महाराष्ट्र के नांदेड जिले की लोहा नगर परिषद के चुनावी नतीजों ने राज्य की राजनीति में परिवारवाद पर एक नई बहस छेड़ दी है। यहां भाजपा का एक बड़ा राजनीतिक प्रयोग पूरी तरह विफल साबित हुआ, जहां जनता ने एक ही परिवार के 6 उम्मीदवारों को एक साथ नकार दिया।
लोहा नगर परिषद चुनाव में भाजपा के एक ही परिवार के सभी छह उम्मीदवार हार गए है। लोहा नगर परिषद के अध्यक्ष पद पर अजित पवार की एनसीपी ने जीत हासिल की, जिसके उम्मीदवार का नाम शरद पवार है।
भाजपा ने महापौर पद के लिए गजानन सूर्यवंशी को प्रत्याशी बनाया था। जबकि उनकी पत्नी गोदावरी सूर्यवंशी, भाई सचिन सूर्यवंशी, भाभी सुप्रिया सूर्यवंशी, साले युवराज वाघमारे और भतीजे की पत्नी रीना व्यावहारे को भी अलग-अलग प्रभागों से मैदान में उतारा गया था, लेकिन सभी चुनाव हार गए। विपक्षी महाविकास अघाडी ने इसके लिए भाजपा पर ‘वंशवादी राजनीति’ का आरोप भी लगाया था।
नांदेड जिले में लोहा, कंधार, देगलूर और उमरी में एनसीपी विजयी रही जबकि भाजपा ने कुंडलवाड़ी, मुदखेड़ और भोकर में जीत हासिल की। शिवसेना और मराठवाड़ा जनहित पार्टी दो-दो स्थानों पर विजयी रहीं जबकि शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे (उबाठा) और कांग्रेस एक-एक स्थान पर जीती।
जिले में जिन नगर परिषद सीट पर चुनाव हुए, उनमें से शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (शरदचंद्र पवार) किसी भी सीट पर जीत हासिल करने में विफल रही।
लोहा नगर परिषद को नांदेड जिले की राजनीति में खास अहमियत हासिल है। यहां कुल 10 प्रभाग हैं और 20 नगरसेवकों के लिए चुनाव हुआ। इस बार मुकाबला त्रिकोणीय रहा, जिसमें भाजपा, अजित पवार गुट की राष्ट्रवादी और कांग्रेस आमने-सामने थीं। क्षेत्र को अजित पवार गुट के विधायक प्रताप पाटील चिखलीकर का गढ़ माना जाता है और पहले भी यहां उनका प्रभाव देखा गया है।
इस चुनाव का एक अहम राजनीतिक पहलू पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण से भी जुड़ा है। भाजपा में शामिल होने के बाद अशोक चव्हाण के नेतृत्व में पार्टी ने नांदेड की स्थानीय निकाय चुनावों में दम दिखाने की कोशिश की थी। ऐसे में लोहा नगर परिषद में एक ही परिवार के छह उम्मीदवारों को टिकट देना और उन सभी का हार जाना, राजनीतिक रूप से चव्हाण के लिए भी असहज स्थिति माना जा रहा है।
गौरतलब हो कि दो चरणों में हुए 286 नगर परिषदों और नगर पंचायतों के चुनाव में अध्यक्ष एवं सदस्यों के पदों के चुनावों के लिए मतगणना रविवार को हुई। इसमें भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। भाजपा ने नगर परिषद और नगर पंचायत अध्यक्ष के 117 पदों पर जीत हासिल की है। वहीं शिवसेना (एकनाथ शिंदे) को 53 और एनसीपी (अजित पवार) को 37 अध्यक्ष पद मिले हैं। विपक्षी खेमे की बात करें तो महाविकास आघाड़ी (MVA) के घटक दलों को तगड़ा झटका लगा है। कांग्रेस ने 28 अध्यक्ष पदों पर जीत दर्ज की, जबकि उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) को 9 और शरद पवार की एनसीपी को 7 अध्यक्ष पद हासिल हुए हैं।


