राजगीर में नालंदा साहित्य महोत्सव का दूसरा दिन आज:शशि थरूर, सचिन चतुर्वेदी के साथ होगी शुरुआत, दोपहर में एक्टर संजय मिश्रा का होगा सेशन

राजगीर में नालंदा साहित्य महोत्सव का दूसरा दिन आज:शशि थरूर, सचिन चतुर्वेदी के साथ होगी शुरुआत, दोपहर में एक्टर संजय मिश्रा का होगा सेशन

रविवार को सफल उद्घाटन समारोह के बाद नालंदा साहित्य महोत्सव (NLF) अब अपने मुख्य सत्रों के साथ आज से पुनः राजगीर कन्वेंशन सेंटर में प्रारंभ होगा। सुबह 9:30 बजे से शुरू होने वाले इस आयोजन में देश के कुछ सबसे प्रतिष्ठित व्यक्तित्व भाग लेंगे। इस महोत्सव की विशेषता यह है कि यहां साहित्य, सिनेमा, नृत्य और संगीत का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा। कार्यक्रम के दूसरे दिन सुबह 10 बजे से सांसद और प्रख्यात लेखक डॉ. शशि थरूर तथा नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सचिन चतुर्वेदी के सत्र शुरू होंगे, जो 11 बजे तक चलेंगे। सिनेमा और कला जगत की हस्तियां दोपहर बाद का सत्र विशेष रूप से भारतीय सिनेमा और कला को समर्पित है। दोपहर 2:45 बजे पद्म विभूषण से सम्मानित प्रसिद्ध फिल्मकार और पटकथा लेखक आदूर गोपालकृष्णन का सत्र होगा। इसके बाद 3:30 बजे से अभिनेता संजय मिश्रा, हिंदी कवि और गीतकार आलोक श्रीवास्तव, तथा IMPPA के अध्यक्ष और FIAPF के उपाध्यक्ष अभय सिन्हा का सत्र प्रारंभ होगा। शाम 4:15 बजे पद्म श्री सम्मानित कत्थक नृत्यांगना और कोरियोग्राफर शोवना नारायण का प्रदर्शन होगा। दिन का समापन शाम 5:15 बजे पद्म विभूषण डॉ. सोनल मानसिंह के शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुति और राज्यसभा सांसद के रूप में उनके विचारों के साथ होगा। शाम 7 से 9 बजे तक विशेष जश्न-ए-महफ़िल महोत्सव की सबसे बड़ी आकर्षण शाम 7 बजे से 9 बजे तक होने वाली विशेष जश्न-ए-महफ़िल है। इस महफ़िल का नेतृत्व तस्कीन अली खान करेंगे, जो स्वर्गीय उस्ताद मुमताज़ अली खान साहब के सुपुत्र हैं। उल्लेखनीय है कि स्वर्गीय उस्ताद अमन अली खान साहब द्वारा स्थापित भिंडी बाज़ार घराने की यह विरासत भारत रत्न लता मंगेशकर जी के गुरु से जुड़ी है। यह संगीत महफ़िल भारतीय शास्त्रीय संगीत की समृद्ध परंपरा का प्रतिनिधित्व करेगी। नालंदा की ऐतिहासिक धरोहर राजगीर कन्वेंशन सेंटर में आयोजित यह महोत्सव उस नालंदा की धरती पर हो रहा है जो प्राचीन काल में ज्ञान और शिक्षा का सबसे बड़ा केंद्र था। आयोजकों का कहना है कि इस महोत्सव का उद्देश्य उसी ज्ञान-परंपरा को आधुनिक संदर्भ में पुनर्जीवित करना है। महोत्सव के आयोजकों ने सभी साहित्य प्रेमियों, कला प्रेमियों और बुद्धिजीवियों को इस ज्ञान, कला, संवाद और सांस्कृतिक उत्सव का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया है। यह आयोजन न केवल बिहार बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक घटना के रूप में उभर रहा है। रविवार को सफल उद्घाटन समारोह के बाद नालंदा साहित्य महोत्सव (NLF) अब अपने मुख्य सत्रों के साथ आज से पुनः राजगीर कन्वेंशन सेंटर में प्रारंभ होगा। सुबह 9:30 बजे से शुरू होने वाले इस आयोजन में देश के कुछ सबसे प्रतिष्ठित व्यक्तित्व भाग लेंगे। इस महोत्सव की विशेषता यह है कि यहां साहित्य, सिनेमा, नृत्य और संगीत का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा। कार्यक्रम के दूसरे दिन सुबह 10 बजे से सांसद और प्रख्यात लेखक डॉ. शशि थरूर तथा नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सचिन चतुर्वेदी के सत्र शुरू होंगे, जो 11 बजे तक चलेंगे। सिनेमा और कला जगत की हस्तियां दोपहर बाद का सत्र विशेष रूप से भारतीय सिनेमा और कला को समर्पित है। दोपहर 2:45 बजे पद्म विभूषण से सम्मानित प्रसिद्ध फिल्मकार और पटकथा लेखक आदूर गोपालकृष्णन का सत्र होगा। इसके बाद 3:30 बजे से अभिनेता संजय मिश्रा, हिंदी कवि और गीतकार आलोक श्रीवास्तव, तथा IMPPA के अध्यक्ष और FIAPF के उपाध्यक्ष अभय सिन्हा का सत्र प्रारंभ होगा। शाम 4:15 बजे पद्म श्री सम्मानित कत्थक नृत्यांगना और कोरियोग्राफर शोवना नारायण का प्रदर्शन होगा। दिन का समापन शाम 5:15 बजे पद्म विभूषण डॉ. सोनल मानसिंह के शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुति और राज्यसभा सांसद के रूप में उनके विचारों के साथ होगा। शाम 7 से 9 बजे तक विशेष जश्न-ए-महफ़िल महोत्सव की सबसे बड़ी आकर्षण शाम 7 बजे से 9 बजे तक होने वाली विशेष जश्न-ए-महफ़िल है। इस महफ़िल का नेतृत्व तस्कीन अली खान करेंगे, जो स्वर्गीय उस्ताद मुमताज़ अली खान साहब के सुपुत्र हैं। उल्लेखनीय है कि स्वर्गीय उस्ताद अमन अली खान साहब द्वारा स्थापित भिंडी बाज़ार घराने की यह विरासत भारत रत्न लता मंगेशकर जी के गुरु से जुड़ी है। यह संगीत महफ़िल भारतीय शास्त्रीय संगीत की समृद्ध परंपरा का प्रतिनिधित्व करेगी। नालंदा की ऐतिहासिक धरोहर राजगीर कन्वेंशन सेंटर में आयोजित यह महोत्सव उस नालंदा की धरती पर हो रहा है जो प्राचीन काल में ज्ञान और शिक्षा का सबसे बड़ा केंद्र था। आयोजकों का कहना है कि इस महोत्सव का उद्देश्य उसी ज्ञान-परंपरा को आधुनिक संदर्भ में पुनर्जीवित करना है। महोत्सव के आयोजकों ने सभी साहित्य प्रेमियों, कला प्रेमियों और बुद्धिजीवियों को इस ज्ञान, कला, संवाद और सांस्कृतिक उत्सव का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया है। यह आयोजन न केवल बिहार बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक घटना के रूप में उभर रहा है।  

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