RBI के हस्तक्षेप से रुपये को सहारा, बॉन्ड यील्ड और विदेशी निवेश पर नजर

RBI के हस्तक्षेप से रुपये को सहारा, बॉन्ड यील्ड और विदेशी निवेश पर नजर
विदेशी मुद्रा बाजार से जुड़े जानकारों के मुताबिक, भारतीय रिज़र्व बैंक के सक्रिय हस्तक्षेप के चलते इस सप्ताह रुपये पर दबाव कुछ हद तक थमा रह सकता है। बता दें कि शुक्रवार देर शाम आरबीआई की ओर से डॉलर बिक्री बढ़ाने के बाद रुपया एक डॉलर के मुकाबले 90 के स्तर से ऊपर निकल गया था और सप्ताह का अंत करीब 1 प्रतिशत की मजबूती के साथ 89.27 पर हुआ।
मौजूद जानकारी के अनुसार, सरकारी बैंकों के ज़रिये डॉलर की बिक्री ने रुपये को सहारा दिया, वहीं सट्टेबाज़ों द्वारा रुपये के खिलाफ लगाए गए दांव घटने से भी तेजी को बल मिला। हालांकि, बाजार से जुड़े एक बड़े निजी बैंक के डीलर का कहना है कि सोमवार से आयातक अपनी हेजिंग के लिए बाजार में उतर सकते हैं, जिससे 89 के आसपास रुपये की और मजबूती पर कुछ रोक लग सकती है।
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह आरबीआई के भारी हस्तक्षेप से रुपया अपने रिकॉर्ड निचले स्तर 91.075 से करीब 2 प्रतिशत तक उबर गया है, जिससे लंबे समय से चली आ रही गिरावट की रफ्तार कुछ धीमी हुई। विश्लेषकों का मानना है कि आरबीआई की यह रणनीति फिलहाल डॉलर-रुपया जोड़ी में तेजी को सीमित रखेगी, लेकिन बड़े पैमाने पर विदेशी प्रवाह नहीं आने की स्थिति में हस्तक्षेप के बाद फिर से हल्की वापसी देखी जा सकती है। बाजार में 88.80 का स्तर अब अहम समर्थन माना जा रहा है।
उधर, अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर डॉलर सूचकांक शुक्रवार को मजबूत बंद हुआ और तीन हफ्तों की गिरावट का सिलसिला टूटा है। जापान के केंद्रीय बैंक द्वारा अपेक्षित दर वृद्धि के बाद येन में आई कमजोरी ने डॉलर को सहारा दिया है।
बॉन्ड बाजार की बात करें तो 10-वर्षीय बेंचमार्क 6.48 प्रतिशत 2035 बॉन्ड की यील्ड सप्ताह के अंत में 6.6017 प्रतिशत पर रही। कारोबारियों की नजरें 6.56 से 6.65 प्रतिशत के दायरे पर टिकी हुई हैं, जहां आरबीआई के तरलता संकेत और विदेशी निवेशकों की गतिविधियां दिशा तय करेंगी। बता दें कि रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती के बाद से बॉन्ड पर बिकवाली का दबाव बना हुआ है और 2025 में अब तक कुल कटौती 125 बेसिस प्वाइंट तक पहुंच चुकी है, जो 2019 के बाद सबसे ज्यादा है।
कई बाजार प्रतिभागियों का मानना है कि मौजूदा ढील चक्र अब अपने अंत के करीब है और वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में बड़े बॉन्ड इश्यू को लेकर भी सतर्कता बढ़ रही है। इसी बीच, आरबीआई ने दिसंबर के शेष दिनों में तरलता बढ़ाने के संकेत दिए हैं, इससे पहले केंद्रीय बैंक 1.45 लाख करोड़ रुपये की नकदी बॉन्ड खरीद और फॉरेक्स स्वैप के ज़रिये डाल चुका है।
विदेशी निवेशकों ने दिसंबर के पहले तीन हफ्तों में इंडेक्स-लिंक्ड बॉन्ड से करीब 10,900 करोड़ रुपये की निकासी की है, हालांकि कुछ विशेषज्ञ ऊंची यील्ड और कमजोर रुपये को निवेश के अवसर के रूप में भी देख रहे हैं। उभरते बाजारों पर नजर रखने वाले निवेशकों का मानना है कि जोखिम और रिटर्न के लिहाज से भारत अभी भी एशिया में आकर्षक बना हुआ है और करेंसी कैरी फिलहाल एक सुरक्षित कुशन का काम कर रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *