बार-बार ट्रांसफर से परेशान जज ने सुप्रीम-कोर्ट में लगाई याचिका:सुप्रीम कोर्ट ने कहा-प्रतिभाशाली जज, हाईकोर्ट सीजे सहानुभूतिपूर्वक विचार करें

बार-बार ट्रांसफर से परेशान जज ने सुप्रीम-कोर्ट में लगाई याचिका:सुप्रीम कोर्ट ने कहा-प्रतिभाशाली जज, हाईकोर्ट सीजे सहानुभूतिपूर्वक विचार करें

रिटायरमेंट के 10 महीने पहले बार-बार ट्रांसफर से परेशान जिला एवं सैशन न्यायाधीश दिनेश गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर अपने ट्रांसफर आदेश को रद्द करने की गुहार की। उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए सीजेआई जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जॉयमाला बागची व जस्टिस विपुल एम.पंचोली की बैंच ने कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि गुप्ता एक प्रतिभाशाली जज हैं और इसलिए ही उन्हें जेडीए में निदेशक विधि व विधिक सेवा प्राधिकरण में पोस्टिंग दी गई थी। इसलिए इन दोनों पोस्टिंग को सजा के तौर पर नहीं माना जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने गुप्ता की गंभीर सेहत के कारण जयपुर में निरंतर इलाज चलने, रिटायरमेंट में मात्र दस महीने बचने तथा शिक्षिका पत्नी के रिटायरमेंट में भी कम समय होने के आधार पर हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस को जज गुप्ता के प्रतिवेदन पर दो हफ्ते में सहानुभूतिपूर्वक विचार करने को कहा है। फैसले के बाद हुआ था ट्रांसफर
जज दिनेश गुप्ता जयपुर कमर्शियल कोर्ट में जज थे। इस दौरान उन्होंने 5 जुलाई 2025 को एक निजी कंपनी पर 50 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। इसी दिन उनका ट्रांसफर जयपुर से ब्यावर प्रिंसिपल डीजे के पद पर कर दिया गया। वहीं पांच महीने में ही 2 दिसंबर को ब्यावर से जालौर ट्रांसफर कर दिया गया। इस पर जज गुप्ता ने एक्टिंग चीफ जस्टिस को अपनी गंभीर बीमारी के कारण गिरती सेहत व रिटायरमेंट में मात्र 10 महीने बचने का हवाला देते हुए ट्रांसफर रद्द करके जयपुर में ही रखने का प्रतिवेदन दिया था। लेकिन प्रतिवेदन पर कोई सुनवाई नहीं होने पर उन्होने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। फैसलों को लेकर हमेशा रहे चर्चित
जज दिनेश गुप्ता अपने कार्यकाल में कई चर्चित फैसलों को लेकर हमेशा चर्चा में रहे। साल 2005 में जयपुर में मजिस्ट्रेट रहते हुए एक रैली के दौरान राष्ट्रीय ध्वज को पैरों तले रौंदने पर तत्कालीन जयपुर एसपी सहित दो आरएएस अफसरों के खिलाफ प्रसंज्ञान लेकर गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिए थे। जज गुप्ता ने आरसीए के तत्कालीन अध्यक्ष व आईपीएल कमिश्नर रहे ललित मोदी के खिलाफ भी एक मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी किए थे। वहीं, सवाई माधोपुर पॉक्सो कोर्ट में तैनाती के दोरान एक मामले में तत्कालीन डीजीपी कपिल गर्ग को भी उनकी अदालत में हाजिर होना पड़ गया था। जयपुर विकास प्राधिकरण में विधि निदेशक के पद तैनाती के दौरान उन्होंने जयपुर के अरबों रूपए की जमीन को सरकार की मिलीभगत से हड़पने का खुलासा किया और जमीन के एक बड़े हिस्से को हड़पे जाने से बचाया।

​ 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *