Mumbai: बॉयफ्रेंड के साथ लॉज गई युवती से फर्जी पुलिस अफसर ने किया था रेप…अब मिला इंसाफ

Mumbai: बॉयफ्रेंड के साथ लॉज गई युवती से फर्जी पुलिस अफसर ने किया था रेप…अब मिला इंसाफ

नवी मुंबई की एक अदालत ने खाकी वर्दी को बदनाम करने वाले एक 44 वर्षीय दरिंदे को कड़ी सजा सुनाई है। बेलापुर अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पराग ए. साने ने साल 2016 के एक सनसनीखेज मामले में फैसला सुनाते हुए 44 वर्षीय सुरक्षा गार्ड सागर बाबूराव धुलप को 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है।

आरोपी ने खुद को पुलिस अधिकारी बताकर एक 22 वर्षीय युवती के साथ न केवल दुष्कर्म किया था, बल्कि उसे डरा-धमकाकर जबरन वसूली की कोशिश भी की थी। पिछले हफ्ते सुनाए गए इस फैसले ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि इंसाफ में देरी भले ही हो, लेकिन कानून की नजर से बचना नामुमकिन है।

क्या है पूरा मामला?

यह झकझोर देने वाली घटना 13 फरवरी 2016 को हुई थी, जब पीड़िता अपने बॉयफ्रेंड के साथ मुंबई के कुर्ला इलाके के एक लॉज में गई थी। तभी वहां आरोपी सागर धुलप आ धमका, उसने खुद को एक पुलिस अधिकारी बताया और रेड मारने की धमकी देकर पीड़ित युवती को अपने साथ ले गया। उसने युवती को धमकी दी कि वह लॉज में लड़के के साथ पकड़े जाने की बात उसके माता-पिता को बता देगा।

पुलिस का खौफ दिखाकर उसने युवती से मामले को रफा-दफा करने के बदले 30,000 रुपये की मांग की। इसके बाद वह पीड़िता को डराकर जबरन नवी मुंबई के तुर्भे स्थित एक अन्य लॉज में ले गया, जहां उसने 22 साल की पीड़िता के साथ बलात्कार किया।

लड़की की सहमति नहीं थी- कोर्ट

सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने यह तर्क देकर आरोपी को बचाने की कोशिश की कि पीड़िता ने सार्वजनिक स्थान पर मदद के लिए शोर नहीं मचाया था, जिसे आपसी सहमति का संकेत माना जाना चाहिए। हालांकि, अदालत ने इस दलील को पूरी तरह से खारिज कर दिया।

अदालत ने माना कि जब कोई अपराधी पुलिस अधिकारी बनकर किसी को डराता है, तो पीड़ित अक्सर गहरे सदमे और भय के कारण विरोध करने की स्थिति में नहीं होता। इसलिए ऐसी स्थिति में किसी की चुप्पी को उसकी रजामंदी नहीं कहा जा सकता।

अदालत ने आरोपी सागर धुलप को भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 376 (बलात्कार), 170 (लोक सेवक का भेष धारण करना) और 384 (जबरन वसूली) के तहत दोषी ठहराया। उसे बलात्कार के लिए 10 साल, फर्जी अधिकारी बनने के लिए दो साल और जबरन वसूली के लिए तीन साल के कठोर कारावास की सजा दी गई है। अदालत ने निर्देश दिया है कि ये सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी और दोषी पर 1,500 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

इस फैसले ने न केवल पीड़िता को न्याय दिलाया है, बल्कि समाज में उन लोगों के लिए एक कड़ा संदेश भी भेजा है जो खाकी वर्दी की आड़ में ऐसा घिनौना अपराध करने की हिम्मत करते हैं।

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