पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए राज्य के तीन प्रमुख सिख धार्मिक केंद्रों – अमृतसर (वॉल्ड सिटी क्षेत्र), श्री आनंदपुर साहिब और तलवंडी साबो को आधिकारिक रूप से ‘पवित्र शहर’ का दर्जा दे दिया है। इस अधिसूचना के साथ ही इन शहरों की सीमाओं के भीतर मांस, शराब, तंबाकू, सिगरेट और अन्य नशीले पदार्थों की बिक्री एवं सेवन पर पूर्ण प्रतिबंध लग गया है। सीएम मान ने इसे ‘ऐतिहासिक’ करार देते हुए कहा कि यह निर्णय सिखों और पंजाबियों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान है।
तीन शहरों में मांस और नशीले पदार्थों की बिक्री बैन
ये तीनों शहर सिख धर्म के पांच तख्तों में से तीन का घर हैं। अमृतसर में अकाल तख्त (सिखों का सर्वोच्च तख्त, जिसकी स्थापना गुरु हरगोबिंद सिंह ने 1606 में की), आनंदपुर साहिब में तख्त केशगढ़ साहिब (जहां गुरु गोबिंद सिंह ने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की) और तलवंडी साबो में तख्त दमदमा साहिब (जहां गुरु गोबिंद सिंह ने गुरु ग्रंथ साहिब का अंतिम संकलन किया) स्थित हैं। शेष दो तख्त बिहार और महाराष्ट्र में हैं।
लंबे समय से सिख संगठनों और राजनीतिक दलों की मांग थी
यह फैसला नवंबर 2025 में श्री आनंदपुर साहिब में आयोजित विशेष विधानसभा सत्र में सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव पर आधारित है, जो गुरु तेग बहादुर की 350वीं शहादत जयंती पर बुलाया गया था। लंबे समय से सिख संगठनों और राजनीतिक दलों की मांग थी कि इन स्थानों को पवित्र शहर घोषित किया जाए ताकि इनकी पवित्रता बनी रहे। पंजाब यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर परमवीर सिंह के अनुसार, पवित्रता का मतलब भोजन, विचार और व्यवहार में शुद्धता है।
स्थानीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा असर
इस प्रतिबंध से स्थानीय अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा। मीट शॉप्स, शराब ठेके, बार और तंबाकू दुकानों को बंद करना होगा। कुछ आलोचकों का कहना है कि छोटे दुकानदारों की आजीविका प्रभावित होगी और उनका पुनर्वास जरूरी है। साथ ही, निहांग सिखों की परंपरा में झटका मीट शामिल है, जिस पर चुनौतियां आ सकती हैं। हालांकि, सरकार ने श्रद्धालुओं के लिए ई-रिक्शा, मिनी बस और शटल सेवाएं शुरू करने का वादा किया है ताकि धार्मिक पर्यटन बढ़े।
सीएम योगी की नीतियों से प्रेरित
यह कदम उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ की नीतियों से प्रेरित लगता है, जहां कई धार्मिक स्थलों के आसपास मीट-शराब पर बैन है। पंजाब में नशे की गंभीर समस्या को देखते हुए यह मनोवैज्ञानिक बदलाव ला सकता है। सिख संगठनों ने स्वागत किया है, जबकि कुछ विपक्षी इसे चुनावी स्टंट बता रहे हैं। कुल मिलाकर, यह फैसला सिख विरासत के संरक्षण और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण है, लेकिन लागू करने में व्यावहारिक चुनौतियां रहेंगी।


