बरेली में कन्हैया गुलाटी के खिलाफ अब तक कुल 17 आपराधिक मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। इनमें से 13 नई एफआईआर पिछले डेढ़ महीने के भीतर दर्ज की गई हैं, जबकि 4 मामले पहले से लंबित थे। इतनी बड़ी संख्या में मुकदमों के बावजूद उसका नेटवर्क लंबे समय तक सक्रिय रहना पुलिस की निगरानी और शुरुआती कार्रवाई पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। जांच में सामने आया है कि कन्हैया गुलाटी अलग-अलग कंपनियों और फर्जी नामों के जरिए निवेश योजनाएं चलाता था। वह लोगों को बड़े मुनाफे का लालच देकर ठगी का शिकार बनाता रहा। “कैनविज ग्रुप ऑफ कंपनीज” और “केएम एसोसिएट्स” जैसे नामों से निवेश कराकर उसने विश्वास का ऐसा जाल बुना कि पढ़े-लिखे और समझदार लोग भी उसकी ठगी में फंसते चले गए। इज्जतनगर थाना क्षेत्र से जुड़े एक ताजा मामले में पीड़ित ने बताया कि उनसे मूलधन पूरी तरह सुरक्षित रहने और कभी भी पैसा निकालने के आश्वासन पर लाखों रुपये का निवेश कराया गया। जब पीड़ित ने रकम वापस मांगी, तो पहले टालमटोल की गई, फिर फर्जी चेक थमा दिए गए और अंत में उन्हें धमकियां दी गईं। पीड़ितों का कहना है कि यह कन्हैया गुलाटी की ठगी का एक तयशुदा तरीका रहा है। पीड़ितों का आरोप है कि शुरुआती शिकायतों को स्थानीय स्तर पर गंभीरता से नहीं लिया गया। हालांकि, जब मामलों की संख्या बढ़ी और प्रकरण मीडिया तथा वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचा, तब एसएसपी अनुराग आर्य के निर्देश पर जांच में तेजी लाई गई। फिलहाल एसपी ट्रैफिक मो. अकमल खान की निगरानी में पुराने और नए सभी मामलों को जोड़कर गहन जांच की जा रही है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, कन्हैया गुलाटी के बैंक खातों, चल-अचल संपत्तियों और उसके सहयोगियों की भूमिका की भी बारीकी से जांच की जा रही है। इसका मकसद यह पता लगाना है कि ठगी का यह नेटवर्क कितनी दूर तक फैला हुआ है और इसमें और कौन-कौन लोग शामिल हैं। लगातार सामने आ रहे मामलों के बाद पीड़ितों ने कहा है कि केवल एफआईआर दर्ज करना पर्याप्त नहीं है। उनकी मांग है कि ठगी से अर्जित संपत्तियों को जब्त किया जाए और आरोपियों को जल्द से जल्द जेल भेजा जाए। पीड़ितों का यह भी कहना है कि यदि शुरुआती मामलों में ही सख्त कार्रवाई की गई होती, तो इतने लोगों को ठगी का शिकार नहीं होना पड़ता। पुलिस का दावा है कि जल्द ही इस ठगी नेटवर्क का पूरा खुलासा किया जाएगा और सभी दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।


