संपादकीय : 5जी की मजबूती, डिजिटल भारत की नई रफ्तार

संपादकीय : 5जी की मजबूती, डिजिटल भारत की नई रफ्तार

भारत का दूरसंचार क्षेत्र 2025 में जिस मजबूती के साथ आगे बढ़ा है, वह केवल तकनीकी प्रगति की कहानी नहीं है, बल्कि देश के सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन की ठोस नींव भी है। 5जी सेवाओं का 85 प्रतिशत आबादी तक पहुंचना, इंटरनेट कनेक्शनों का 100 करोड़ के पार जाना और डिजिटल बुनियादी ढांचे का तेज विस्तार इस बात का संकेत है कि भारत अब कनेक्टिविटी के मोर्चे पर वैश्विक मानकों के करीब पहुंच चुका है। इस परिवर्तन की धुरी बना है नेशनल ब्रॉडबैंड मिशन 2.0, जिसकी शुरुआत जनवरी 2025 में हुई। इस मिशन का मूल उद्देश्य केवल तेज इंटरनेट देना नहीं, बल्कि डिजिटल समावेशन को वास्तविक अर्थों में जमीन पर उतारना है।

गांवों, स्कूलों, स्वास्थ्य केंद्रों और अन्य आवश्यक संस्थानों तक हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड पहुंचाकर सरकार ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य को तकनीकी आधार दे रही है। 2014 की तुलना में इंटरनेट कनेक्शनों का लगभग चार गुना बढ़ जाना इस बात का प्रमाण है कि डिजिटल भारत अब केवल नारा नहीं, बल्कि हकीकत बन चुका है। 5जी का विस्तार 2025 की सबसे बड़ी उपलब्धियों में गिना जाएगा। देश के 99.9 प्रतिशत जिलों तक 5जी नेटवर्क का पहुंचना और 5.08 लाख से अधिक बेस स्टेशनों की स्थापना ने भारत को दुनिया के अग्रणी 5जी देशों की पंक्ति में खड़ा कर दिया है। प्रति वायरलेस उपयोगकर्ता औसत मासिक डेटा खपत 24 जीबी तक पहुंचना और मोबाइल ब्रॉडबैंड की मीडियन स्पीड का 130 एमबीपीएस से ऊपर जाना यह दिखाता है कि भारतीय उपभोक्ता अब केवल कनेक्टिविटी नहीं, बल्कि गुणवत्ता की भी मांग कर रहा है। यह स्थिति डिजिटल अर्थव्यवस्था, स्टार्टअप्स, ऑनलाइन शिक्षा, टेली-मेडिसिन और ई-गवर्नेंस के लिए नए अवसर खोलती है। इस विकास का एक अहम पहलू तकनीकी आत्मनिर्भरता है।

स्वदेशी 4जी टेक्नोलॉजी स्टैक का विकास- सी-डॉट, तेजस नेटवक्र्स और टीसीएस के सहयोग से- भारत को उन चुनिंदा देशों में शामिल करता है, जो अपनी कोर टेलीकॉम टेक्नोलॉजी विकसित करने में सक्षम हैं। बीएसएनएल के माध्यम से लागू यह सॉफ्टवेयर-आधारित प्रणाली भविष्य में 5जी और उससे आगे अपग्रेड की जा सकती है। यह कदम न केवल रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि आयात-निर्भरता कम करने की दिशा में भी निर्णायक है। ग्रामीण भारत में दूरसंचार की पहुंच बढऩा भी एक सकारात्मक पहलू है। 2014 के बाद से ग्रामीण टेलीफोन कनेक्शनों में 43 प्रतिशत की वृद्धि यह बताती है कि डिजिटल विभाजन धीरे-धीरे कम हो रहा है। यही वह आधार है जिस पर डिजिटल सेवाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंच सकता है। अब नजर भविष्य पर है- 6जी पर। भारत 6जी मिशन के तहत अनुसंधान और मानक-निर्धारण की दिशा में कदम बढ़ा चुका है। यह स्पष्ट है कि भारत का दूरसंचार भविष्य न केवल तेज है, बल्कि आत्मनिर्भर और समावेशी भी है।

​ 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *