राजस्थान में व्यावसायिक शिक्षा में बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा चल रहा है। सरकार ने प्रदेश की 4155 स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा को लागू तो किया है, लेकिन इसमें शिक्षक लगाने का काम ठेके पर है। वर्ष 2014-15 से लगे शिक्षक न तो सरकार ने स्थाई किए है और न ही इन शिक्षकों को समय पर मानदेय मिल रहा है। प्रदेश की अधिकांश जगह तो व्यावसायिक शिक्षकों के पद खाली है, जहां लगे हुए है उन्हें 10 से 15 माह तक मानदेय नहीं मिला है।मानदेय में देरी की वजह यह भी सामने आ रही है कि नए शिक्षकों को लगाने के लिए कंपनियां डील करती है। शिक्षक को 20 हजार रुपए प्रति माह मानदेय देना होता है, लेकिन एक-दो माह देकर फिर उन्हें समय पर नहीं दिया जाता ताकि वो छोड़ कर चला जाए और नए शिक्षक लगाए। फर्जी डिग्रीधारी शिक्षकों को लगाने का भी संदेह जताया जा रहा है। बाड़मेर में 201 स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा है। 16 तरह के ट्रेड सेक्टर व्यावसायिक शिक्षा के लिए 16 ट्रेड सेक्टर है। इनमें एग्रीकल्चर, परिधान व गृह सज्जा, बैकिंग, मोटर वाहन, सौंदर्य एवं स्वास्थ्य, इलेक्ट्रॉनिक और हार्डवेयर, खाद्य प्रसंस्करण, स्वास्थ्य सेवा, आईटी, आईटीईएस, प्लंबर, सुरक्षा, खुदरा, दूरसंचार, पर्यटन, मल्टीमीडिया सहित कुल 16 ट्रेड है। स्कूलों में इन ट्रेड के हिसाब से शिक्षकों को लगा रखा है, लेकिन शिक्षकों की नियुक्ति में भी फर्जीवाड़ा हो रहा है। जो डिप्लोमा और डिग्री होनी चाहिए, उसमें फर्जीवाड़ा कर नियुक्ति दी जा रही है। ठेके की शिक्षा पर हर साल करोड़ों रुपए हो रहे खर्च व्यावसायिक शिक्षा के नाम पर राज्य सरकार करोड़ों खर्च कर रही है, लेकिन शिक्षकों की नियुक्ति से लेकर मानदेय तक ठेके पर है। सरकार ने प्रदेश की 4155 स्कूलों में पढ़ने वाले करीब 10 लाख व्यवसायिक शिक्षा अर्जित करने वाले बच्चों का भविष्य निजी कंपनियों को ठेके पर दे रखा है। हाल ये है कि जो कंपनियां राजस्थान में काम कर रही है, उनका राजस्थान में ऑफिस तक नहीं है। ऐसे में शिक्षकों को दर-दर भटकना पड़ रहा है। हरियाणा में ठेका प्रथा खत्म, स्थाई नौकरी दे दी प्रदेश में आई दीक्षा, आईआईएसडी, आईसीए, एफ-टेक, एलएनजे सहित कई कंपनियों ने शिक्षकों को लगा रखा है, लेकिन इन कंपनियों ने 3 से 16 माह तक शिक्षकों को वेतन नहीं दिया है। शिक्षकों की मांग है कि बाहरी राज्यों की प्लेसमेंट एजेंसियों से मुक्ति दिलाकर हरियाणा राज्य की तरह उन्हें स्थाई किया जाए। स्थाई नीति बनाकर व्यावसायिक शिक्षकों को नियमित किया जाए। वेतन वृद्धि की जाए और सेवा शर्तें स्पष्ट हों। व्यावसायिक शिक्षा कक्षा 9 से 12 तक दे रहे हैं, उनका ग्रेड पे निर्धारित किया जाए। हरियाणा में कौशल विभाग बनाकर व्यावसायिक शिक्षकों को स्थाई नौकरी है, जबकि राजस्थान में ऐसा नहीं है। “प्रदेश में 5051 स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा है, लेकिन 2527 तक का टेंडर मार्च में निरस्त कर दिया था, आज दिन तक दुबारा टेंडर नहीं किया। ठेके पर होने के कारण अधिकांश बाहरी कंपनियां है, जिनका प्रदेश में ऑफिस भी नहीं है। अलग-अलग कंपनियों में 3 से 16 माह तक का शिक्षकों वेतन नहीं मिला है। हरियाणा सरकार ने कौशल विभाग बनाकर स्थाई कर रखा है। हमारी मांग है कि सरकार खुद स्तर पर व्यावसायिक शिक्षकों को स्थाई करें और समय पर इन्हें वेतन दिया जाए।” -सुरेंद्र कुमार, अध्यक्ष, व्यावसायिक शिक्षा संघ।


