बिहार में रोड की तरह नहरों की मेंटेनेंस पॉलिसी होगी। नई एजेंसियों को जोन वार काम मिलेगा। इसके लागू होने से सिंचाई के लिए नहरों के अंतिम छोर तक पानी मिलेगा। इससे 39 लाख हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा बहाल होगी। राज्य में अभी नहर से करीब 17 लाख हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा है। जल संसाधन विभाग ने नई पॉलिसी बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। राज्य सरकार की मंजूरी के लिए नहर मेंटेनेंस पॉलिसी को राज्य कैबिनेट में भेजा जाएगा। राज्य सरकार की अनुमति के बाद राज्य में नहर मेंटेनेंस पॉलिसी लागू होगी। इसके तहत नहरों की मेंटनेंस के लिए अलग-अलग एजेंसी को टेंडर के जरिए आमंत्रित किया जाएगा। चयनित एजेंसी को निर्धारित दूरी तक नहरों की मेंटेनेंस कर पानी का बहाव बरकरार रखने की जिम्मेवारी होगी। विभाग के मानक को पूरा नहीं करने वाली एजेंसियों को निर्धारित राशि की कटौती कर भुगतान किया जाएगा। अधिकारियों के मुताबिक रोड बनाने वाली वाली कंपनियों को 5 या 7 सात साल तक मेंटनेंस की जिम्मेवारी दी जाती है। इस कारण राज्य में सड़कों की स्थिति बेहतर है। ठीक उसी तरह नहर का निर्माण करने वाली या पुरानी नहरों का जीर्णोद्धार करने वाली एजेंसी को 5 साल तक मेंटेनेंस की जिम्मेवारी होगी। अभी 6.41 लाख हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा राज्य में हर खेत तक सिंचाई का पानी कार्यक्रम की 1179 योजनाएं पूरी हुई हैं। इससे 6,41,153 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता बनी है। पिछले सप्ताह विभागीय समीक्षा के दौरान जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने चयनित 1203 योजनाओं में अब तक 1179 के पूरी होने की जानकारी दी है। इससे 3129.41 हेक्टेयर में नई सिंचाई क्षमता बनी है। साथ ही 6,38,24.52 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता की पुनर्स्थापना की गई है। प्रधान सचिव संतोष कुमार मल्ल ने कहा कि सात निश्चय-2 के तहत हर खेत तक सिंचाई का पानी कार्यक्रम राज्य सरकार की प्रमुख योजनाओं में शामिल है। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई व्यवस्था को सुदृढ़ करना, हर खेत तक पानी पहुंचाना और किसानों को स्थायी सिंचाई सुविधा प्रदान कर कृषि उत्पादन को मजबूती देना है। जिन योजनाओं में वर्क प्रोग्राम के अनुसार निर्धारित लक्ष्य का 20 प्रतिशत से कम कार्य हुआ है, उन सभी मामलों में संबंधित कार्यपालक अभियंता और संवेदक से स्पष्टीकरण मांगने का निर्देश दिया है। किसी भी स्तर पर लापरवाही होने पर कार्रवाई की जाएगी। अभी तक बिहार की नहरों में बड़ी समस्या सिल्ट जमा होना, टूट-फूट और समय पर मरम्मत का अभाव है। अक्सर मुख्य नहरों में तो पानी रहता है, लेकिन उप नहरों और अंतिम छोर तक पहुंचते-पहुंचते पानी खत्म हो जाता है। नई पॉलिसी के तहत हर नहर खंड के लिए अलग-अलग एजेंसियों की जिम्मेदारी तय होगी। सड़कों की तरह नहर की एजेंसियों के लिए वार्षिक बजट, डिजिटल मॉनिटरिंग और शिकायत निवारण की व्यवस्था होगी। नई नहर मेंटेनेंस पॉलिसी आने के बाद सिंचाई की बेहतर उपलब्धता से खरीफ और रबी दोनों फसलों की उत्पादकता बढ़ेगी। किसानों की लागत घटेगी। सूखे की स्थिति में फसलों को राहत मिलेगी। बिहार