बिहार के 40 हजार स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे लगेंगे, पटना से मॉनिटरिंग, भ्रष्टाचार पर नकेल

बिहार के 40 हजार स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे लगेंगे, पटना से मॉनिटरिंग, भ्रष्टाचार पर नकेल

बिहार के 40 हजार सरकारी स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। इसका कमांड कंट्रोल पटना स्थित सचिवालय में होगा। शिक्षा विभाग के मुख्यालय से ही शिक्षक-छात्रों की उपस्थिति, मिड-डे मील, नकलविहीन परीक्षा, स्कूलों में पढ़ाई की स्थिति, पाठ्यवार घंटी आदि की मॉनिटरिंग होगी। इस दौरान यदि किसी स्कूलों में लापरवाही बरती जाती है तो वीडियो फुटेज के साक्ष्य के साथ ही संबंधित शिक्षक, अधिकारी पर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही मॉनिटरिंग के आधार पर स्कूलों की रैंकिंग तय होगी। यदि किसी स्कूल की रैंकिंग खराब होती है, तो शिक्षकों का ट्रांसफर होगा। जानकारी के मुताबिक बिहार में 81223 स्कूल हैं। इनमें 9360 माध्यमिक, उच्च विद्यालय, 40566 प्राथमिक विद्यालय एवं 31297 मध्य विद्यालय हैं। सरकारी स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे लगाने में 60 करोड़ रुपए से अधिक खर्च होंगे। पहले दो चरणों में लगभग 40 हजार स्कूलों में ही कैमरा लगेगा। पहले चरण में 8वीं, 9वीं, 10वीं, 11वीं कक्षा में सीसीटीवी लगाया जाएगा। उसके बाद 6 से 7वीं की 22 हजार कक्षाओं में सीसीटीवी लगेगा। शिक्षा विभाग ने प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा है। एनओसी मिलने के बाद कैमरा लगाने के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी। गर्मी की छुट्टी में अधिकांश स्कूलों में कैमरा लगाने की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। अधिकारियों के निरीक्षण, वीडियो कॉलिंग फेल स्कूलों में डीएम, एसडीएम, शिक्षा विभाग के अधिकारियों के निरीक्षण का रूटीन है। इसकी रिपोर्ट पर ही शिक्षा विभाग स्कूलों की ग्रेडिंग कर कार्रवाई करता है। साथ ही शिक्षा विभाग की तरफ से वीडियो कॉलिंग की जाती है। इसके बावजूद स्कूलों में जांच फेल हो गई है। कई जगहों पर निरीक्षण अधिकारी के ऊपर ही भ्रष्टाचार का आरोप लगा है। शिक्षा विभाग के पूर्व अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने फर्जी निरीक्षण के मामले में 2 दर्जन से अधिक शिक्षा अधिकारियों पर कार्रवाई की थी। अब सीसीटीवी से निगरानी की योजना बनाई जा रही है। रिश्वतखोरी पर अंकुश लगाने की तैयारी… शिक्षा विभाग में मिड-डे मिल और शिक्षकों की हाजिरी को लेकर अक्सर शिकायत मिलती है। शिक्षक निर्धारित समय पर स्कूल नहीं आते हैं। जो आते हैं, वे भी हाजिरी बनाकर चले जाते हैं। कई जगहों पर शिक्षकों ने रजिस्टर्ड मोबाइल स्कूल के आसपास के दुकानदार, गांव में रहने वाले शिक्षकों को दिया है। जो उनकी जगह ई-शिक्षा पोर्टल पर हाजिरी बनाते हैं। मिड-डे मील में भी शिक्षक छात्रों की संख्या 150 से अधिक दिखाते हैं और भोजन 30 से 45 छात्रों का बनाते हैं। सीसीटीवी लग जाने से इस सब पर नजर रहेगी, रिश्वतखोरी पर अंकुश लगेगा। बिहार के 40 हजार सरकारी स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। इसका कमांड कंट्रोल पटना स्थित सचिवालय में होगा। शिक्षा विभाग के मुख्यालय से ही शिक्षक-छात्रों की उपस्थिति, मिड-डे मील, नकलविहीन परीक्षा, स्कूलों में पढ़ाई की स्थिति, पाठ्यवार घंटी आदि की मॉनिटरिंग होगी। इस दौरान यदि किसी स्कूलों में लापरवाही बरती जाती है तो वीडियो फुटेज के साक्ष्य के साथ ही संबंधित शिक्षक, अधिकारी पर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही मॉनिटरिंग के आधार पर स्कूलों की रैंकिंग तय होगी। यदि किसी स्कूल की रैंकिंग खराब होती है, तो शिक्षकों का ट्रांसफर होगा। जानकारी के मुताबिक बिहार में 81223 स्कूल हैं। इनमें 9360 माध्यमिक, उच्च विद्यालय, 40566 प्राथमिक विद्यालय एवं 31297 मध्य विद्यालय हैं। सरकारी स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे लगाने में 60 करोड़ रुपए से अधिक खर्च होंगे। पहले दो चरणों में लगभग 40 हजार स्कूलों में ही कैमरा लगेगा। पहले चरण में 8वीं, 9वीं, 10वीं, 11वीं कक्षा में सीसीटीवी लगाया जाएगा। उसके बाद 6 से 7वीं की 22 हजार कक्षाओं में सीसीटीवी लगेगा। शिक्षा विभाग ने प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा है। एनओसी मिलने के बाद कैमरा लगाने के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी। गर्मी की छुट्टी में अधिकांश स्कूलों में कैमरा लगाने की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। अधिकारियों के निरीक्षण, वीडियो कॉलिंग फेल स्कूलों में डीएम, एसडीएम, शिक्षा विभाग के अधिकारियों के निरीक्षण का रूटीन है। इसकी रिपोर्ट पर ही शिक्षा विभाग स्कूलों की ग्रेडिंग कर कार्रवाई करता है। साथ ही शिक्षा विभाग की तरफ से वीडियो कॉलिंग की जाती है। इसके बावजूद स्कूलों में जांच फेल हो गई है। कई जगहों पर निरीक्षण अधिकारी के ऊपर ही भ्रष्टाचार का आरोप लगा है। शिक्षा विभाग के पूर्व अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने फर्जी निरीक्षण के मामले में 2 दर्जन से अधिक शिक्षा अधिकारियों पर कार्रवाई की थी। अब सीसीटीवी से निगरानी की योजना बनाई जा रही है। रिश्वतखोरी पर अंकुश लगाने की तैयारी… शिक्षा विभाग में मिड-डे मिल और शिक्षकों की हाजिरी को लेकर अक्सर शिकायत मिलती है। शिक्षक निर्धारित समय पर स्कूल नहीं आते हैं। जो आते हैं, वे भी हाजिरी बनाकर चले जाते हैं। कई जगहों पर शिक्षकों ने रजिस्टर्ड मोबाइल स्कूल के आसपास के दुकानदार, गांव में रहने वाले शिक्षकों को दिया है। जो उनकी जगह ई-शिक्षा पोर्टल पर हाजिरी बनाते हैं। मिड-डे मील में भी शिक्षक छात्रों की संख्या 150 से अधिक दिखाते हैं और भोजन 30 से 45 छात्रों का बनाते हैं। सीसीटीवी लग जाने से इस सब पर नजर रहेगी, रिश्वतखोरी पर अंकुश लगेगा।  

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *