अरावली पर्वतमाला लाखों जीव-जंतुओं का घर:इन्हें तोड़कर विकास करना है तो ऐसा विकास नहीं चाहिए

अरावली पर्वतमाला लाखों जीव-जंतुओं का घर:इन्हें तोड़कर विकास करना है तो ऐसा विकास नहीं चाहिए

अरावली पर्वतमाला पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लगातार विरोध जारी है। आज सीकर के हर्ष पर्वत पर सीकर के कई पर्यावरण प्रेमी एकत्रित हुए। जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का विरोध जताया। इन लोगों का कहना है कि यदि पहाड़ों को तोड़कर विकास करना है तो ऐसा विकास नहीं चाहिए। पर्यावरण प्रेमी पवन ढाका ने कहा कि अरावली बचेगी तो राजस्थान बचेगा। अरावली की पहाड़ियों में लाखों जीव-जंतु रह रहे हैं। अब यदि अरावली ही नहीं रहेगी तो इन जीव जंतुओं का क्या होगा। यदि इंसान को घर से निकालकर उसके घर को तोड़ दिया जाए। तो फिर वह इंसान कहां पर जाएगा। इंसान तो फिर भी कोई झोपड़ी बना लेगा लेकिन यह जीव जंतु क्या करेंगे। अरावली की वजह से हमारे राजस्थान में बारिश होती है,इनसे टकराकर ही हमारे यहां पर मानसून आता है। अब यदि अरावली नहीं बचेगी तो मानसून नहीं आएगा। जैसे जैसलमेर में रेगिस्तान है पूरा राजस्थान वैसा ही नजर आएगा। यदि पहाड़ों को काटकर विकास होना है तो हमें ऐसा विकास किसी भी हाल में नहीं चाहिए। हम जैसे रह रहे हैं वैसे रहने को तैयार है। पर्यावरण प्रेमी रामरतन ने कहा कि यदि राजस्थान को बचाना है राजस्थान के हर एक नागरिक को आगे आना होगा। इस फैसले पर पुनर्विचार होना चाहिए। 90% से ज्यादा पहाड़ियां ऐसी है जो 100 मीटर के दायरे में नहीं आती है। राजस्थान के हर नागरिक के लिए यह सोचने का विषय है।

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