में इंसानी सभ्यताओं की नींव बन सकती है। मंगल ग्रह का वातावरण बेहद कठोर है। वहाँ तापमान शून्य से -120 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है। साथ ही इसका न तो घना वातावरण है और न ही मजबूत चुंबकीय क्षेत्र। ऐसे में अंतरिक्ष यात्रियों को ठंड और खतरनाक स्पेस रेडिएशन से बचाना एक चुनौती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि बर्फ इन दोनों समस्याओं का समाधान बन सकती है।
मंगल पर बड़ी मात्रा में जमी है बर्फ
मंगल पर सतह और ज़मीन के नीचे बड़ी मात्रा में जमी हुई बर्फ मौजूद है, जिसे स्थानीय संसाधन के रूप में इस्तेमाल कर रहने लायक घर बनाए जा सकते हैं। हालांकि इस मामले पर वैज्ञानिकों की खोज जारी है।
गुंबद जैसे घर तापमान को करेंगे संतुलित
रिसर्च के अनुसार बर्फ को काटकर, पिघलाकर और दोबारा जमाकर मज़बूत ढांचे या गुंबद जैसे घर बनाए जा सकते हैं। इन बर्फीले घरों की मोटी दीवारें अंदर के हिस्से को बाहर की भयानक ठंड से बचा सकती हैं। सिर्फ कुछ मीटर मोटी बर्फ की परत अंदर का तापमान काफी हद तक संतुलित कर सकती है, जिसे हीटर की मदद से रहने लायक बनाया जा सकता है। इससे ऊर्जा की खपत भी कम होगी।
रेडिएशन रुकेगा, लेकिन रोशनी भरपूर मिलेगी
बर्फ का एक और बड़ा फायदा यह है कि यह हानिकारक स्पेस रेडिएशन को रोक सकती है। मंगल ग्रह पर सूरज की पराबैंगनी किरणें और कॉस्मिक रेडिएशन सीधे सतह तक पहुंचती हैं, जो इंसानों के लिए खतरनाक हैं। वैज्ञानिकों ने पाया है कि बर्फ इन किरणों को काफी हद तक रोक सकती है, जबकि रोशनी को अंदर आने देती है। इससे अंतरिक्ष यात्रियों को प्राकृतिक प्रकाश मिलेगा और मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर रहेगा।
चुनौतियाँ भी कई
मंगल ग्रह पर रहने को सपने से हकीकत में बदलना इतना आसान नहीं है। इसमें कई चुनौतियाँ भी हैं। बर्फ निकालने और उसे उपयोगी बनाने में बहुत ज्यादा ऊर्जा चाहिए। मंगल पर ऊर्जा एक बड़ी समस्या है। मंगल पर उठने वाले धूल भरे तूफान बर्फीले ढांचों की सतह को ढक सकते हैं। बर्फ को वाष्पीकरण से बचाने के लिए सुरक्षात्मक परत की भी ज़रूरत होगी।


