जापान में फिर शुरू होगा दुनिया का सबसे बड़ा न्यूक्लियर पावर प्लांट, जानें कितनी है क्षमता

जापान में फिर शुरू होगा दुनिया का सबसे बड़ा न्यूक्लियर पावर प्लांट, जानें कितनी है क्षमता

जापान दुनिया के सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्र को फिर से शुरू करने जा रहा है। जापान ने 2011 में आई सुनामी के बाद देश के सभी 54 न्यूक्लियर रिएक्टर बंद कर दिए थे। क्योंकि फुकुशिमा डाइची न्यूक्लियर पावर प्लांट का रिएक्टर सुनामी के कारण क्षतिग्रस्त हो गया था। इस कारण रेडिएशन भी फैल गया था। यह प्लांट टोक्यो से 220 किलोमीटर दूर स्थित काशीवाजाकी-कारिवा में है। जापान की नाइगाटा असेंबली में इसे शुरू करने केा लेकर विश्वास प्रस्ताव पास कर दिया है।

33 रिएक्टर दोबारा शुरू करने के योग्य माने गए

फुकुशिमा हादसे के बाद जापान के सभी न्यूक्लियर पावर प्लांट बंद कर दिए गए थे। इससे जापान को अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए जैविक ईधन से बिजली उत्पादन के लिए निर्भर होना पड़ा। वहीं हाल में बंद किए गए रिएक्टरों को फिर शुरू करने की पहल हुई। इस दौरान 33 रिएक्टरों को तकनीकी रूप से फिर से शुरू करने के योग्य माना गया। इसमें से 14 को शुरू किया भी जा चुका है। फुकुशिमा पावर प्लांट को टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी संचालित करती है।

फैक्ट फाइल

  • 54- न्यूक्लियर रिएक्टर पूरे जापान में
  • 7- न्यूक्लियर रिएक्टर फुकुशिमा पावर प्लांट में
  • 4696- मेगावॉट फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट की बिजली उत्पादन क्षमता
  • 14- न्यूक्लियर रिएक्टर को जापान ने हाल में रिस्टार्ट किया है
  • 4,696 मेगावॉट पावर जेनरेशन क्षमता के साथ दुनिया का सबसे बड़ा न्यूक्लियर प्लांट
  • 2011 में सुनामी से हुआ था क्षतिग्रस्त, चेर्नोबेल के बाद दूसरा सबसे बड़ा परमाणु हादसा

दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा परमाणु हादसा

  • 11 मार्च 2011 को आई सुनामी में फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट क्षतिग्रस्त हुआ।
  • हादसे के कारण रेडिएशन फैलने लगा। जमीन, हवा और समुद्र के पानी में लगातार रेडिएशन फैला।
  • प्लांट के 20 किलोमीटर के दायरे को खाली कराया गया, 27 हजार परिवारों यानी करीब डेढ़ लाख लोगों को घर छोडऩा पड़ा।
  • हादसे के दौरान 16 कर्मचारी घायल हुए और संयंत्र को स्थिर करने के प्रयास में लगे दर्जनों कर्मचारी रेएिडशन की चपेट में आए।
  • हादसे के बाद प्लांट के सभी रिएक्टर बंद करने पड़े इनके पूरी तरह से ठंडा होने में ही छह महीने से ज्यादा समय लग गया।
  • 1986 में यूक्रेन के चेर्नोबेल में हुए परमाणु हादसे के बाद इसे दूसरा सबसे बड़ा हादसा माना गया।
  • हादसे के बाद परमाणु कचरे, ईंधन की छड़ों और 10 लाख टन रेडियोधर्मी पानी रखा है। जिसे हटाने में कई साल लग सकते हैं।

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