में रोड की तरह नहरों की मेंटेनेंस पॉलिसी होगी। नई एजेंसियों को जोन वार काम मिलेगा। इसके लागू होने से सिंचाई के लिए नहरों के अंतिम छोर तक पानी मिलेगा। इससे 39 लाख हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा बहाल होगी। राज्य में अभी नहर से करीब 17 लाख हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा है। जल संसाधन विभाग ने नई पॉलिसी बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। राज्य सरकार की मंजूरी के लिए नहर मेंटेनेंस पॉलिसी को राज्य कैबिनेट में भेजा जाएगा। राज्य सरकार की अनुमति के बाद राज्य में नहर मेंटेनेंस पॉलिसी लागू होगी। इसके तहत नहरों की मेंटनेंस के लिए अलग-अलग एजेंसी को टेंडर के जरिए आमंत्रित किया जाएगा। चयनित एजेंसी को निर्धारित दूरी तक नहरों की मेंटेनेंस कर पानी का बहाव बरकरार रखने की जिम्मेवारी होगी। विभाग के मानक को पूरा नहीं करने वाली एजेंसियों को निर्धारित राशि की कटौती कर भुगतान किया जाएगा। अधिकारियों के मुताबिक रोड बनाने वाली वाली कंपनियों को 5 या 7 सात साल तक मेंटनेंस की जिम्मेवारी दी जाती है। इस कारण राज्य में सड़कों की स्थिति बेहतर है। ठीक उसी तरह नहर का निर्माण करने वाली या पुरानी नहरों का जीर्णोद्धार करने वाली एजेंसी को 5 साल तक मेंटेनेंस की जिम्मेवारी होगी। अभी 6.41 लाख हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा राज्य में हर खेत तक सिंचाई का पानी कार्यक्रम की 1179 योजनाएं पूरी हुई हैं। इससे 6,41,153 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता बनी है। पिछले सप्ताह विभागीय समीक्षा के दौरान जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने चयनित 1203 योजनाओं में अब तक 1179 के पूरी होने की जानकारी दी है। इससे 3129.41 हेक्टेयर में नई सिंचाई क्षमता बनी है। साथ ही 6,38,24.52 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता की पुनर्स्थापना की गई है। प्रधान सचिव संतोष कुमार मल्ल ने कहा कि सात निश्चय-2 के तहत हर खेत तक सिंचाई का पानी कार्यक्रम राज्य सरकार की प्रमुख योजनाओं में शामिल है। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई व्यवस्था को सुदृढ़ करना, हर खेत तक पानी पहुंचाना और किसानों को स्थायी सिंचाई सुविधा प्रदान कर कृषि उत्पादन को मजबूती देना है। जिन योजनाओं में वर्क प्रोग्राम के अनुसार निर्धारित लक्ष्य का 20 प्रतिशत से कम कार्य हुआ है, उन सभी मामलों में संबंधित कार्यपालक अभियंता और संवेदक से स्पष्टीकरण मांगने का निर्देश दिया है। किसी भी स्तर पर लापरवाही होने पर कार्रवाई की जाएगी। अभी तक बिहार की नहरों में बड़ी समस्या सिल्ट जमा होना, टूट-फूट और समय पर मरम्मत का अभाव है। अक्सर मुख्य नहरों में तो पानी रहता है, लेकिन उप नहरों और अंतिम छोर तक पहुंचते-पहुंचते पानी खत्म हो जाता है। नई पॉलिसी के तहत हर नहर खंड के लिए अलग-अलग एजेंसियों की जिम्मेदारी तय होगी। सड़कों की तरह नहर की एजेंसियों के लिए वार्षिक बजट, डिजिटल मॉनिटरिंग और शिकायत निवारण की व्यवस्था होगी। नई नहर मेंटेनेंस पॉलिसी आने के बाद सिंचाई की बेहतर उपलब्धता से खरीफ और रबी दोनों फसलों की उत्पादकता बढ़ेगी। किसानों की लागत घटेगी। सूखे की स्थिति में फसलों को राहत मिलेगी।


