Aravalli row: केंद्र सरकार का दावा, 0.19 प्रतिशत क्षेत्र ही खनन के लिए खुला है

Aravalli row: केंद्र सरकार का दावा, 0.19 प्रतिशत क्षेत्र ही खनन के लिए खुला है
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने सोमवार को कहा कि अरावली पहाड़ियों की नई और विवादास्पद परिभाषा केवल खनन उद्देश्यों के लिए लागू है। उन्होंने यह भी कहा कि अरावली के कुल भूभाग का केवल 277.89 वर्ग किलोमीटर, यानी लगभग 0.19 प्रतिशत, ही खनन के लिए खुला है और विस्तृत वैज्ञानिक अध्ययन पूरा होने तक कोई भी नया खनन पट्टा जारी नहीं किया जाएगा। संशोधित परिभाषा को लेकर जताई जा रही चिंताओं को दूर करने के लिए आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए यादव ने कहा कि मोदी सरकार हरित अरावली मिशन के प्रति दृढ़ संकल्पित है और बड़े पैमाने पर पारिस्थितिक क्षति की आशंकाएं निराधार हैं।
 

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यादव ने कहा कि अरावली पहाड़ियों से संबंधित यह परिभाषा केवल खनन उद्देश्यों के लिए लागू है। इसका उपयोग केवल खनन के संदर्भ में ही किया जाएगा। अरावली क्षेत्र के कुल 1,43,577 वर्ग किलोमीटर में से केवल 277.89 वर्ग किलोमीटर में ही खनन की अनुमति है। हालांकि, पर्यावरण मंत्री ने भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (आईसीएफआरई) द्वारा तैयार की जा रही रिपोर्ट की समयसीमा पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, जो किसी भी नए खनन पट्टे पर विचार करने से पहले अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि मामला अदालत में है। मैं फिलहाल समयसीमा पर टिप्पणी नहीं कर सकता।
यादव की ये टिप्पणियां सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार की अरावली पर्वतमाला की परिभाषा को स्वीकार करने और सतत खनन संबंधी सिफारिशों को मंजूरी देने के बाद हो रही तीखी राजनीतिक आलोचना के बीच आई हैं। विपक्ष का आरोप है कि इस कदम से खनन हितों को लाभ होगा, जिसे मंत्री ने स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है। यादव ने कहा कि अरावली पर्वतमाला में खनन गतिविधि को केवल एक बहुत ही सीमित क्षेत्र में ही अनुमति दी जाएगी, और इस बात पर जोर दिया कि पर्वतमाला को अभी भी मजबूत पारिस्थितिक संरक्षण प्राप्त है। उन्होंने यह भी कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार के हरित अरावली अभियान की सराहना की है।
 

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केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने भी एक विस्तृत स्पष्टीकरण जारी कर कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के 20 नवंबर के आदेश के अनुरूप व्यापक अध्ययन किए जाने तक कोई भी नया खनन पट्टा जारी नहीं किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण मंत्रालय को किसी भी नए पट्टे को जारी करने से पहले संपूर्ण अरावली पर्वतमाला के लिए सतत खनन योजना (एमपीएसएम) तैयार करने का निर्देश दिया है।

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