सुपौल जिले के जदिया थाना क्षेत्र स्थित इस्लामपुर गांव का प्राथमिक विद्यालय अररिया-सुपौल रेल परियोजना की जद में आ गया है। रेल लाइन निर्माण के लिए विद्यालय की जमीन और भवन के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होने से ग्रामीणों और अभिभावकों में चिंता फैल गई है। ग्रामीणों का कहना है कि यह विद्यालय इस्लामपुर गांव और आसपास के कई टोलों के सैकड़ों बच्चों की शिक्षा का एकमात्र साधन है। यदि विद्यालय की जमीन रेल परियोजना में चली जाती है, तो बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह बाधित हो जाएगी। इस मुद्दे पर मोहम्मद सदरुल, साजिम, जहांगीर, मोहम्मद सगीर, तमिल, अली राजा और खुर्शीद आलम सहित कई ग्रामीणों ने एकजुट होकर सरकार और जिला प्रशासन से विद्यालय को गांव में ही किसी सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित करने की मांग की है। ग्रामीणों ने बताया कि छोटे बच्चों के लिए दूर जाकर पढ़ाई करना संभव नहीं होगा। ग्रामीणों ने स्पष्ट किया है कि वे रेल परियोजना के विरोध में नहीं हैं, लेकिन विकास के नाम पर शिक्षा से समझौता नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि समय रहते विद्यालय के स्थानांतरण को लेकर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया, तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे। ग्रामीणों की मांग है कि रेल परियोजना के साथ-साथ बच्चों की शिक्षा की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जाए। अब सभी की निगाहें जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग के आगामी फैसले पर टिकी हैं। सुपौल जिले के जदिया थाना क्षेत्र स्थित इस्लामपुर गांव का प्राथमिक विद्यालय अररिया-सुपौल रेल परियोजना की जद में आ गया है। रेल लाइन निर्माण के लिए विद्यालय की जमीन और भवन के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होने से ग्रामीणों और अभिभावकों में चिंता फैल गई है। ग्रामीणों का कहना है कि यह विद्यालय इस्लामपुर गांव और आसपास के कई टोलों के सैकड़ों बच्चों की शिक्षा का एकमात्र साधन है। यदि विद्यालय की जमीन रेल परियोजना में चली जाती है, तो बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह बाधित हो जाएगी। इस मुद्दे पर मोहम्मद सदरुल, साजिम, जहांगीर, मोहम्मद सगीर, तमिल, अली राजा और खुर्शीद आलम सहित कई ग्रामीणों ने एकजुट होकर सरकार और जिला प्रशासन से विद्यालय को गांव में ही किसी सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित करने की मांग की है। ग्रामीणों ने बताया कि छोटे बच्चों के लिए दूर जाकर पढ़ाई करना संभव नहीं होगा। ग्रामीणों ने स्पष्ट किया है कि वे रेल परियोजना के विरोध में नहीं हैं, लेकिन विकास के नाम पर शिक्षा से समझौता नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि समय रहते विद्यालय के स्थानांतरण को लेकर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया, तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे। ग्रामीणों की मांग है कि रेल परियोजना के साथ-साथ बच्चों की शिक्षा की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जाए। अब सभी की निगाहें जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग के आगामी फैसले पर टिकी हैं।


